Mutual Fund Investment: बीते कुछ सालों में निवेश के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज में कमी के कारण निवेशकों ने निवेश के दूसरे विकल्पों की तरफ रुख किया. इसका सबसे ज्यादा फायदा म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को मिला. वित्त वर्ष 2018-19 में हाउसहोल्ड सेविंग्स में फिक्स्ड डिपॉजिट का योगदान 38 फीसदी था. घटते रिटर्न के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में यह 27 फीसदी पर आ गया था. इस दौरान MF में निवेश का आंकड़ा 2.4 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी तक पहुंच गया.

PPF में भी बढ़ा निवेश

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ICICI सिक्यॉरिटीज की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2022 के बीच पब्लिक प्रोविडेंट फंड के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ा. हाउसहोल्ड सेविंग्स में इसका शेयर 19 फीसदी से बढ़कर 22.7 फीसदी पर पहुंच गया. वर्तमान में PPF पर 7.1 फीसदी का ब्याज मिलता है.

1 अप्रैल से लागू होगा नया नियम

सिक्यॉरिटीज के रिसर्च ऐनालिस्ट अंशुमन देव और रविन कुड़वा ने कहा कि फाइनेंस बिल 2023 में सरकार ने डेट म्यूचुअल फंड्स को लेकर नियम में बदलाव किया है. अब डेट फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा. इसका फायदा फिक्स्ड डिपॉजिट्स को मिलेगा. बदले नियम के कारण डेट फंड स्कीम के 4 लाख करोड़ के असेट अंडर मैनेजमेंट पर असर दिख सकता है. नया नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू होगा. 31 मार्च 2023 तक किए गए नए और पुराने निवेश पर, पुराने नियम के हिसाब से टैक्स बेनिफिट और इंडेक्सेशन का लाभ मिलता रहेगा.

3 साल से ज्यादा वाले डेट फंड्स पर दिखेगा असर

ऐनालिस्ट ने कहा कि 3 साल से ज्यादा अवधि वाले डेट फंड्स कैटिगरी पर बदले नियम का सबसे ज्यादा असर होगा. फाइनेंसल बिल 2023 में डेट फंड्स, जिनका इक्विटी एक्सपोजर 35 फीसदी तक है, उसपर हर तरह का कैपिटल गेन मार्जिनल टैक्स रेट के दायरे में आएगा. इन्वेस्टर, जिस टैक्स ब्रैकेट के अंतर्गत आता है, उस हिसाब से उसे टैक्स चुकाना होगा. इसका असर डेट फंड्स, Gold ETF, इंटरनेशनल फंड्स, मल्टी असेट फंड्स, डायनामिक असेट अलोकेशन फंड्स और कंजर्वेटिव हायब्रिड फंड्स पर होगा.

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