SIP vs STP: म्यूचअल फंड में आपके लिए क्या है बेहतर ऑप्शन, कैसे करें निवेश का फैसला? एक्सपर्ट से समझें
SIP vs STP: म्यूचुअल फंड स्कीम्स में SIP के जरिए निवेशक एक निश्चित अमाउंट हर महीने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) और म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लंबी अवधि के नजरिए से निवेश कर सकते हैं. वहीं, STP एक ऐसी SIP है, जो एक म्यूचुअल फंड से दूसरे म्यूचुअल फंड में की जाती है.
SIP vs STP: म्यूचुअल फंड स्कीम्स (Mutual Fund Scheme) में निवेश आप कई तरह से कर सकते हैं. इसमें इन्वेस्टर्स खासकर रिटेल निवेशकों के बीच SIP (सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान) काफी पॉपुलर है. SIP के जरिए निवेशक एक निश्चित अमाउंट हर महीने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) और म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लंबी अवधि के नजरिए से निवेश कर सकते हैं. SIP में लंबी अवधि में कम्पाउंडिंग का जबरदस्त फायदा होता है. SIP की तरह म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश का एक तरीका सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) भी है. STP में निवेशक एकमुश्त अमाउंट किसी म्यूचुअल फंड स्कीम (आमतौर पर डेट फंड) में निवेश करते हैं और उसके बाद एक रेगुलर इंटरवल पर उसे इक्विटी स्कीम्स में ट्रांसफर करते हैं. यानी, STP एक ऐसी SIP है, जो एक म्यूचुअल फंड से दूसरे म्यूचुअल फंड में की जाती है.
IDBI AMC के हेड (प्रोडक्ट एंड मार्केटिंग) अजीत गोस्वामी का कहना है, SIP के जरिए निवेशक एक निश्चित अमाउंट किसी खास म्यूचुअल फंड में रेगुलर इंटरवल पर निवेश करता है. जबकि, STP में पहले एकमुश्त अमाउंट किसी एक म्यूचुअल फंड स्कीम में लगाते हैं. उसके बाद एक रेगुलर इंटरवल पर उस म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी स्कीम में फंड को ट्रांसफर करते हैं. आमतौर डेट स्कीम से इक्विटी स्कीम्स में फंड ट्रांसफर करते हैं. दरअसल, बाजार के उतार-चढ़ाव में जोखिम को कम करने के साथ-साथ बेहतर रिटर्न के लिए STP अच्छा ऑप्शन होता है.
सीधे शब्दों में समझें, तो STP के जरिए निवेशकों को अलग-अलग एसेट क्लास के बीच बिना किसी रुकावट के स्विच करते हुए अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने में मदद करती है. इससे उतार-चढ़ाव कम होता है और फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने में मदद मिलती है.
SIP vs STP: किसे चुनना बेहतर?
अजीत गोस्वामी का कहना है, SIP और STP में काफी अंतर है और निवेश के मकसद भी अलग-अलग हैं. म्यूचुअल फंड SIP में बेसिक आइडिया यह है कि इसमें एक तय समय में आपका निवेश बड़ा हो सकता है. STP में पैसे को लिक्विड फंड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में रखने से निवेशकों को थोड़ा अतिरिक्त लाभ होता है. इसके अलावा, SIP और STP के रिटर्न की तुलना नहीं की जा सकती है. वे दोनों रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का बेनेफिट देते हैं. दोनों ही निवेश सिस्टमेटिक तरीके हैं. इनमें निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि SIP और STP को चुनने की जरूरत भी अलग-अलग होती है. SIP उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो लंबी अवधि के लिए समय-समय पर निवेश करना चाहते हैं. इसी तरह, STP भी इसी मकसद को पूरा कर सकता है. हालांकि, इसमें निवेशक को एक फंड में एकमुश्त निवेश करना होता है और फिर इसे एक निश्चित अवधि के लिए मंथली ट्रांसफर करना होता है.
अजीत गोस्वामी कहते हैं, SIP उन निवेशकों के लिए ज्यादा बेहतर है, जिनके पास निवेश करने के लिए एक मुश्त पैसा है. ऐसे निवेशक इन्वेस्टमेंट डिसिप्लीन बनाए रखने के लिए रेगुलर एक छोटी रकम निवेश कर सकते हैं. दूसरी ओर, जो निवेशक इक्विटी स्कीम में अपना पूरा पैसा एक बार में निवेश करने से हिचकते हैं, वे STP ऑप्शन चुन सकते हैं. इसके अलावा, हर बार अमाउंट ट्रांसफर करने की चिंता किए बिना कोई भी ट्रांसफर सेट कर सकता है. कुल मिलाकर बात करें, तो निवेश का कोई भी फैसला निवेशक के फाइनेंशियल गोल पर निर्भर करता है. किसी को अपनी फाइनेंशियल प्लान के आधार पर एक बेहतर निवेश का फैसला करना चाहिए.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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