विदेशी बाजार में भी म्यूचुअल फंड्स से कमा सकते हैं बंपर रिटर्न, जानिए क्या है प्रोसेस
अब अगर म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना चाहते हैं तो यह प्रक्रिया बेहद आसान है. इसकी शुरुआत विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली भारतीय म्यूचुअल फंड हाउसेज के जरिए की जा सकती है.
अगर भारतीय शेयर बाजार के साथ-साथ विदेशी शेयर बाजार में भी निवेश की सोच रहे हैं तो यह करना बेहद आसान प्रक्रिया है. इसी का नतीजा है कि भारतीयों का विदेशी बाजार में निवेश बढ़ा है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक FY22 में भारतीयों ने 1960 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया. विदेशी बाजार में निवेश का यह आंकड़ा पिछले साल 1260 करोड़ डॉलर के आस पास था. यानी दिन प्रति दिन भारतीयों का रुझान विदेशी शेयर मार्केट की ओर बढ़ा है.
कैसे करें विदेशी म्यूचुअल फंड्स में निवेश
अब अगर म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना चाहते हैं तो यह प्रक्रिया बेहद आसान है. इसकी शुरुआत विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली भारतीय म्यूचुअल फंड हाउसेज के जरिए की जा सकती है. इसकी खास बात यह है कि इस तरह फंड में फॉरेन करेंसी में कनवर्ट करना या इससे जुड़े जोखिम कम होते हैं. इस तरह के फंड्स का NV देखकर निवेश किया जा सकता है.
एक्टिव और पैसिव MF में निवेश
एक्टिव म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेजर निवेशकों की मदद करता है. जैसे कि निवेश की रकम किस स्टॉक और सेक्टर में डालना चाहिए. ऐसे में निवशकों को मिलने वाला रिटर्न फंड मैनेजर के फैसले के आधार पर होता है. अब अगर पैसिव फंड्स एक इंडेक्स की बात करें तो इसमें S&P 500 या S&P 500 टॉप 50 या नैस्डैक 100 की कंपनियों में निवेश किया जाता है. इसमें जो रिटर्न इंडेक्स दे रहा होता है, वही रिटर्न निवेशक को मिलता है.
LRS स्कीम क्या है?
विदेशी बाजार में निवेश के कई तरीके हैं, जिसमें ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए सीधे निवेश भी किया जा सकता है. साथ ही म्यूचुअल फंड के जरिए भी विदेशी बाजार में एंट्री की जा सकती है. यहां जानना जरूरी है कि भारत सरकार लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम यानी (LRS) के तहत फाइनेंशियल ईयर में निवेशक कितनी रकम विदेश भेज सकता है. स्कीम के तहत एक भारतीय LRS के तहत सालभर में सिर्फ 2.50 लाख डॉलर ही भेज सकता है. बता दें कि यह स्कीम 2004 से शुरू है. इससे पहले रकम भेजने की सीमा 25 हजार डॉलर थी.
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अगर आप विदेशी म्यूचुअल फंड्स में निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपको इससे जुड़ी जानकारी पहले इकट्ठा करनी चाहिए. इससे निवेश में आसानी होगी. लेकिन किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर कर लें.