Money Guru: AT1 बॉन्ड एक खास तरह के बॉन्ड होते हैं, जिनकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है. नियम के मुताबिक यह हमेशा के लिए चल सकते हैं, जब तक कि बैंक इसे वापस न ले ले. उन इन्वेस्टर्स को जिन्हें डेट फंड का बेस्ट ऑप्शन चाहिए और बेहतर मुनाफा कमाने के लिए ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखता है, उनके लिए यह बहुत काम का बॉन्ड है.

AT1 बॉन्ड क्या हैं?

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AT1 बॉन्ड यानि कि एडिशनल टियर 1 बॉन्ड को कहते हैं. इसे बिना एक्सपायरी वाले परपेच्युल बॉन्ड के नाम से भी जाना जाता है. AT1 बॉन्ड को बेसल-III मानदंडो को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है. जिसे बैंक कैपिटल जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी करते हैं. AT1 बॉन्ड को भारतीय रिजर्व बैंक रेगुलेट करती है. इसमें नियमित अंतराल पर तय ब्याज का भुगतान होता है. अपने जरूरत के हिसाब से पैसों की जरूरत पड़ने पर इश्यूअर इसे बेच भी सकते हैं.

 

क्या हैं बेसल 3 नॉर्म 

बेसल 3 नॉर्म बैंक जोखिम से जुड़ा एक नियम है, जिसमें बैंकों के आकस्मिक संकट से उबरने की व्यवस्था की जाती है. बैंकों की रेगुलेटरी कैपिटल को टियर 1-2 पूंजी में बांटा जाता है. टियर-1 पूंजी को कॉमन इक्विटी(CET) और AT-1 में बांटा गया है और 9.5% पूंजी टियर-1 में,2% पूंजी टियर-2 में होनी चाहिए.

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क्यों खास है AT1 बॉन्ड

AT1 बॉन्ड की मैच्योरिटी की तारीख नहीं होती है. इसमें FD,नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर से ज्यादा ब्याज मिलता है. RBI, बैंक डिफॉल्ट पर AT-1 बॉन्ड रद्द करने को कह सकता है. CET1 8% से नीचे जाने पर, बैंक इंटरेस्ट पे-आउट घटा सकते हैं.

AT1 बॉन्ड-कितने रिस्क?

लिक्विडिटी रिस्क

इंटरेस्ट रिस्क

कैपिटल एंड लॉस एब्सॉर्पशन रिस्क

कॉल रिस्क

डिफॉल्ट रिस्क

AT1 बॉन्ड में निवेश क्यों करें?

ज्यादा जोखिम लेने की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिए AT1 बॉन्ड सही है. उन इन्वेस्टर्स को, जिन्हें लिक्विडिटी की चिंता नहीं है, वह इसमें निवेश कर सकते हैं. यह उनके लिए सही है, जो ज्यादा जोखिम में ज्यादा रिटर्न की चाह रखते हैं.