पूरी दुनिया पर क्रिकेट वर्ल्ड कप फीवर चढ़ा हुआ है. हम सब चाहते हैं कि टीम इंडिया एक बार फिर वर्ल्ड कप जीते. ऐसा तभी हो सकता है जब टीम के सभी खिलाड़ी अच्छे से परफॉर्म करें. ठीक इसी तरह मैदान चाहे क्रिकेट का हो या निवेश का, अगर आपने सही रणनीति अपनाई तो जीत पक्की है. क्रिकेट मैच आपको म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर भी काफी कुछ सिखाता है. क्रिकेट से आप फाइनेंशियल प्लानिंग सीख सकते हैं. निवेश की पिच पर आप किस तरह ज्यादा रिटर्न पाने के लिए खेल सकते हैं, आज मनी गुरू में हम आपको यही बताने वाले हैं. निवेश की पिच पर क्या हो आपकी रणनीति? कैसी हो आपके फंड्स की फील्डिंग और कैसे लगाएं रिटर्न के चौके-छक्के? ये बताने के लिए हमारे साथ जुड़ गए हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट हर्ष रूंगटा.

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टीम का चुनाव

क्रिकेट की तरह निवेश में भी टीम चुननी होती है. निवेश में टीम का अर्थ है 'पोर्टफोलियो' है यहां सदस्य हैं 'फंड्स.' जिस तरह क्रिकेट टीम का लक्ष्य वर्ल्ड कप जीतना है, उसी तरह निवेश से पहले लक्ष्य तय करना जरूरी है. यदि लक्ष्य साफ हों, तो ही बना सकेंगे फंड्स की सही टीम. टीम तैयार करते समय इन बातों का रखें ध्यान- 

1. लंबी अवधि में जो फंड्स दिला सकते हैं फायदा, जरूरी नहीं कि छोटी अवधि में भी वो काम आएंगे.

2. लक्ष्यों के हिसाब से फंड्स की टीम तैयार करें. 

3. जरूरत के हिसाब से फंड्स चुनना बेहतर. 

 

टीम में संतुलन

टीम क्रिकेट की हो चाहे निवेश की, संतुलन जरूरी है. जैसे मैच के हिसाब से टीम मेंबर्स का चुनाव होता है, वैसे निवेश में लक्ष्यों के लिए असेट अलोकेशन अहम है. क्रिकेट में सभी खिलाड़ी एक तरह के नहीं हो सकते, वैसे ही एक जैसे फंड्स चुनने से लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता है. तय करें कि कौन-सा निवेश आपके लिए अच्छा है. उसी हिसाब से असेट अलोकेशन करना होगा. पोर्टफोलियो में इक्विटी, रियल एस्टेट, गोल्ड को लक्ष्यों के हिसाब से निवेश इंस्ट्रूमेंट शामिल करें. 

सुरक्षा कवर

बैट्समैन पिच पर हेल्मेट और ग्लव्स पहनकर आता है. इससे खेल के दौरान अनचाहे खतरों से सुरक्षा मिलती है. निवेश के साथ इंश्योरेंस लेने से मिलता है सुरक्षा कवर. निवेश शुरू करने से पहले इंश्योरेंस लेना सबसे जरूरी. इंश्योरेंस खर्च से निवेश कम, लेकिन सुरक्षा बेहद जरूरी.

अलग-अलग रखें इंश्योरेंस और निवेश

क्रिकेट में एक ही काम के लिए दो अलग चीजें नहीं रखते. उसी तरह निवेश और इंश्योरेंस को भी मिक्स नहीं करते. निवेश और इंश्योरेंस, दोनों को अलग-अलग रखें. खुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिक्लेम प्लान ले सकते हैं. बाकी रकम फंड्स में निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. 

लंबी पारी खेलें

दबाव में अक्सर बल्लेबाज विकेट गंवा देता है. जीत की तरफ बढ़ते मैच में अक्सर हार होती है. बाजार में उतार-चढाव देखकर निवेशक घबरा जाते हैं. गिरावट के दौरान पैसे निकालने लग जाते हैं. खराब दौर से बाहर निकलने के लिए लंबी पारी खेलें. इक्विट में लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखें. छोटी अवधि की उठापटक से न घबराएं. 

संयम रखें

50 ओवर के मैच में कुछ अच्छे ओवर तो कुछ खराब, कुछ ओवरों में रन बनते हैं. कुछ में डॉट बॉल होती हैं. फिर भी मैच के आखिर तक कई बार जीत मिल जाती है. इक्विटी में कई बार उतार-चढ़ाव निगेटिव रिटर्न देते हैं. इसके बाद भी निवेशित बने रहने से फायदा होता है. इसलिए निवेश में संयम रखना बेहद जरूरी हो जाता है.

हमेशा रक्षात्मक रवैया सही नहीं 

बच-बच कर खेलने वाला खिलाड़ी मैच भी हराता है. जरूरत से ज्यादा रक्षात्मक होना नुकसानदेह है. निवेश में थोड़ा जोखिम उठाने पर ही फायदा होता है. FD जैसे सुरक्षित निवेश से आपका लक्ष्य पूरा नहीं होगा. सुरक्षित निवेश महंगाई के सामने नहीं टिक पाएगा. 

रन रेट पर अंकुश बनाकर रखें

मैच में शुरुआत से ही रन रेट बनाए रखना होता है. इससे बाद के ओवरों में दबाव नहीं पड़ता है. निवेश जितना जल्दी शुरू करेंगे, उतना अच्छा. इससे समय पर लक्ष्य पाना आसान हो जाता है. आपकी जेब पर भी ज्यादा दबाव नहीं पड़ता. 

गुगली से बचें 

गेंदबाज की गुगली से ध्यान हटा, विकेट गिरा. बिना रिसर्च के निवेश करना गुगली साबित होगा. एजेंटों के बहकावे में आकर निवेश करने से बचें. बहकावे में आकर निवेश करना सही नहीं.