आपका खर्चीला स्वभाव आपको बीमार न कर दे? सर्विस क्लास को तेजी से घेर रही यह बीमारी
आमदनी कम और खर्च अधिक! अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग अपने कमाऊ बच्चों को खर्च पर लगाम लगाने की हिदायत देते हैं. लेकिन जो नहीं मानता वह बड़ी मुसीबत में फंस सकता है.
आमदनी कम और खर्च अधिक! अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग अपने कमाऊ बच्चों को खर्च पर लगाम लगाने की हिदायत देते हैं. लेकिन जो नहीं मानता वह बड़ी मुसीबत में फंस सकता है. हालांकि कुछ लोग इसे अच्छे से मैनेज कर लेता है. लेकिन कई लोगों की शिकायत होती है कि उनके हाथ में पैसा टिकता ही नहीं. पैसे को मैनेज न कर पाने पर फाइनेंशियल टार्गेट को पूरा करने में दिक्कत होती है. हाथ में पैसा आता है, लेकिन यूं ही चला जाता है. आपके साथ भी अगर ऐसा हो रहा है तो आप 'मनी डिसॉर्डर' के शिकार हो सकते हैं. क्या है मनी डिसॉर्डर? क्या हैं मनी डिसॉर्डर के लक्षण? 'जी बिजनेस' के खास कार्यक्रम मनी गुरु में amitkukreja.com के फाउंडर अमित कुकरेजा हमें पैसे का सही मैनेजमेंट सिखाएंगे.
क्या है मनी डिसॉर्डर?
> कमाई को ठीक से मैनेज न कर पाना
> गैर-जरूरी चीजों पर बेतहाशा खर्च
> जरूरी चीजों के लिए भी खर्च से बचना
> पैसे को लेकर हर समय चिंतित रहना
> पैसों के चलते चिंतित, दबाव में रहना
> आर्थिक तंगी की स्थिति तैयार करना
मनी डिसॉर्डर के लक्षण
> जमाखोरी
> ज्यादा खर्च, अनिवार्य खरीदारी
> आर्थिक हालातों के बारे में झूठ बोलना
> जानबूझकर ज्यादा काम की आदत
> पैसों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना
जमाखोरी
> पैसे बचाना अच्छी बात लेकिन जमाखोरी सही नहीं
> पैसों को जमा करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं
> छोटे-बड़े खर्चों के लिए भी पैसे नहीं निकालते हैं
> जमाखोरी से सुरक्षा, चिंता दूर होने का अहसास
> आप संपत्ति से जरूरत से ज्यादा लगाव रखते हैं
> आप हर समय पैसों के बारे में ही सोचते रहते हैं
इलाज
> जमाखोरी की आदत से बचना है तो इससे ध्यान हटाएं
> वक्त तय करें, जब आप जमाखोरी के बारे में न सोचें
> निवेश को ऑटोमैटिक मोड पर रखें
> अच्छी आदतें पालें जो जमाखोरी से आपको दूर रखेंगी
ज्यादा खर्च, जबरदस्ती खरीदारी
> आप जरूरत से ज्यादा खर्च करते रहते हैं
> बिना वजह और दूसरों को देखकर खरीदारी
> खरीदारी से खुशी मिलती है, इसलिए खरीदते हैं
> दूसरों के साथ तुलना के लिए खरीदारी करते हैं
> अनिवार्य खरीदारी से कर्ज का बोझ ज्यादा संभव
> बैंककरप्ट होना या रिश्तों में तनाव हो सकता है
इलाज
> मनी डिसॉर्डर के इस दूसरे लक्षण से आप पीड़ित हैं
> आपको काउंसलर से राय-मशविरा करने की जरूरत
> खुद को बजट में बांधें, क्रेडिट कार्ड खर्च को नियंत्रित करें
> कैश इस्तेमाल करें ताकि आप अति खर्च कर ही न पाएं
> बिना खरीदारी किए कुछ समय तक रह कर देखें
आर्थिक हालातों के बारे में झूठ बोलना
> आर्थिक हालातों के बारे में झूठ बोलना पड़ता है भारी
> अपने जीवनसाथी, सगे-संबंधियों से झूठ बोलते हैं
> पैसों की बचत को लेकर रिश्तेदारों से झूठ बोलते हैं
> आप जो खर्च कर रहे हैं, उसको लेकर झूठ बोलते हैं
> कई बार ये झूठ रिश्तों में दरार भी पैदा करते हैं
इलाज
