इनकम टैक्‍स कानून का नया ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित समिति कर नीति या दरों में बड़े बदलाव की सिफारिश करने की जगह मौजूदा कानून में अस्पष्टताओं और जटिलताओं को दूर कर इसे सरल बनाने पर जोर देगी. समिति के संयोजक अखिलेश रंजन ने यह जानकारी दी. रंजन ने कहा कि छह सदस्यीय समिति का गठन 50 साल से भी ज्यादा पुराने इनकम टैक्‍स कानून का मसौदा नये सिरे से तैयार करने के लिए किया गया है. समिति की जल्द ही बैठक होगी. उन्होंने कहा कि नया इनकम टैक्‍स कानून अधिक सरल भाषा में होगा.

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रंजन ने कहा कि कार्यबल के लिए कर की दरों में बदलाव उसका मुख्य एजेंडा नहीं है. कार्यबल का ध्यान कानून को सरल बनाने पर होगा और इसमें मौजूद जटिलताओं और विसंगतियों को दूर करना है. उन्होंने कहा कि आयकर कानून 1961 में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कई तरह के अनुच्छेद, प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. इन्हें अब सरल भाषा में लिखे जाने की आवश्यकता है.

रंजन ने कहा कि इनकम टैक्‍स कानून में एक के बाद एक नए प्रावधान, स्पष्टीकरण के ऊपर स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं जो कि काफी अस्पष्ट और जटिल बन गए हैं. इसलिए हमें इन प्रावधानों और कानून की सही मंशा को इसमें लाना होगा. ऐसे में चीजों को अधिक स्पष्ट बनाते हुए कुछ नई नीतिगत पहलें भी हो सकती हैं.

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) में सदस्य (विधायी कार्य) रंजन ने कहा कि मकसद कोई नई कर नीति लाने का नहीं है बल्कि इसका मकसद नए कानून को अधिक सरल और समझने योग्य बनाना है.

वित्त मंत्रालय ने समिति का गठन पिछले साल नवंबर में किया था. तब अरबिंद मोदी को इसका संयोजक बनाया गया था जो कि इस साल सितंबर में सेवानिवृत हो गए. इसके बाद 26 नवंबर 2018 को रंजन को समिति का नया संयोजक बनाया गया और उन्हें 28 फरवरी 2019 तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

यह पूछे जाने पर कि समिति 1 फरवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश होने से पहले कोई रिपोर्ट सौंपेगी? रंजन ने कहा यह नहीं लगता है. केंद्र की NDA सरकार 1 फरवरी को 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करेगी. पूर्ण बजट अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार पेश करेगी.