MONEY GURU : हेल्थ इंश्योरेंस भी कर सकते हैं पोर्ट! यह है बीमा कंपनी बदलने का तरीका
स्वास्थ्य (Health) बीमा वह साधन है, जो आपको मेडिकल इमरजेंसी में बड़े से बड़े चिकित्सा खर्च के बोझ से शील्ड करता है. इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर सबसे पहली सलाह हेल्थ इंश्योरेंस कराने की देते हैं.
स्वास्थ्य (Health) बीमा वह साधन है, जो आपको मेडिकल इमरजेंसी में बड़े से बड़े चिकित्सा खर्च के बोझ से शील्ड करता है. इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर सबसे पहली सलाह हेल्थ इंश्योरेंस कराने की देते हैं. लेकिन बात यहीं पूरी नहीं होती. हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय पूरी पड़ताल करनी चाहिए कि उसमें आपकी चिकित्सा जरूरतों का खर्च पूरा पड़ेगा या नहीं?
साथ ही जिस हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से आपने पॉलिसी ली, उसकी सेवाएं कैसी हैं. अगर आपको उससे शिकायत है या वह प्रीमियम ज्यादा चार्ज कर रही है तो ऐसी सूरत में क्या करें? आप शायद यह नहीं जानते होंगे कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को बदला भी जा सकता है. यानि आप उसे दूसरी कंपनी में पोर्ट कर सकते हैं. जी हां, जी बिजनेस पर आपको इसकी पूरी जानकारी मिलेगी.
हेल्थ इंश्योरेंस कैसे बदलें?
Policybazaar.com में हेल्थ इंश्योरेंस के बिजनेस यूनिट हेड अमित छाबड़ा ने जी बिजनेस को बताया कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बदलना अब मुमकिन है. IRDAI ने 2011 में इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करने को मंजूरी दी है. यह पोर्टिंग मोबाइल नंबर, DTH की तरह ही होगी. हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करने के लिए प्रक्रिया तय है.
क्यों बदलें?
बीमा पॉलिसी लेने के बाद आपको यह परखना चाहिए कि कहीं आपकी मौजूदा पॉलिसी महंगी तो नहीं. कहीं हेल्थ इंश्योरेंस में सीमित कवरेज तो नहीं डाल दिया. पॉलिसी के साथ मिले फीचर कैसे हैं. क्लेम सेटलमेंट वक्त पर होता है या नहीं. पॉलिसी पसंद नहीं तो भी उसे बदल सकते हैं.
किन प्रोडक्ट के लिए पोर्टिंग?
छाबड़ा के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े सभी उत्पाद पोर्ट कर सकते हैं. व्यक्तिगत और फ्लोटर कवर भी पोर्ट कर सकते हैं. यह ध्यान रखना जरूरी है कि दो एक जैसी पॉलिसी के बीच ही पोर्टिंग हो सकती है. व्यक्तिगत कवर की पोर्टिंग व्यक्तिगत में ही होगी.
पोर्टिंग कब कर सकते हैं?
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करने की पूरी प्रक्रिया है. इसे आप पॉलिसी रीन्यूअल के दौरान पोर्ट कर सकते हैं. कुछ इंश्योरेंस कंपनियां इसकी विशेष सुविधा देती हैं. एक्सपायरी की तारीख तक पोर्ट करने की गुंजाइश होती है.
पोर्ट करने के फायदे
छाबड़ा ने बताया कि वेटिंग पीरियड पर पोर्टिंग का फायदा मिलता है. वेटिंग पीरियड को कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं. किसी बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड 24 महीने है. अगर पिछली कंपनी के साथ 18 महीने बीत चुके हैं तो पोर्टिंग के बाद वेटिंग पीरियड 6 महीने का हो जाएगा.
नो क्लेम बोनस क्रेडिट्स
बीमा कंपनी बदलते समय नो क्लेम बोनस क्रेडिट भी पोर्ट होता है. मसलन आपका पॉलिसी कवर 5 लाख रुपए का है. 2 साल आपने इंश्योरेंस क्लेम नहीं किया. तो नो क्लेम बोनस की वजह से कवर 6 लाख रुपए हो जाएगा. पोर्ट के बाद नया कवर भी 6 लाख रुपए का होगा. फिर नये सम इंश्योर्ड के हिसाब से प्रीमियम तय होगा.
ऐसे करें पोर्टिंग
पॉलिसी एक्सपायरी से पहले पोर्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. 45-60 दिन पहले नई इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करें और पोर्टिंग के लिए प्रपोजल फॉर्म भरें. उसमें मौजूदा पॉलिसी को लेकर सभी जानकारी देनी होगी. नई कंपनी मौजूदा कंपनी से जानकारियां वेरीफाई करेगी. जांच-पड़ताल के बाद पोर्टिंग रिजेक्ट होना भी संभव है. डिटेल मिलने के बाद 15 दिन में आपको फैसला लेना होगा.
कितने वक्त में पोर्टिंग?
पॉलिसी पर कोई क्लेम नहीं, पोर्टिंग पेपरलेस है. ऐसे में पॉलिसी पोर्टिंग के लिए 1-2 दिन लगेंगे. अगर आपने पॉलिसी पर पहले क्लेम लिया है या दस्तावेजों में कोई दिक्कत सामने आती है तो ऐसे में पोर्ट होने में 2-3 दिन लग सकते हैं.
मौजूदा कंपनी में ही पोर्टिंग?
आप मौजूदा कंपनी में भी पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं. पॉलिसी से मेडिकल जरूरतें पूरी नहीं हो रही तो मौजूदा पॉलिसी अपग्रेड करने का विकल्प भी होता है. इसमें अतिरिक्त प्रीमियम भी भरना पड़ सकता है.