> पैसों को लेकर अपने करीबियों से कोई बात न छुपाएं
> जीवनसाथी से खर्च हो चाहे निवेश, कुछ भी न छुपाएं
> साथ मिलकर आप वित्तीय योजना तैयार कर सकते हैं
> वित्तीय योजनाओं को पूरा करने के लिए सहयोग लें
> पैसों को लेकर दिक्कत है या खुशी, हर बार बात करें
जानबूझकर ज्यादा काम की आदत
> ज्यादा काम करेंगे तो ज्यादा पैसे मिलेंगे
> ज्यादा काम करने से अच्छे इंसान होने की इच्छा
> लगता है कि ज्यादा पैसे से खुशी का अहसास होगा
> जानबूझकर ज्यादा काम रिश्तों के लिए अच्छा नहीं
> ऐसे में रिश्तों में और नौकरी में तनाव हो सकता है
> ज्यादा पैसों की बजाय आप तनाव में आत जाते हैं
इलाज
> पैसे सबकुछ नहीं खरीद सकते, ये याद रखें
> पैसे कमाना ही नहीं, अपनों को वक्त देना भी अहम
> कुछ वक्त हमेशा अपने संगे-संबंधियों के लिए रखें
> दिन का कुछ समय सिर्फ रिश्तों के नाम करें
पैसों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना
> कई लोग पैसों की जरूरत के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं
> अक्सर महिलाएं पैसों के लिए अपने पति पर ज्यादा निर्भर
> दूसरों पर आर्थिक निर्भरता से रिश्तों में तनाव हो सकता है
> जरूरत के समय पैसे न मिलने से आप असहाय होते हैं
इलाज
> छोटा-बड़ा काम कर पैसे कमाने की कोशिश करें
> जेब खर्च में से कुछ पैसे बचाने पर फोकस करें
> बचाए हुए पैसे जरूरत के समय काम आएंगे
> आर्थिक निर्भरता कम करने की कोशिश करें
> खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाएं
आर्थिक तौर पर सहारा देना
> आर्थिक सहारा कम समय की खुशी, लंबी अवधि में नुकसानदायी
> बच्चे बड़े हो चुके हैं, लेकिन आर्थिक तौर पर मां-बाप पर निर्भर
> मां-बाप ने अभी बच्चों को आर्थिक आजादी नहीं दी है
> बच्चों को काबू में रखने की कोशिश करने के लिए आर्थिक सहयोग
> आर्थिक तौर पर सहारा देना बच्चों के लिए काफी नुकसानदायी है
इलाज
> एक वक्त बाद बच्चों को उनके हाल पर छोड़ना सही
> बड़े हो चुके बच्चों को दिक्कतों से खुद निपटने दीजिए
> आर्थिक तौर पर तब ही मदद करें, जब वे आप से मांगें
> आर्थिक जिम्मेदारियों की समझ तैयार होने दें
पैसे को लेकर लापरवाह
> आप हर महीने की कमाई बैंक में डाल देते हैं
> जरूर बिल नहीं भरते, पैसों को निवेश नहीं करते
> टैक्स भरने की तारीख आगे बढ़ाते रहते हैं
> पोर्टपोलियो ढंग से मैनेज नहीं करते हैं
> पैसे का सही इस्तेमाल न करना है दिक्कत
> ये लापरवाही ही आर्थिक चिंता बनती है
इलाज
> आर्थिक गतिविधियों के लिए तारीख तय करें
> अपने फोन में रिमाइंडर सेट करें
> देनदारियों को वक्त पर पूरा करें
> महंगाई का ध्यान रख निवेश करें
आर्थिक दोषारोपण
> आप पैसों से जुड़ी अपनी परेशानियां दूसरों पर थोपते हैं
> तनाव कम करने के लिए बच्चों पर दबाव डाल रह हैं
> पैसों से जुड़ी समस्याओं के लिए जीवनसाथी को दोष देते हैं
> बच्चों को पैसा खर्च करने पर अपराध बोध महसूस कराते हैं
> अपने ऑफिस का तनाव अपने बच्चों के ऊपर थोपते हैं
इलाज
> जरूरी और गैर-जरूरी खर्च में फर्क समझें
> अपने बच्चों को पैसों की अहमियत समझाएं
> पैसों से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजें
> ऑफिस की टेंशन घर लाने से बचना अच्छा
> हालात न सुधरने तो काउंसिलर की मदद लें