आपका नया फ्लैट पत्नी के नाम पर है तो इसे बेचने पर नहीं मिलेगा टैक्स छूट
अगर प्रॉपर्टी करदाता के नाम से नहीं है तो उसे इसका कानूनी हकदार बनना होगा, तभी टैक्स छूट का फायदा ले सकता है.
अगर आपके पास कोई पुराना घर है और अब आप उसे बेचना चाहते हैं और नया मकान या फ्लैट खरीदना चाहते हैं तो इस खबर पर विशेष ध्यान दें. आयकर अपीलीय प्राधिकरण (ITAT) की मुंबई की शाखा ने एक खास फैसला दिया है. प्राधिकरण ने ऐसे ही एक मामले में एक शख्स को पुराने घर की बिक्री से हुई आय पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) में छूट का लाभ देने से इनकार कर दिया. इसकी वजह थी नया घर पत्नी और बेटी के नाम से होना.
प्राधिकरण ने रखी शर्त
उपर्युक्त मामले में कर दाता ने नए घर को पत्नी और बेटी के नाम पर खरीदा था और वह पुराने घर की बिक्री पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन लेना चाहता था, लेकिन प्राधिकरण ने इससे इनकार कर दिया. हालांकि, इसी तरह के एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने करदाता के पक्ष में फैसला दिया था. प्राधिकरण की मुंबई शाखा ने बंबई हाईकोर्ट के एक फैसले के आधार पर यह फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स छूट पाने के लिए नई प्रॉपर्टी करदाता के नाम से होनी चाहिए. अगर प्रॉपर्टी करदाता के नाम से नहीं है तो उसे इसका कानूनी हकदार बनना होगा, तभी टैक्स छूट का फायदा ले सकता है.
प्रॉपर्टी से जुड़ा है नियम
आयकर कानून की धारा-54 के तहत प्रॉपर्टी या मकान की बिक्री के दो साल के अंदर नई प्रॉपर्टी खरीदने पर पुरानी प्रॉपर्टी की बिक्री से हुई आय पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन या दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर टैक्स से छूट मिलती है. अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया में पीपल एडवाइजरी सर्विसेज के निदेशक पुनीत गुप्ता का कहना है कि बंबई हाई कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र में आने वाले करदाताओं को कर नियमों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर करदाता अपनी पत्नी/पति या बच्चों के नाम पर नया घर खरीदना चाहता है तो बेहतर यह होगा कि वह उसमें अपना नाम भी शामिल कर दें. ऐसा करने पर कुछ छूट जरूर मिल जाएगी.
महंगाई दर भी है शामिल
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, आयकर कानून के तहत अगर करदाता किसी आवासीय घर को खरीदने के कम-से-कम दो साल बाद बेच देता है तो उस पर मिला लाभ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस पर महंगाई दर को जोड़ने के बाद 20% की दर से टैक्स लगता है. महंगाई की दर को समायोजित करने की प्रक्रिया को इंडेक्सेशन बेनिफिट कहते हैं. आयकर नियम के मुताबिक अगर इस दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की राशि घर बेचने के बाद एक निश्चित अवधि के अंदर भारत में नया घर खरीदने में खर्च की जाती है तो उस रासि पर कर नहीं देना होता है.