Mutual Funds: दुनियाभर के लिए महंगाई एक अहम समस्या बन गई. कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में महंगाई अपने कई साल के उच्‍च स्‍तरों पर पहुंच गई. जिसके चलते दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों (Central Banks) ने लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है, ताकि मौद्रिक और फिस्कल प्रोत्साहन से बढ़ती महंगाई को रोका जा सके. पिछले साल से इस प्रोत्साहन और विशेष रूप से मौद्रिक सख्ती का असर महंगाई पर दिखने लगा है.

मई 2022 से 6 बार बढ़ा रेपो रेट

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भारत में भी महंगाई दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ बढ़ी है और इसे कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मई 2022 से अब तक 6 बार में ब्याज दरों में 250 बेसिस प्वाइट्स की बढ़ोतरी की है, जिसके बाद नीतिगत रेपो रेट 4% से बढ़कर 6.50% हो गया है. फिलहाल महंगाई अपने चरम पर पहुंचने के बाद अब धीरे-धीरे नरम पड़ने लगी है. PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड फिक्‍स्‍ड इनकम- हेड पुनीत पाल ने कहा, महंगाई दरों में कमी देखने को मिल रही है. यह फिक्‍स्‍ड इनकम वाले निवेशकों के लिए आगे चलकर अच्छा संकेत हो सकता है, क्योंकि आरबीआई द्वारा रेट हाइक साइकिल को रोके जाने की उम्मीद है.

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फिक्‍स्‍ड इनकम निवेश में स्थिर होगा रिटर्न

उन्होंने कहा, बॉन्ड यील्ड अभी स्थिर हो गई है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेट हाइक साइकिल के अंत की उम्मीदों को देखते हुए, फिक्‍स्‍ड इनकम निवेश विकल्पों से रिटर्न भी स्थिर हो सकता है. भारत में यील्ड कर्व सपाट है और अमेरिका में यह इससे काफी उलट है. इसका मतलब यह है कि बाजार महंगाई में और गिरावट की उम्मीद कर रहा है और आगे चलकर केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती की जा सकती है. ऐसा होता है तो कम होते ब्याज दरों के दौर फिक्‍स्‍ड इनकम वाले निवेशकों को उपार्जित आय के अलावा कैपिटल गेंस यानी पूंजीगत लाभ के रूप में दोहरा फायदा मिल सकता है.

अभी निवेश का सही है समय

पुनीत पाल ने बताया कि पिछले 2 साल में डेट फंड (Debt Fund) निवेशकों का सफर आसान नहीं रहा है, क्योंकि बढ़ती यील्ड ने बॉन्ड फंड्स के रिटर्न को प्रभावित किया है. जैसे जैसे हम ब्याज दरों में बढ़ोतरी में ठहराव और इससे आगे ब्याज दरों में कटौती की ओर बढ़ रहे हैं, डेट फंड निवेशकों को बेहतर अनुभव की उम्मीद हो सकती है. बॉन्ड यील्ड का मौजूदा स्तर फिक्स्ड इनकम फंड्स में निवेश का अच्छा मौका दे सकता है.

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साथ 3-5 साल की अवधि वाले फंड अभी बेहतर

गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पर AAA कॉरपोरेट बॉन्ड और SDL का प्रसार वर्तमान में टाइट हालत में है. इसलिए हम निवेशकों को सलाह देंगे कि वे प्रमुख सॉवरेन होल्डिंग्स के साथ 3-5 साल की अवधि वाले फंडों पर विचार करें. क्योंकि वे वर्तमान में बेहतर रिस्क-रिवार्ड की पेशकश कर सकते हैं. G-Sec के लिए प्रमुख आवंटन के साथ टारगेट मैच्योरिटी फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं जो वर्तमान में बढ़ी हुई यील्ड का लाभ उठाने के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित और लिक्विड रूट की तलाश कर रहे हैं.

इस कैटेगरी में अस्थिरता कम

इन फंडों को या तो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स या इंडेक्स फंड्स के रूप में डिजाइन किया गया है. उन्हें रोल डाउन रणनीति के साथ निष्क्रिय रूप से प्रबंधित किया जाता है, जिसमें बॉन्‍ड मैच्‍योरिटी तक रखे जाते हैं. नतीजतन, हर गुजरते साल के साथ अवधि कम हो जाती है, कुछ हद तक ब्याज दर जोखिम कम हो जाता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं. इसलिए इस श्रेणी में अस्थिरता कम होती है. कूपन को मौजूदा अंतर्निहित बॉन्ड या समान मैच्‍योरिटी और क्रेडिट रेटिंग के बॉन्ड में फिर से निवेश किया जाता है. उदाहरण के लिए, अगर फंड की मैच्योरिटी अवधि 2028 है, तो यह उन बॉन्ड में निवेश करेगा जो योजना की मैच्योरिटी तिथि के अनुसार मैच्‍योर होंगे.

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इमरजेंसी में आता है काम

अगर निवेश को 3 साल से अधिक समय तक रखा जाता है, तो निवेशकों को लंबी अवधि के कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है. ये ओपन-एंडेड फंड हैं, इसलिए किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में निवेशक इन्हें मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं. इस तरह, टारगेटेड मैच्योरिटी फंड  में वे सभी विशेषताएं हैं जो उन्हें इस मोड़ पर एक आदर्श निवेश अवसर बना सकती हैं. निवेशकों को एक टारगेटेड मैच्योरिटी फंड चुनने की सलाह है जो उनकी जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि से मेल खाता हो.

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