पति या पत्‍नी सिर्फ जीवनसाथी ही नहीं होते, वे Tax Saving में भी मददगार साबित होते हैं. दरअसल, अपने पति या पत्‍नी की मदद से आप बहुत सारा टैक्‍स बचा सकते हैं. इनकम टैक्‍स कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं. आज हम इन्‍हीं प्रावधानों की चर्चा करेंगे.

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बच्‍चों की पढ़ाई के खर्च के जरिए Tax Saving

इनकम टैक्‍स अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप पीपीएफ, यूलिप, होम लोन के मूलधन, लाइफ इंश्‍योरेंस प्रीमियम आदि के साथ बच्‍चों की पढ़ाई पर होने वाले 1.50 लाख रुपये तक के खर्च पर डिडक्‍शन का लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं. बच्‍चों की पढ़ाई का ये खर्च किसी यूनिवर्सिटी, कॉलेज, स्‍कूल या एजुकेशनल इंस्‍टीट्यूशन में से किसी का भी हो सकता है. डिडक्‍शन का यह फायदा दो बच्‍चों तक ही सीमित है. हां अगर आपका कोई तीसरा बच्‍चा है तो पति या पत्‍नी में से कोई भी दूसरा व्‍यक्ति उसकी पढ़ाई के खर्च पर डिडक्‍शन का दावा कर सकता है. अगर सिर्फ दो ही बच्‍चे हैं तब भी उसकी पढ़ाई के खर्च को इनकम टैक्‍स में फायदे के लिए पति-पत्‍नी के बीच बांटा जा सकता है. इस तरीके से डिडक्‍शन के क्‍लेम की राशि बढ़ाई जा सकती है.

होम लोन के जरिए पति-पत्‍नी मिलकर ज्‍यादा बचा सकते हैं टैक्‍स

होम लोन के मूलधन के भुगतान पर इनकम टैक्‍स में कटौती का लाभ धारा 80सी के तहत मिलता है और इसकी सीमा  दूसरे सभी विकल्‍पों जैसे यूलिप, ईएलएसएस, टैक्‍स सेविंग एफडी आदि को मिलाकर 1.5 लाख रुपये है. परिणाम यह होता है कि ज्‍यादातर टैक्‍सपेयर होम लोन का पूरा लाभ धारा 80सी के तहत नहीं उठा पाते. ऐसा तब होता है जब पति या पत्‍नी में से सिर्फ एक नौकरीपेशा हो. अगर पति-पत्‍नी दोनों नौकरीपेशा हैं और प्रॉपर्टी के ज्‍वाइंट ओनर होने के साथ-साथ बैंक से साझा कर्ज लिया है तो दोनों इसका लाभ उठा सकते हैं.