वैसे तो किराए पर घर देना और किराए के मकान में रहना एक आम सी बात है, लेकिन कभी-कबी इसमें बड़ी दिक्कत हो जाती है. अगर मकान मालिक परेशान करे तो किराएदार तुरंत ही एक घर छोड़कर दूसरे घर में शिफ्ट हो जाते हैं, लेकिन अगर किराएदार परेशान करे तो क्या? कई बार मकान मालिकों से कुछ ऐसे किराएदार टकरा जाते हैं, जिनके इरादे नेक नहीं होते. वह किराए के घर में रहने के लिए नहीं, बल्कि उसे हथियाने की प्लानिंग के साथ रहने आते हैं. अब सवाल ये है कि ऐसे में मकान मालिक को क्या करना चाहिए?

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लगभग सभी मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाते हैं और अधिकतर पुलिस वेरिफिकेशन भी करवाते हैं. हालांकि, कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं, जब रेंट एग्रीमेंट और पुलिस वेरिफिकेशन भी फेल हो जाता है और किराएदार आपके मकान को हथियाने की कोशिश करने लगता है. ऐसे में किसी भी विवाद से बचने से लिए आपको 'लीज़ एंड लाइसेंस' एग्रीमेंट जरूर बनवाना चाहिए. इससे आपका लाखों रुपये का घर सुरक्षित रहेगा.

क्या होता है रेंट या लीज एग्रीमेंट?

रेंट एग्रीमेंट आमतौर पर रिहायशी प्रॉपर्टी के लिए बनवाया जाता है. यानी इस प्रॉपर्टी में सिर्फ रहा जा सकता है, कमर्शियल एक्टिविटी पर प्रतिबंध होता है. वहीं रेंट एग्रीमेंट 11 महीनों के लिए बनता है, जिसके बाद इसे रीन्यू करवाना होता है. वहीं दूसरी ओर लीज़ एग्रीमेंट 12 महीने या उससे अधिक की अवधि के लिए बनता है. लीज़ एग्रीमेंट आमतौर पर कमर्शियल प्रॉपर्टी का बनता है.

लीज एंड लाइसेंस क्या है?

लीज एंड लाइसेंस काफी हद तक रेंट या लीज़ एग्रीमेंट जैसा ही होता है. हालांकि, इसमें लिखे जाने वाले कुछ क्लॉज बदल दिए जाते हैं. लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट 10-15 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए बनाया जा सकता है. यह भी स्टांप पेपर पर नोटरी के जरिए बनाया जाता है. हालांकि, अगर किराए की अवधि 12 महीने या उससे अधिक की होती है तो उसे कोर्ट से रजिस्टर्ड भी करवाना जरूरी होता है. इसमें साफ लिखा होता है कि किराएदार किसी भी रूप में संपत्ति पर हक नहीं जता सकता है. 

यही वजह है कि यह दस्तावेज मकान मालिक के हितों की रक्षा करता है. अगर एग्रीमेंट के दो पक्षों में से किसी एक की मौत हो जाती है तो रेंट या लीज़ एग्रीमेंट में सक्सेसर यानी वारिस आपसी सहमति से एग्रीमेंट को जारी रख सकते हैं. वहीं लीज़ एंड लाइसेंस में किसी भी पक्ष की मौत होते ही एग्रीमेंट कैंसिल हो जाता है.