क्या होता है लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप? Mutual Funds में करने जा रहे हैं निवेश तो जरूर जान लें इसका फर्क
शेयर बाजार में कंपनियों को कैप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से होता है. यहां जानिए लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के बीच क्या है फर्क.
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको मार्केट से जुड़ी थोड़ी जानकारी जरूर होनी चाहिए. इसमें निवेश के दौरान फंड का चुनाव किया जाता है. आपकी जरूरत के हिसाब से आपको किस तरह के फंड का चुनाव करना चाहिए, स्मॉल कैप, मिड कैप और लार्ज कैप? इसके बारे में आपको पता होना चाहिए क्योंकि सभी के अपने-अपने फायदे हैं और उसी हिसाब से इसमें रिस्क भी हैं.
दरअसल शेयर बाजार में कंपनियों को कैप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से होता है. कैपिटलाइजेशन के आधार पर इन कंपनियों अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. कंपनियों का कैपिटलाइजेशन शेयर मार्केट द्वारा निर्धारित उनकी वैल्यू को बताता है. यहां जानिए लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के बीच क्या है फर्क.
लार्ज कैप
आमतौर पर जिस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होती है, उन्हें लार्ज कैप की श्रेणी में रखा जाता है. लार्ज कैप होने के कारण इन कंपनियों की मार्केट में मजबूत पकड़ होती है. बाजार के उतार-चढ़ाव का इन पर मिड कैप और स्माल कैप की तुलना में कम असर पड़ता है. मार्केट करेक्शन पर इनमें ज्यादा अस्थिरता देखने को नहीं मिलती, इसकी ग्रोथ संतुलित होती है. ज्यादातर एक्सपर्ट इनमें निवेश को सुरक्षित मानते हैं.
मिड कैप
जिस कंपनी का मार्केट वैल्यू 5000 करोड़ रुपए से लेकर 20,000 करोड़ रुपए तक है, वो कंपनी मिड कैप की कैटेगरी में आती है. मिड कैप कंपनियों में बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है. वहीं निवेश से ज्यादा रिटर्न पाने का मौका होता है. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने का मन बना चुके हैं, तो आपको एक बार कंपनी की कैटेगरी पर गौर जरूर कर लेना चाहिए. इससे बाद में आपको पछताना नहीं पड़ता.
स्मॉल कैप
जिन कंपनियों की मार्केट कैपिटलाइजेशन 5000 करोड़ रुपए से कम होती है, वो स्मॉल कैप की कैटेगरी में आती है. इन कंपनियों की भविष्य में मिड कैप बनने की संभावना होती है. स्मॉल-कैप कंपनियां हाई रिस्क और हाई रिटर्न स्टॉक निवेश हैं. इनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, लेकिन अगर चीजें ठीक न हो तो बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ सकता है.