Mutual Funds में निवेश करने वालों की संख्‍या हर दिन बढ़ रही है. SIP के जरिए म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करना न सिर्फ लोगों के लिए आसान है, बल्कि लॉन्‍ग टर्म में उन्‍हें अच्‍छा रिटर्न भी देने में सक्षम है, जो‍कि किसी अन्‍य स्‍कीम में आसानी से नहीं मिलता. यही कारण है कि अब छोटे शहरों और कस्‍बों में भी लोग म्‍यूचुअल फंड्स में बढ़चढ़ कर निवेश कर रहे हैं. लेकिन सिर्फ लोगों की बातों को सुनकर निवेश करना ठीक नहीं. इसमें छोटी-छोटी गलतियां आपका बड़ा नुकसान भी करा सकती हैं. यहां जानिए वो गलतियां जो आपको नहीं करनी चाहिए.

मुनाफे के चक्‍कर में नजरअंदाज न करें आर्थिक हालात

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सिर्फ ज्‍यादा मुनाफा कमाने के चक्‍कर में SIP में बड़ी रकम को निवेश न करें, वरना आपका बजट गड़बड़ा जाएगा. ये भी संभव है कि आप अपनी एसआईपी को लंबे समय तक जारी ही न रख सकें. इसलिए आप अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए निवेश की राशि तय करें. SIP में आपको फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है. आप इसे कभी भी बंद कर सकते हैं, बीच में रोक सकते हैं और SIP में रकम को बढ़ा या घटा सकते हैं. इस फ्लैक्सिबिलिटी का फायदा उठाइए और अपनी जेब को देखकर निवेश कीजिए. फिर जैसे-जैसे आमदनी बढ़े, उसके हिसाब से निवेश बढ़ाते जाएं. 

लॉन्‍ग टर्म के लिए निवेश न करना

SIP आप शॉर्ट टर्म के लिए भी शुरू कर सकते हैं, लेकिन अगर बड़ा मुनाफा लेना चाहते हैं तो लॉन्‍ग टर्म के लिए इसमें इन्‍वेस्‍टमेंट करें. लॉन्‍ग टर्म में जोखिम कम होता है. एवरेजिंग का फायदा मिलता है. लंबे समय में आप बेहतर रिटर्न ले सकते हैं.

डायवर्सिफिकेशन की कमी

अपना सारा पैसा एक ही फंड में लगाने से बचें. इससे आपके निवेश का जोखिम बढ़ता है. आप अपने निवेश को  डेट, इक्विटी और अन्य एसेट क्लास में बैलेंस करें. इससे आप अपना जोखिम काफी हद तक कम कर सकते हैं.

एक्‍सपेंस रेश्‍यो को नजरअंदाज करना

म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक्‍सपेंस रेश्‍यो को नजरअंदाज न करें. आमतौर पर आपको लगता होगा कि अगर किसी फंड का रिटर्न 15 फीसदी या 18 फीसदी है तो आपको भी निवेश करने पर उतना ही फायदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता क्‍योंकि इसके बीच एक्सपेंस रेश्यो आ जाता है. आपके म्‍यूचुअल फंड को मैनेजमेंट का जो भी खर्च आता है उसे एक्‍सपेंस रेश्‍यो कहा जाता है. किसी भी फंड का एक्सपेंस रेश्यो ही ये तय करता है कि आपको कोई फंड कितना सस्ता मिलेगा. एक्‍सपेंस रेश्‍यो कम या ज्‍यादा होने का असर आपके रिटर्न पर भी पड़ता है.