Mutual Fund: बढ़ती ब्याज दरों के दौर में Debt Funds में क्यों करना चाहिए निवेश? क्या है एक्सपर्ट की सलाह
Debt Mutual Funds: एक्सपर्ट मानते हैं कि बेकाबू महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों के बीच अगर मंदी की आशंकाओं के बीच डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश एक अच्छा मौका है. मौजूदा माहौल में शॉर्ट टू मीडियम टर्म फंड्स में निवेश करना एक अच्छा विकल्प है.
Debt Mutual Funds: बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों का भरोसा बना हुआ है. इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 40 लाख करोड़ के आसपास है. म्यूचुअल फंड में एक कैटेगरी डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) की है. इनमें इक्विटी फंड्स के मुकाबले रिस्क थोड़ा कम रहता है. एक्सपर्ट मानते हैं कि बेकाबू महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों के बीच अगर मंदी की आशंकाओं के बीच डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश एक अच्छा मौका है. मौजूदा माहौल में शॉर्ट टू मीडियम टर्म फंड्स में निवेश करना एक अच्छा विकल्प है. बीते 3 साल में टॉप 5 डेट फंड्स का रिटर्न देखें तो यह औसतन 10-12 फीसदी सालाना रहा है.
Debt Fund एक्सपर्ट क्यों दे निवेश की सलाह
बीएनपी फिनकैप के डायरेक्ट एके निगम का कहना है कि मौजूदा हालात देखें, तो निवेशकों के लिए डेट फंड अच्छा ऑप्शन है. कम रिस्क में बेहतर रिटर्न बेहतर मिलने की उम्मीद है. साथ ही साथ इन फंड्स में निवेशकों को लिक्विडिटी और टैक्सेशन का भी फायदा मिलेगा.
उनका कहना है कि शॉर्ट टर्म वाले डेट फंड्स में पैसे लगाने का फायदा यह है कि इसमें न तो लिक्विडिटी का झंझट है और न ही एग्जिट लोड की टेंशन है. इसका फायदा यह होगा कि आगे जहां ब्याज ज्यादा मिल रहा हो, वहां स्विच कर जाएं. इसके लिए लिक्विड फंड, अल्ट्रा शार्ट ड्यूरेशन फंड, शार्ट ड्यूरेशन फंड बेहतर ऑप्शन हैं. डेट फंड अभी आकर्षक हैं. आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला रुकेगा, तो इन फंड्स में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है. ऐसे में लंबी अवधि में भी यह फायदेमंद हो सकता है. लेकिन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए आपको तीन साल इंतजार करना पड़ेगा.
भारतीय बॉन्ड मार्केट को मिलेगा सपोर्ट
IDBI AMC के हेड (मार्केटिंग एंड प्रोडक्ट) अजीत गोस्वामी का कहना है, हायर यील्ड्स के चलते डेट फंड एक आकर्षक एसेट क्लास बन गया है. ऐसे में निवेशकों को सलाह है कि वे अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद से 1 से 3 साल के नजरिए से लॉन्ग ड्यूरेशन वाली स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं. आने वाले समय में RBI की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार कम होगी, महंगाई नरम पड़ेगी, कमोडिटी की कीमतें नीचे आएंगी, तो इससे भारतीय बॉन्ड मार्केट को सपोर्ट मिलेगा.
बता दें, अगर ग्लोबल स्तर पर निवेशक साल 2023 की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद करना शुरू कर देते हैं, तो भारत में यील्ड्स कम होना शुरू हो जाएगा. शॉर्ट टर्म रेट्स में सर्वाधिक इजाफा हुआ है. एक वर्ष से कम की दरों में CY22 में 225-275 बीपीएस का इजाफा हुआ है. जबकि 10 साल में करीब 80 बीपीएस की बढ़ोतरी हुई. एक फ्लैट यील्ड कर्व निवेशकों को शॉर्ट टू मीडियम टर्म के फंड में निवेश करने का अवसर देता है.
(डिस्क्लमेर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. यहां निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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