Small Cap Funds में निवेश का क्यों है सही समय? कैसे आएगी ग्रोथ, 5 प्वाइंट में समझिये
Small Cap Funds: साल 2000 से दुनियाभर में भारत का मल्टीबैगर्स की लिस्ट में दबदबा है. भारत में मल्टीबैगर्स में सबसे ज्यादा तगड़ी मौजूदगी स्मॉल कैप्स की है. अल्फा जेनरेशन के लिए स्मॉल कैप्स एक अच्छा मौका उपलब्ध कराते हैं.
Small Cap Funds: म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन का एक बेहतर ऑप्शन है. बीते सालों में बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुल फंड्स पर निवेशकों का भरोसा बना हुआ है. बीते करीब ढाई साल से इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds) में लगातार इनफ्लो बना हुआ है. म्यूचुअल फंड्स में कई कैटेगरी जैसेकि लार्जकैप, मल्टीकैप, फ्लेक्सी कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप, सेक्टोरल फंड हैं. इनमें एक कैटेगरी स्मॉल कैप फंड्स (Small Cap Funds) की है. 2023 में अब तक निवेश पैटर्न देखें, तो स्मॉल कैप फंड्स में ताबड़तोड़ पैसा आ रहा है. स्मॉल कैप फंड्स का निवेश ऐसी कंपनियों में होता है, जिनका मार्केट कैप 500 करोड़ रुपये से कम होता है. एडलवाइस म्यूचुअल फंड (Edelweiss Mutual Fund) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि स्मॉल कैप्स अल्फा जेनरेशेन (alpha generation) के लिए बड़ा मौका दे रहे हैं. अगर लंबी अवधि में अच्छा-खासा वेल्थ बनाना है, तो स्मॉल कैप फंड्स में निवेश का यह सही समय है.
एडलवाइस म्यूचुअल फंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 से दुनियाभर में भारत का मल्टीबैगर्स की लिस्ट में दबदबा है. भारत में मल्टीबैगर्स में सबसे ज्यादा तगड़ी मौजूदगी स्मॉल कैप्स की है. अल्फा जेनरेशन के लिए स्मॉल कैप्स एक अच्छा मौका उपलब्ध कराते हैं. अल्फा जेनरेशन से मतलब कि जब भी इन फंड्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करते हैं, तो बिना अतिरिक्त रिस्क के इनमें तगड़ा रिटर्न या प्री-सलेक्टेड बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न जेनरेट होता है. स्मॉल कैप्स में भविष्य में मिडकैप और लार्जकैप बनने की क्षमता होती हैं. लंबी अवधि में स्मॉल कैप की परफॉर्मेंस लार्ज कैप से बेहतर रही है.
Small Cap Funds: क्यों निवेश का सही समय
एडवाइजस म्यूचुअल फंड का कहना है कि स्मॉल कैप फंड्स में निवेश करने का यह सही समय है. इन फंड्स में वैल्युएशन और अर्निंग्स ग्रोथ मिलकर बेहतर रिटर्न जेनरेट कर रहे हैं. वैल्युएशंस में उनके पीक से अच्छा करेक्शन हुआ है. वहीं, लार्ज कैप के मुकाबले स्मॉल कैप PE डिस्काउंट पर हैं. इनकी अर्निंग्स साइकिल में तेजी शुरू हुई है. Nifty Smallcap 100 EPS बेहतर अर्निंग्स ग्रोथ दिखा रहा है. इसके अलावा बैंकिंग सिस्टम लिक्विडटी और स्मालकैप इंडेक्स परफॉर्मेंस का कोरिलेशन बेहतर नजर आ रहा है. बेहतर अर्निंग्स ग्रोथ और री-रेटिंग के दम पर आगे इन कंपनियों की मार्केट कैप बढ़ रहा है. कई स्मॉल कैप कंपनियां आगे मिडकैप लार्जकैप बनने का दम रखती है.
Small Cap Funds: 5 प्वाइंट में समझें, कैसे मिलेगी ग्रोथ
1- वैल्युएशन: स्मॉल कैप अभी आकर्षक कीमत पर मिल रहे हैं.
2- ग्रोथ क्षमता: स्मॉल कैप्स ही अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं.
3- इकोनॉमिक रिकवरी: इकोनॉमिक रिकवरी के दौरान स्मॉल कैप्स आगे मिड कैप्स और लार्ज कैप्स को आउटपरफॉर्म कर सकते हैं.
4- अल्फा फैक्टर: तगड़ा रिटर्न या प्री-सलेक्टेड बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न जेनरेट करने की क्षमता होती है. इसमें कंपनियों का एक्विव मैनेजमेंट अहम रोल होता है.
5- यूनिक सेक्टर: स्मॉल कैप्स में लार्ज कैप्स के मुकाबले निवेश के लिए काफी ज्यादा रेंज उपलब्ध होती है.
Small Cap Funds: क्या होते हैं?
स्मॉल कैप फंड का निवेश स्मॉल कैप कंपनियों में होता है. स्मॉल कैप कंपनियों का मार्केट कैप कम होता है. कंपनियों का मार्केट कैप 500 करोड़ रुपये से कम होता है. आमतौर पर स्मालकैप फंड्स में मार्केट कैप में 251वी रैंक से शुरू होने वाली कंपनियों में निवेश होता है. कंपनियों के कारोबार में तेज वृद्धि की उम्मीद रहती है. फंड हाउस निवेश के लिए कंपनी की पहचान उसके ग्रोथ आकलन के आधार पर करते हैं.
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अभी तक हर महीने स्मॉल कैप फंड्स में इनफ्लो बना हुआ है. मई 2023 में स्मालकैप फंड्स में 3,282.50 करोड़ रुपये का निवेश हुआ. इससे पहले अप्रैल महीने में 2,182.44 करोड़, मार्च में 2,430.04 करोड़, फरवरी में 2,246.30 करोड़ और जनवरी में 2,255.85 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ था.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. यहां निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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