Mutual Fund निवेशकों के लिए बड़ी खबर: मार्केट लिंक्ड डिबेंचर पर नहीं मिलेगा LTCG बेनेफिट, 1 अप्रैल से होगा ये बड़ा बदलाव
New Tax rule on non-equity mutual funds 2023: फाइनेंस बिल में संशोधन के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2023 के बाद नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश पर किए गए किसी भी कैपिटल गेन (ऐसे फंड जिनमें डेट में 36% से ज्यादा निवेश है) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए एलिजिबल नहीं होंगे.
New Tax rule on non-equity mutual funds 2023: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट में अहम संसेाधन किया है. इसके अंतर्गत फाइनेंस बिल के सशोधन में मार्केट लिंक्ड डिबेंचर (MLD ) से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) को हटाया गया गया. प्रस्ताव के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2023 के बाद नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश पर किए गए किसी भी कैपिटल गेन (ऐसे फंड जिनमें डेट में 36% से ज्यादा निवेश है) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए एलिजिबल नहीं होंगे. डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) में निवेश पर होने वाले गेन्स पर केवल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) देना होगा. यह होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स स्लैब रेट के मुताबिक देय होगा. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि 31 मार्च 2023 तक किए गए सभी निवेश पर LTCG और इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता रहेगा.
ऐसे निवेशक जो LTCG और इंडेक्सेशन बेनेफिट का फायदा चाहते हैं, वे 31 मार्च 2023 से पहले फिक्स इनकम इन्वेस्टमेंट एलोकेशन कर लें. फिक्सड इनकम फंड में मौजूदा निवेश को जितने समय तक संभव हो बनाए रखें. क्योंकि इस पर रियायती LTCG टैक्स रेट का लाभ मिलेगा. यह संशोधन प्रस्ताव पर संसद की मुहर लगने के बाद यह कानून हो जाएगा.
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर(MLD) क्या है?
MLD एक नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर होते हैं. MLD में फिक्स्ड रिटर्न नहीं होता है. रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्स जैसे इक्विटी,सरकारी यील्ड,गोल्ड इंडेक्स के प्रदर्शन पर आधारित होता है.मार्केट लिंक्ड डिबेंचर को SEBI रेगुलेट करता है. बजट 2023 में लिस्टेड MLD के टैक्स नियम में बदलाव हुए थे. इसमें MLD पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियम लगाने का प्रावधान किया गया, जोकि टैक्स निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा. MLD में ट्रांसफर/रिडेम्पशमन/मैच्योरिटी पर लाभ शॉर्ट टर्म गेन होगा. MLD पर मौजूदा समय में 10% LTCG+सरचार्ज लगता है. नए प्रावधान में MLD के ब्याज से आय पर 10% TDS कटेगा. इसके लिए सेक्शन 50AA में टैक्स के नए नियम का प्रावधान किया है. यह नियम 1 अप्रैल 2023 के बाद से प्रभावी माने जाएंगे.
Debt Mutual Funds पर क्या होगा असर
वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी Fintoo के फाउंडर सीए मनीष पी. हिंगर का कहना है कि फाइनेंस बिल 2023 में प्रस्तावित संसोधन से आगे डेट म्यूचुअल फंड्स पर आगे इंडेक्सेशन बेनेफिट का फायदा नहीं मिलेगा और इन पर मार्जिनल रेट से टैक्स लगेगा. इस प्रस्ताव का असर गोल्ड फंड्स और इंटरनेशनल फंड्स पर भी होगा. इसके चलते बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट ज्यादा आकर्षक हो जाएंगे. क्योंकि दोनों डेट फंड और बैक एफडी पर अब मैच्योरिटी पर एकसमान टैक्स देनदारी बनेगी.
मनीष हिंगर का कहना है, इस प्रावधान का सभी डेट फंड्स खासकर रिटेल कैटेगरी पर निगेटिव असर देखने को मिल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अल्ट्रा हाई नेट वर्थ और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स बैंक एफडी जैसे सेफ ऑप्शन में जा सकते हैं. उनका कहना है कि लॉन्ग टर्म डेट फंड से इक्विटी फंड्स में शिफ्ट देखने को मिल सकता है. साथ ही पैसा सॉवरेन गोल्ड फंड और फिक्सड डिपॉजिट में जा सकता है. देखा जाए तो यह बैंकों के लिए उंची ब्याज दरों पर ग्राहकों को आकर्षित करने का अच्छा मौका है. इससे वे अपनी बारोइंग और सेविंग बुक साइज बढ़ा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार सभी डेट इन्स्ट्रूमेंट्स में एक सुसंगत टैक्स पॉलिसी बनाकर टैक्स आर्बिट्राज को दूर करना चाहती है. इस संबंध में, सरकार ने इंश्योरेंस प्रोडक्ट (सेविंग्स) मैच्योरिटी इनकम के लिए एक समान टैक्सेशन पॉलिसी का प्रस्ताव किया है, जिसमें 5 लाख रुपये से ज्यादा के सालाना प्रीमियम पर 31 मार्च 2023 के बाद टैक्स लगाया जाएगा.