लीज रेंटल डिस्काउंटिंग एक ऐसा टूल है जिसके जरिए ग्राहक रेंटल रसीद दिखा कर बैंकों से लोन प्राप्त कर सकते हैं. बैंक ग्राहक के लॉन्ग-टर्म कैश फ्लो की जांच कर उन्हें एक तय अमाउंट लोन की तरह प्रोवाइड करता है. लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) देते समय बैंक कुछ खास बातों की जांच भी करते हैं.

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लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) के लिए एलिजिबिलिटी 

1.    आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू 

2.    ग्राहक के रीपेमेंट करने की क्षमता 

3.    कस्टमर के बाकी एसेट्स 

4.    कस्टमर की प्रॉपर्टी के लीगल और टेक्निकल एसपेक्ट 

5.    लायबिलिटी जो भी हो सकती हों

कैसे काम करता है लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD)

किराये की प्रॉपर्टी में एक निश्चित राशि बकाया होने पर लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) लोन का यूज किया जाता है. किराएदार प्रॉपर्टी के मालिक के साथ एक लीज का हिस्सा बनते हैं. इस अग्रीमेंट के तहत एक अमाउंट तय किया जाता है जिसे किराए के रूप में लिया जाता है. प्रॉपर्टी के मालिक लोन अप्लाई करते समय लीज duration के लिए किराए की रसीदों को कोलैटरल की तरह पेश करते हैं.

लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) के फायदे 

इस पूरी प्रोसेस में किराया सीधे मालिक के पास जाने के जगह EMI के रूप में बैंक को भेजा जाता है. लोन से जुड़े हर बैंक के अपने क्राइटेरिया होते हैं. लेकिन कई मामलों में आवेदनकर्ता को 70% तक लोन वैलिडेशन किया जा सकता है.

बिजनेस का प्रसार- प्रॉपर्टी ओनर आगे प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के लिए इस अमाउंट का यूज कर सकते हैं.

टैक्स बेनिफिट- ज्यादा प्रॉपर्टी के मालिक होने पर टैक्स बेनिफिट लिया जा सकता है.

बैलेंस्ड कैश फ्लो- borrower को एक बैलेंस्ड कैश फ्लो का फायदा मिलता है क्योंकि किराएदारों द्वारा दिए जाने वाले किराए से EMIs एडजस्ट की जाती हैं.

कम पैसों का खर्च- बैंक लोन से मिलने वाले कैपिटल से पर्सनल खर्चों को मैनेज कर सकते हैं. 

 

क्या आप लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) के लिए कर सकते हैं अप्लाई 

सैलरी प्राप्त करने वाले लोग, स्थायी बिजनेस के साथ प्रोफेशनल व्यक्ति, LRD के लिए क्वालिफाइड सेल्फ- एंप्लॉयड व्यक्ति गैर-व्यक्तिगत संस्थाओं के मामले में, कोई भी साझेदारी फर्म, निजी और सार्वजनिक लिमिटेड उद्यम के साथ-साथ प्रोपराइटरशिप फर्म भी पात्र हैं