Money Guru: ITR फाइल करना होगा और भी आसान! एक्सपर्ट से जानें कॉमन फॉर्म से टैक्सपेयर्स को मिलेंगे क्या बेनिफिट्स?
Money Guru: आयकर रिटर्न फाइन करने के लिए टैक्सपेयर्स को बहुत जल्द एक कॉमन फॉर्म मिलने वाला है. आइए जानते हैं इसके सारे बेनिफिट्स.
Money Guru: आयकर रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करना बहुत जल्द और भी आसान होने वाला है. नए अपडेट के मुताबिक सभी तरह के टैक्सपेयर्स बहुत जल्द एक ही कॉमन फॉर्म से अपना ITR फाइल कर सकते हैं. जिसका मतलब है सभी के लिए एक ही फॉर्म होगा. इससे लोगों को अपने लिए सही आयकर फॉर्म चुनने की झंझट से छुटकारा मिलेगा. इस नए फॉर्म पर सभी स्टेकहोल्डर्स से 15 दिसंबर तक टिप्पणियां भी मांगी गई हैं. इस नए फॉर्म में क्या खास हो सकता है और लोगों को क्या सहूलियत मिलने वाली है इसके लिए हम बात करेंगे टैक्स एक्सपर्ट सुनील गर्ग और मुकेश गुप्ता से.
कॉमन रिटर्न फॉर्म (Common Return Form)
- जल्द आएगा कॉमन रिटर्न फॉर्म
- CBDT ने रखा एक ही फॉर्म रखने का प्रस्ताव
- हितधारकों से 15 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए
- मकसद रिटर्न फाइल प्रक्रिया आसान बनाना
- लोगों को टैक्स फाइलिंग में सुविधा होगी
- ITR-1 और 4 यानि सहज और सुगम चालू रहेंगे
- ITR-7 भी पुराने फॉर्म की तहत ही रहेंगे
- कॉमन ITR फॉर्म में कई जानकारी प्री-फिल्ड होगी
अभी कितने तरह के फॉर्म?
- ITR 1- सहज-50 लाख तक की आय वाले करदाता
- ITR 2-रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से आय होने पर
- ITR 3-बिजनेस,प्रोफेशन से आय होने पर
- ITR 4-सुगम-50 लाख तक की आय वाले व्यक्ति,फर्म
- ITR 5&6-LLP फर्म और कारोबार के लिए
- ITR 7- ट्रस्ट और NGO के लिए
कॉमन ITR फॉर्म-क्या होगा फायदा?
- टैक्स की चोरी रोकने में होगा मददगार
- नए फॉर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल
- नया फॉर्म AIS की जानकारी खुद वेरिफाई कर लेगा
- AIS- एन्युल इंफोर्मेशन स्टेटमेंट
- नया फॉर्म यूजर फ्रेंडली होगा
- बिना मदद के खुद से रिटर्न भरना आसान
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बढ़ा टैक्स कलेक्शन
- FY 22-23 में सरकार का `27.5 लाख करोड़ का बजट अनुमान था
- टैक्स कलेक्शन सरकार के अनुमान के भी पार
- सारी दुनिया में मंदी की आहट के बावजूद भारत मजबूत
- GST लागू होने के बाद टैक्स चोरी के मामलों में कमी
- सरकार को अपनाी घाटा कम करने में मदद मिलेगी
- डेवलेपमेंट पर ज्यादा पैसै खर्च कर पाएगी सरकार
बदलेंगे कैपिटल गेन टैक्स के नियम?
- कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव संभव
- होल्डिंग पीरियड के नियमों में हो सकता है बदलाव
- शेयर,डिबेंचर,बॉन्ड आदि पर 12-24 महीने होल्डिंग पीरियड
- मकान, फ्लैट,लैंड पर 36-48 महीने की होल्डिंग अवधि संभव
- LTCG और STCG में वर्तमान में टैक्स की अलग-अलग दक
- लिस्टेड शेयर 12 महीने के है
लिस्टिड और अनलिस्टेड शेयर में क्या फर्क है?
- लिस्टिड शेयर-जो शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होतें हैं
- अनलिस्टेड शेयर- जो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट नहीं हैं
- लिस्टिड और अनलिस्टेड शेयर के लिए टैक्स के नियम अलग
- लिस्टिड शेयर 12 महीने बाद बेचने पर कैपिटल गेन
- अनलिस्टिड शेयर 24 महीने बाद बेचने पर कैपिटल गेन
लिस्टिड और अनलिस्टेड शेयर के क्या हैं टैक्स नियम?
- लिस्टिड शेयर,फंड बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है
- लिस्टिड शेयर-लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन,तो `1 लाख की छूट
- अनलिस्टिड शेयर बेचने पर कोई छूट नहीं
- अनलिस्टिड शेयर में LTCG रेट 20% लगता है
- अनलिस्टिड शेयर में होल्डिंग पीरियड 24 महीना
बोनस शेयर बेचने पर टैक्स
- कंपनी बोनस शेयर शेयरहोल्डर्स को जीरो वैल्यू पर देती है
- बोनस शेयर बेचने पर पूरे अमाउंट पर टैक्स लगेगा
- बोनस शेयर बेचने पर इंडेक्सेशन का लाभ भी नहीं
- बायबैक शेयर पर शेयरहोल्डर को टैक्स नहीं लगेगा
- बायबैक में कंपनी 20% टैक्स खुद जमा करती है
- टैक्स बायबैक अमाउंट और अलॉटमेंट प्राइस के अंतर पर
ESOP शेयर पर टैक्स नियम
- ESOP पर दो बार टैक्स देना पड़ता हैं
- ESOP-इम्पलॉई स्टॉक ओनरशिप प्लान
- मार्केट प्राइस और अलॉटमेंट प्राइस के अंतर पर टैक्स
- ESOP पर इम्पलॉई को टैक्स देना होता है
- शेयर बेचने पर सेल और मार्केट प्राइस के अंतर पर कैपिटल गेन टैक्स