इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के बाद नहीं पड़ेगा पछताना, 30 दिनों तक ले सकेंगे ट्रायल, IRDAI ने पेश किया प्रस्ताव
पिछले कुछ वक्त से पॉलिसी वापस करने के नियम आसान किए जा रहे हैं. अब इसे लेकर इरडा की ओर से नया प्रस्ताव आया है. इरडा ने 'फ्री लुक' अवधि को 30 दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है.
खुद को जरूरी इंश्योरेंस पॉलिसी से इंश्योर करना जल्द ही और आसान हो सकता है. बीमा नियामक संस्थान IRDAI का फोकस पिछले कुछ वक्त से बीमा सेक्टर को ज्यादा पहुंच और ग्राहकों के लिए आसान बनाने पर है. इसके लिए पिछले कुछ वक्त से पॉलिसी वापस करने के नियम आसान किए जा रहे हैं. अब इसे लेकर इरडा की ओर से नया प्रस्ताव आया है. इरडा ने 'फ्री लुक' अवधि को 30 दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक ड्राफ्ट जारी कर बीमा से संबंधित विभिन्न नियमों के कई प्रावधानों को एकीकृत यानी मिलाने करने का प्रस्ताव रखा है. इस मसौदे में पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा के बारे में कहा गया है, "किसी भी माध्यम से प्राप्त पॉलिसी के लिए फ्री-लुक अवधि पॉलिसी दस्तावेज़ मिलने की तारीख से 30 दिन होगी."
क्या है प्रस्ताव का मतलब?
बीमा नियामक इरडा ने पॉलिसी वापस लेने के लिए निर्धारित 'फ्री लुक' अवधि को 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन करने और जीवन बीमा पॉलिसी के लिए नामांकन को अनिवार्य बनाने का बुधवार को प्रस्ताव रखा. मौजूदा समय में कोई बीमाधारक पॉलिसी के नियमों एवं शर्तों से संतुष्ट न होने की स्थिति में पॉलिसी दस्तावेज मिलने की तारीख से 15 दिनों की 'फ्री लुक' अवधि के भीतर उससे अलग हो सकता है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसी के मामले में यह अवधि 30 दिनों की होती है.
यानी कि अगर आपने एजेंट से कोई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी, लेकिन खरीदने के बाद आपको लगा कि इसमें कई ऐसी शर्तें हैं, जो आपको सूट नहीं कर रहीं, या आपको पॉलिसी में ज्यादा फायदा नजर नहीं आ रहा, तो आप इसे अभी 15 दिनों के भीतर वापस कर सकते हैं, लेकिन अगर इरडा का प्रस्ताव पास हो जाता है तो आपके पास इसे वापस करने के लिए 30 दिनों का मौका होगा.
नॉमिनेशन पर भी नए नियम का प्रस्ताव
इसके अलावा इरडा ने इस मसौदे में पॉलिसी जारी करने के लिए नॉमिनी का उल्लेख किए जाने को अनिवार्य बनाने की भी बात कही है. इसके मुताबिक, साधारण बीमा और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी से संबंधित नामांकन प्रावधान पेश किए गए हैं. इस मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक, पॉलिसी रिफंड के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर और बीमा दावों के भुगतान को सक्षम बनाने के लिए बीमा कंपनी को प्रस्ताव चरण में ही बीमाधारक के बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए. इसके साथ ही इरडा ने बीमा कंपनियों की तरफ से अपने विज्ञापनों की जानकारी नियामक को देने की जरूरत को खत्म करने का भी प्रस्ताव रखा है. बीमा नियामक ने इन प्रस्तावों पर चार मार्च, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.
(एजेंसी से इनपुट)