SIP से पैसे कैसे निकालें? कितना लगेगा टैक्स, कब करनी चाहिए निकासी; एक्सपर्ट से जानें हर डीटेल
How to withdraw sip amount: एक्सपर्ट का मानना है कि SIP से आंशिक रूप या पूरी तरह पैसे निकालने से पहले हमें लिक्विडिटी की जरूरत, निवेश के उद्देश्य, टैक्स देनदारी समेत कई पहलुओं पर विचार कर लेना चाहिए.
How to withdraw sip amount: म्यूचुअल फंड्स आज के समय में लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन का एक बेहतर ऑप्शन बनकर उभरा है. SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) म्यूचुअल फड्स में निवेश का एक सबसे पॉपुलर रास्ता है. SIP के जरिए निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स, बैंक, मोबाइल अप्लीकेशनंस और अन्य ऑन्लाइन प्लेटफॉर्म्स की भरमार है. लेकिन, निवेशकों को ज्यादातर दिक्कत म्यूचुअल फंड SIP के जरिए पैसे निकालने या रिडम्शन के समय होती है. जैसेकि, SIP से निकासी के समय किन फैक्टर्स को ध्यान में रखना चाहिए. कब पैसे निकालने चाहिए और किस तरह की टैक्स देनदारी बनती है. एक्सपर्ट का मानना है कि SIP से आंशिक रूप या पूरी तरह पैसे निकालने से पहले हमें लिक्विडिटी की जरूरत, निवेश के उद्देश्य, टैक्स देनदारी समेत कई पहलुओं पर विचार कर लेना चाहिए.
एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (ARIA) की बोर्ड मेम्बर रेनु माहेश्वरी का कहना है, किसी भी निवेश से विड्रॉल यानी निकासी करते समय में कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए. जैसेकि, निवेशक का फाइनेंशियल गोल्स या निवेश का मकसद, मैक्रो/मार्केट कंडिशन, एग्जिट लोड और टैक्स देनदारी पर जरूर गौर करना चाहिए.
रेनु माहेश्वरी का कहना है, रिडम्शन से पहले लॉक इन पीरियड देख लें. ELSS में 3 साल का लॉक-इन होता है. अगर निवेश SIPs के जरिए किया गया था, तो केवल पहला SIP 3 साल के बाद और दूसरा 3 साल 1 महीने के बाद और इसी तरह रिडम्शन किया जा सकेगा. अगर फंड अंडर-परफॉर्म नहीं कर रहा है और पैसे की तत्काल जरूरत नहीं है, तो पहली एसआईपी से 4 साल बाद एकमुश्त राशि निकालनी चाहिए.
समझ लें एग्जिट लोड
माहेश्वरी का कहना है, कुछ फंड्स पर एक तय समय से पहले रिडीम किए जाने पर 1% या ज्यादा एग्जिट लोन देना होगा. इक्विटी फंड्स के मामले में आमतौर पर 1 साल का समय होता है. यानी, अगर 1 साल से पहले निकासी की तो, एग्जिट लोड देना होगा. निवेशकों को अगर पैसे की तत्काल आवश्यकता न हो, तो एग्जिट लोड अवधि समाप्त होने से पहले रिडीम नहीं करना चाहिए.
कितना लगेगा कैपिटल गेन्स टैक्स
उनका कहना है कि टैक्सेशन के नजरिए से लंबी अवधि के लिए कैपिटल गेन हासिल करना बेहतर है. जो इक्विटी फंड के लिए 10% (एक वर्ष के बाद) और 20% इंडेक्सेशन (3 साल बाद) के बाद है. रिडम्शन का फैसला लेने का सबसे अच्छा तरीका अपने गोल को ध्यान में रखना है. निवेश के लक्ष्यों से कम से कम 3 साल पहले इक्विटी फंड से रिडीम करना (अगर आपके सलाहकार की राय अलग न हो) शुरू कर सकते हैं.
कैसे कर सकते हैं निकासी
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के मुताबिक, ऑनलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से म्यूचुअल फंड एसआईपी से रिडम्शन कर सकते हैं. ऑफलाइन मोड में यूनिट हल्डर को एएमसी या रजिस्ट्रार के डेजिग्नेटेड ऑफिस में विधिवत हस्ताक्षरित रिडेम्पशन रिक्वेस्ट फॉर्म जमा करना होगा. इसमें यूनिट होल्ड का नाम, फोलियो नंबर, स्कीम का नाम, कितनी यूनिट रिडीम करनी है, प्लान की डीटेल जैसी जानकारी देनी होगी. रिडम्शन प्रॉसेस पूरा होने के बाद रकम रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है.
ऑनलाइन रिडम्शन के लिए यूनिट होल्डर को संबंधित म्यूचुअल फंड के 'ऑनलाइन ट्रांजैक्शन' पेज पर लॉग-इन करना होगा. फोलियो नंबर या PAN के जरिए लॉग-इन करिए, उसके बाद स्कीम और यूनिट्स (या अमाउंट) की संख्या देनी होगी. इसके बाद ट्रांजैक्शन हो जाएगा. इसके अलावा CAMS, Karvy जैसे सेंट्रल सर्विसे प्रोवाइडर्स भी कई एसेट मैनेजमेंट कंपनीज (AMCs) से खरीदे गए म्यूचुअल फंड के रिडम्शन ऑफर करते हैं. इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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