NPS में निवेश से जुड़े हैं टैक्स छूट के लाभ, जानें किस तरह मिलती है राहत
NPS : पीएफआरडीए ने एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) को नेशनल पेंशन सिस्टम के लिए सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (CRA) के रूप में नियुक्त किया है. ये एजेंसी प्रत्येक ग्राहक के लिए स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (PRAN) जारी करता है.
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी NPS सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली सेवानिवृत्ति योजना साधन है. इसका विनियमन पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) करता है. एनपीएस में एक सरकारी कर्मचारी अपने नियोक्ता से मिली राशि के बराबर राशि इस योजना में निवेश करता है. इससे प्राप्त राशि को पेंशन फंड मैनेजर की मदद से फंड स्कीमों में निवेश किया जाता है. पीएफआरडीए ने एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) को नेशनल पेंशन सिस्टम के लिए सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (CRA) के रूप में नियुक्त किया है.
ये एजेंसी प्रत्येक ग्राहक के लिए स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (PRAN) जारी करता है. एनपीएस उन सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है, जो 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार (सशस्त्र बलों को छोड़कर) और केंद्रीय स्वायत्त निकायों की सेवाओं में शामिल हुए हैं.
एनपीएस दो प्रकार के खाते प्रदान करता है- टियर 1 और टियर 2. इसके तहत जहां टियर 1 एक एनपीएस खाता है जो पैसे की निकासी की अनुमति नहीं देता है, जबकि टियर 2 खाता एक निवेश खाते के रूप में जाना जाता है. यह एक स्वैच्छिक बचत खाता है जो स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या से जुड़ा है. टियर 2 खाता निकासी के संदर्भ में अधिक लचीलापन प्रदान करता है. इसमें किसी भी समय पर टियर 2 खाते से निकासी की जा सकती है.
एनपीएस से मिलने वाले आयकर लाभ
- इसमें कर्मचारी टैक्स छूट पाने के लिए आयकर की धारा 80सीसीडी (1) के तहत सैलरी का 10 प्रतिशत तक (बेसिक + महंगाई भत्ता) की राशि का योगदान एनपीएस में कर सकता है. यह योगदान आयकर की धारा 80सीसीई के तहत 1.50 लाख रुपये तक हो सकता है.
- इसमें नियोक्ता आयकर की धारा 80सीसीडी (2) के तहत कर्मचारी की 10 प्रतिशत तक बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता के बराबर राशि योगदान कर सकता है. इसके तहत 1.50 लाख रुपये तक की आयकर की धारा 80सीसीई के तहत छूट ली जा सकती है.
- इसमें कर्मचारी टियर 1 एनपीएस अकाउंट में 50000 रुपये या उससे अधिक का योगदान भी स्वैच्छिक तौर पर कर सकता है. साथ ही आयकर की धारा 80 सीसीडी 1(बी) के तहत इस पर 50000 रुपये तक टैक्स में छूट का भी दावा कर सकता है.