निवेश कब करें, कहां करें और किस तरह करें? बतौर निवेशक दिमाग ये सवाल आते ही हैं. लेकिन अगर निवेश से पहले इन सवालों का जवाब जान लें तो आसानी होगी. इनवेस्टमेंट के लिए म्यूचुअल फंड्स का तरीका बेहद पॉपुलर है. क्योंकि इसमें एकमुश्त भी पैसा लगाया जा सकता है और हिस्सों में भी. सबसे खास बात तो यह है कि निवेशक अपने जोखिम और वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से निवेश कर सकते हैं. हालांकि, फंड्स के चुनाव में अक्सर कुछ गलतियां निवेशक कर ही देते हैं. इसलिए जानना जरूरी है कि फंड्स के चुनाव से पहले किन बातों का ख्याल रखना चाहिए. इस पर ऑप्टिमा प्राइम के पंकज मठपाल ने 5 स्मार्ट टिप्स बताए....

1. फाइनेंशियल गोल को समझें

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म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले जरूरी है कि निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों को समझें. इसके तहत अकाउंट में सरप्लस फंड कितना है, वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने कितना समय लगेगा यह सब जान लें. इससे हर महीने निवेश के लिए रकम तय करने में आसानी होगी. साथ ही बेफिजूल खर्चों पर कम होगी. 

2. वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर करें फंड्स का चुनाव

म्यूचुअल फंड चुनते समय सही इनवेस्टमेंट प्रोफाइल चुनें. असेट क्लास, इनवेस्टमेंट गोल और रिस्क के आधार पर कई तरह के म्यूचुअल फंड्स होते हैं, जो निवेशक के फाइनेंशियल टारगेट को पूरी करने में मदद करते हैं. इसलिए फंड्स का चुनाव अपने लक्ष्यों के आधार पर ही करें. अगर आप नए निवेशक हैं तो डेट फंड्स या हाइब्रिड फंड्स से इसकी शुरुआत कर सकते हैं. इसमें रिस्क एक्सपोजर कम होता है.

3. केवल पिछले परफॉर्मेंस पर न चुनें MFs

म्यूचुअल फंड को चुनते समय उसको केवल पिछले प्रदर्शन पर चुनना सही नहीं. क्योंकि पिछले रिटर्न से लॉन्ग टर्म के प्रदर्शन का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन इससे फंड के रिटर्न का एनलिसिस जरूर किया जा सकता है. फंड का चुनाव करते समय फंड मैनेजर के और AMC के ट्रैक रिकॉर्ड को जान लें. फंड का पोर्टफोलियो देख लें कि इसमें कितने स्टॉक्स हैं और कितने बॉन्ड्स हैं. एक बात और  फंड के NAV को देख कर फंड का चुनाव न करें. 

4. सिर्फ टैक्स बचाने के निवेश न करें

जब हम निवेश की सोचते हैं तब कहीं ना कहीं टैक्स बचाना भी एक उद्देश्य होता है. लेकिन म्यूचुअल फंड में केवल इसी एक वजह से निवेश नहीं करना चाहिए. क्योंकि MFs मजबूत रिटर्न के जरिए निवेशकों को उनको फाइनेंशियल टारगेट को पूरा करने में मदद करता है, जो उसकी पहली प्राथमिकता भी है. इसमें रिटायरमेंट कॉरपस, बच्चों का एजुकेशन, घर खरीदना और जमीन खरीदना शामिल है. टैक्स सेविंग इन्हीं में से एक है. बता दें कि सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक की टैक्स छूट मिलती है. 

5. जब संभव हो तब निवेश करें शुरू

अच्छे रिटर्न के लिए पहली शर्त टाइमिंग की होती है. निवेश लॉन्ग टर्म के लिए है तो मार्केट का रिवॉर्ड भी मजबूती होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि निवेश की शुरुआत कब करें, तो इसका जवाब है जब भी सरप्लस अमाउंट हो निवेश की शुरुआत कर देना चाहिए. अगर सैलरीड निवेशक हैं तो SIP के जरिए निवेश करें या लंपसंप यानी एकमुश्त के जरिए विंडफाल गेन निवेश कर सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि SIP के जरिए एक अनुशासित निवेश होता है. इसमें मार्केट टाइमिंग की जरूरत नहीं होती, फ्लैक्सबिलिटी मिलती है और कंपाउंडिंग पावर का फायदा मिलता है.