Mutual Fund: बाजार की उठापटक में कैसी है पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस? जान लें निगेटिव कम्पाउंडिंग से बचने का फॉर्मूला
Mutual Fund Negative Compounding: क्सपर्ट की सलाह रहती है कि गिरावट पर निवेश में टॉप-अप करना चाहिए. लेकिन, इसके विपरित एक बात यह भी है कि मार्केट की लगातार गिरावट में कई बार निगेटिव कम्पाउंडिंग भी होती है.
Mutual Fund Investment: जियोपॉलिटिकल टेंशन और बढ़ती महंगाई के चलते दुनियाभर के बाजारों में उथल-पुथल है. घरेलू शेयर बाजारों में पर भी असर देखा जा रहा है. बीते एक महीने की बात करें, तो मार्केट में 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही है. इसका असर म्यूचुलल फंड निवेशकों पर भी हो रहा है. जब भी हम म्यूचुअल फंड निवेश की बात करते हैं, तो हमेशा लॉन्ग टर्म का नजरिया रखते हैं. लंबी अवधि तक अगर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश बनाए रखते हैं, तो कम्पाउंडिंग का जबरदस्त फायदा होता है. एक्सपर्ट की सलाह रहती है कि गिरावट पर निवेश में टॉप-अप करना चाहिए. लेकिन, इसके विपरित एक बात यह भी है कि मार्केट की लगातार गिरावट में कई बार निगेटिव कम्पाउंडिंग भी होती है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लेकर अलर्ट है, तो वह निगेटिव कम्पाउंडिंग से बच सकते हैं.
पोर्टफोलियो का रिव्यू करना जरूरी
BPN फिनकैप के डायरेक्टर अमित कुमार निगम का कहना है कि बाजार की गिरावट में खरीदारी का अच्छा मौका रहता है. जब भी बड़ी गिरावट आए निवेशकों को SIP टॉप-अप करना चाहिए. म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि का नजरिया रखते हैं, तो कम्पाउंडिंग की पावर वेल्थ क्रिएशन में मददगार होती है. लेकिन, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहनी चाहिए. पोर्टफोलियो में शामिल फंड्स की परफॉर्मेंस को ट्रैक कर आप निगेटिव कम्पाउंडिंग से बच सकते हैं.
निगम का कहना है, इसे एक अदाहरण से समझिए, मान लीजिए आपके पोर्टफोलियो में दो फंड हैं. एक का सालाना रिटर्न 20 फीसदी रहा और दूसरी स्कीम ने इसी अवधि में 10 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया. इसका मतलब कि आपका नेट रिटर्न 10 फीसदी रहा. इसका मतलब कि आपको एक स्कीम से कम्पाउंडिंग का जिस तरह जबरदस्त फायदा हो रहा है, दूसरी स्कीम ने उसे खत्म कर दिया.
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निगेटिव कम्पाउंडिंग से बचाएगी प्रॉफिट बुकिंग की सही स्ट्रैटजी
अमित निगम कहते हैं, अगर आपने प्रॉफिट बुकिंग की सही स्ट्रैटजी अपनाते हैं, तो आप निगेटिव कम्पाउंडिंग से बच सकते हैं. अब सवाल यह है कि प्रॉफिट बुक करने की सही स्ट्रैटजी क्या होनी चाहिए. निगम का कहना है कि अक्सर यह देखा गया कि जब भी निवेशक अच्छा परफॉर्म करने वाली स्कीम में प्रॉफिट बुक कर लेते हैं. वहीं, जिन स्कीम का रिटर्न लगातार निगेटिव या उम्मीद से कम है, उसमें आगे बेहतर होने की संभावना में बने रहते हैं. जबकि, प्रॉफिट बुकिंग की स्ट्रैटजी उससे उलट होनी चाहिए. हमेशा उन फंड्स से बेचकर बाहर निकलना चाहिए, जो आपके पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को कमजोर कर रहे हैं. ए
उनका कहना है, हमेशा ध्यान रखें कि किसी की कहीसुनी बातों के आधार पर फंड न चुनें. जिस प्रोडक्ट के बारे में समझ न हो, उसे दूरी बना लें. निवेश को लेकर एक्सपेरिमेंटल होने से बचना चाहिए. निवेश में ज्यादा प्रयोग आपको नुकसान पहुंचा सकता है. जिस भी फंड या प्रोडक्ट में आप पैसा लगा रहे है, उसकी समझ है, तो ठीक है. अगर आपको कॉन्फिडेंट नहीं हैं, तो फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद लेनी चाहिए.