Money Guru: क्या होते हैं मार्केट लिंक्ड डिबेंचर, एक्सपर्ट से जानें- किनके लिए निवेश करना है सही?
Money Guru: मार्केट एक्सपर्ट्स से जानिए क्या होते हैं मार्केट लिंक्ड डिबेंचर (MLD) और इसमें निवेश करना किनके लिए सही होता है?
Money Guru: मार्केट में निवेश करने के लिए बहुत सारे ऑप्शन मौजूद हैं, लेकिन अपने लिए निवेश का सही ऑप्शन चुनना भी बहुत जरूरी होता है. मार्केट में ऐसे ही निवेश के लिए मार्केट लिंक्ड डिबेंचर (Market Linked Debentures) भी मौजूद होते हैं. ऑप्टिमा मनी के एमडी पंकज मठपाल और आनंदराठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने बताया कि आखिर क्या होते हैं मार्केट लिंक्ड डिबेंचर और क्या हैं इसके फायदे. इसके साथ ही एक्सपर्ट ने बताया कि मार्केट लिंक्ड डिबेंचर किनके लिए सही हैं?
क्या होते हैं मार्केट लिंक्ड डिबेंचर(MLD)
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर(MLD) एक नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर होते हैं. MLD में फिक्स्ड रिटर्न नहीं मिलता है. इसका रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्स के प्रदर्शन पर आधारित होता है. इंडेक्स जैसे कि इक्विटी,सरकारी यील्ड,गोल्ड इंडेक्स आदि. लिस्टिड,अनलिस्टिड,सिक्योर्ड और अन-सिक्योर्ड होते हैं. मार्केट लिंक्ड डिबेंचर को SEBI रेगुलेट करती है.
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर(MLD) की खासियत
- 13 महीने से लेकर 60 महीने तक होते हैं इश्यू
- MLD डेट निवेश की श्रेणी में आते हैं
- कैपिटल प्रोटेक्शन में मैच्योरिटी पर प्रिंसिपल रकम वापसी की गारंटी
- MLD में रेगुलर फिक्स्ड इनकम नहीं मिलती
- MLD में मैच्योरिटी पर ही रकम मिलती है
- निवेश के लिए बड़ी रकम की जरूरत
कितने तरह के होते हैं मार्केट लिंक्ड डिबेंचर
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर दो तरह के होते हैं. प्रिंसिपल प्रोटेक्टेड और नॉन प्रिंसिपल प्रोटेक्टेड.
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर के फायदे
- पूर्व निर्धारित पे-ऑफ की सुविधा
- कैपिटल और ब्याज रीपेमेंट में मिलती है तरजीह
- ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेने वालों को फायदा
- डायवर्सिफिकेशन का बेहतरीन जरिया
- फंड मैनेजर या AMC रिस्क की टेंशन नहीं
- प्रिंसिपल प्रोटेक्शन का फायदा
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर के क्या हैं जोखिम?
- मार्केट लिंक्ड डिबेंचर को समझकर निवेश करें
- MLD में क्रेडिट रिस्क का खतरा
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर किनके लिए सही?
- MLD आम निवेशकों के अच्छा विकल्प
- सीनियर सिटीजन भी MLD में निवेश कर सकते हैं
- पोर्टफोलियो में बाकी निवेश विकल्पों के साथ शामिल करें
- HNI निवेशकों के बीच अच्छे पोस्ट टैक्स रिटर्न के चलते प्रचलित
- डिबेंचर सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड समझने के बाद निवेश करें
STP-क्या है?
- STP- सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान
- STP में एक सोर्स फंड तो दूसरा होता है डेस्टिनेशन फंड
- आम तौर पर सोर्स फंड होता है डेट फंड
- डेस्टिनेशन फंड अक्सर होता है इक्विटी फंड
- आप एकमुश्त रकम सोर्स फंड में करते हैं निवेश
- AMC को देते हैं STP की रिक्वेस्ट
- STP हर महीने, हफ्ते और तिमाही कर सकते हैं
STP के फायदे
- निवेशक के समय और मेहनत दोनों की बचत होती है
- निवेशक के लिए खराब प्रदर्शन से निकलना आसान
- बिना रिडंप्शन जैसी प्रक्रिया के दूसरे फंड में निवेश संभव
- STP में यह काम केवल एक सूचना के जरिये होता है
- STP के तहत आखिरी ट्रांजैक्शन तक मिलता है रिटर्न
- बाजार में उतार-चढ़ाव पर STP में पैसा लगाने में फायदा
कितनी तरह की STP?
- फिक्स्ड STP में तय रकम प्रति दिन होती है ट्रांसफर
- कैपिटल एप्रीशियएशन STP में मुनाफा ही होता है ट्रांसफर
- ज्यादातर निवेशक फिक्स्ड STP का करते हैं इस्तेमाल
- सुविधाजनक होने के साथ आसानी से समझ में आता है
कब करें STP?
- जब आप करना चाहते हैं एकमुश्त निवेश
- जब एक साथ पैसा मिले या बोनस मिले
- डेट फंड में डाल सकते हैं पैसा
- STP पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग में करेगा मदद
- डेट से इक्विटी में निवेश ट्रांसफर करना चाहते हैं
- ऐसे में कम से कम 5 साल के लिए करें निवेश
- दूसरा, रिटायरमेंट हो करीब तब इक्विटी से डेट में STP