Money Management Tips: सैलरीड क्‍लास या प्रोफेशनल्‍स के लिए हमेशा से 'मनी मैनेजमेंट' एक पेंचीदा टॉस्‍क रहा है. वेतनभोगी (Salaried Class) टैक्‍सपेयर या प्रोफशनल्‍स हमेशा हमेशा इस बात पर माथापच्‍ची करता है कि वे हर महीने कितनी सेविंग और इन्‍वेस्‍टमेंट कर सकते हैं. अक्‍सर यह सवाल रहता है कि कुल इनकम का 20 फीसदी या 30 फीसदी सेविंग करें और भविष्‍य के लिए कितना निवेश करें. क्‍या इसका कोई फॉर्मूला है? एक्‍सपर्ट मानते हैं कि मनी मैनेजमेंट एक काफी स्किल का काम है. जरूरी नहीं है कि आप एक सफल प्रोफेशनल या इम्‍प्‍लॉई हैं, तो आपका मनी मैनेजमेंट भी शानदार होगा. लेकिन, यह मुश्किल भी नहीं है. अगर कुछ 'सीक्रेट फॉर्मूला' को ध्‍यान में रखें, तो आसानी ये यह जान सकते हैं कि मंथली कितनी सेविंग करनी चाहिए और फ्यूचर के लिए कितना अमाउंट रखना चाहिए. 

Savings, Investment का सीक्रेट फॉर्मूला (50:30:20 Formula) 

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सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्‍लानर (प्रो) तारेश भाटिया कहते हैं, मंथली सेविंग्‍स का फॉर्मूला काफी आसान है. मान लीजिए, सबकुछ मिलाकर आपकी टैक्‍सेबल इनकम 1 लाख रुपये महीना है. इसमें आपकी सैलरी इनकम, इंटरेस्‍ट इनकम, रेंटल इनकम, बिजनेस इनकम, प्रोफेशनल इनकम सभी शामिल है. अगर आप यह चाहते हैं कि इस साल कितनी सेविंग करूं और इन्‍वेस्‍ट कैसे करूं. कम करूं या ज्‍यादा करूं. क्‍या इसका कोई मापदंड है, जिसके हिसाब से एक अंदाजा लग जाए, तो इसका सबसे आसान फॉर्मूला 50:30:20 का है. इसे 3 कॉन्‍सेप्‍ट पर समझते हैं.  

1- कुल इनकम का 50% रखें घरेलू खर्च 

तारेश भाटिया कहते हैं, आपकी जितनी भी मंथली इनकम है, उसका 50 फीसदी तक ही मैक्सिमम आपके घर का खर्चा होना चाहिए. यानी, अगर आपकी 1 लाख इनकम है, तो 50 हजार रुपये से ज्‍यादा आपके मंथली खर्चे नहीं होने चाहिए. जिसमें आपके हाउसहोल्‍ड एक्‍सपेंसेस, इटिंग आउट, डाइनिंग आउट, लाइफ स्‍टाइल से जुड़े खर्चे, बच्‍चों की फीस, लोन की EMI वगैरह शामिल है. ये सबकुछ आपका 50,000 रुपये में हो जाना चाहिए.

2. अपनी इच्‍छा (on wants) से खरीदारी के लिए 30% रकम  

भाटिया कहते हैं, अगला कम्‍पोनेंट काफी अहम हैं. इसमें वो खर्चे हैं, जो आप करना चाहते हैं. जैसेकि- घर खरीदना, कार खरीदना, मोबाइल, लैपटॉप वगैरह. उसके लिए आप अपनी कुल मंथली इनकम का 30 फीसदी तक सेव कर सकते हैं. यानी, 1 लाख मंथली सैलरी है तो 30,000 रुपये तक इन खर्चों के लिए रख सकते हैं.

3. लॉन्‍ग टर्म निवेश के लिए 20% रखें  

तारेश भाटिया का कहना है, लॉन्‍ग टर्म इन्‍वेस्‍टमेंट के लिए अपनी कुल मंथली सैलरी का 20 फीसदी तक रखें. जैसेकि, बच्‍चे की शिक्षा, शादी या कोई और बड़ा गोल है, उसके लिए हर महीने 20 फीसदी रकम निवेश करें. निवेश के लिए इक्विटी म्‍यूचुअल फंड (डायरेक्‍ट ऑप्‍शन) चुन सकते हैं. 

 

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50:30:20 फॉर्मूले का एक्‍शन प्‍लान (Action Plan for 50:30:20 Formula) 

तारेश भाटियाा कहते हैं, अगर आपने 50:30:20 फॉर्मूला समझ लिया है, तो अगला स्‍टेप एक्‍शन प्‍लान का है. यानी, अब उस पर अमल कैसे करें. इसके तीन एक्‍शन प्‍लान हैं. 

पहला एक्‍शन, सबसे पहले अपने स्‍पाउस (पति/पत्‍नी) के साथ बैठक कैलकुलेट करें कि घर के मंथली खर्चे कितने हैं. पूरे साल का कैलकुलेशन कर लीजिए और घर का खर्चा निकालिये, उसे कुल इनकम का 50 फीसदी तक रोक दीजिए. 

दूसरा एक्‍शन, अब आप जो चाहते हैं यानी कार खरीदनी है या कुछ और, तो उसके लिए अगले 12 महीने पैसे जुटाएं या फिर उसकी ईएमआई बना रहे हैं (जैसे आजकल जीरो पर्सेंट ईएमआई का ऑप्‍शन है.) , तो पर उसको 15, 20 या मैक्सिमम 30 फीसदी तक (कुल इनकम का) तक रोक लें. ताकि, वो आपके तय लिमिट से बाहर न हो. 

तीसरा एक्‍शन, इसी के साथ-साथ आप 20,000 रुपये (1 लाख का 20 फीसदी) हर महीने लॉन्‍ग टर्म निवेश यानी इक्विटी म्‍यूचुअल फंड के लिए जोड़े. आप एक फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श करके निवेश का फैसला करें. हर तीन महीने पर अपने फंड का रिव्‍यू करते रहे. यह देखते रहें कि वह आपके फाइनेंशियल गोल के मुताबिक चल रहा है या नहीं. 

 

(डिस्‍क्‍लेमर: निवेश संबंधी सलाह एक्‍सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले एडवाइजर से परामर्श कर लें.)