केंद्र वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत के ग्रीन बॉन्ड की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है. इससे भारत, पेरिस समझौते के तहत अपनाए गए अपने एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) लक्ष्यों की प्रतिभद्धता को और मज़बूत कर पायेगा. साथ ही इससे ग्रीन प्रोजेक्ट्स में वैश्विक एवं घरेलू निवेश में बढ़ोतरी होगी.

कब हुई थी ग्रीन बॉन्ड की बात?

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2022 में ग्लास्ग्लो में हुए कॉप 26 में प्रधानमंत्री द्वारा मंजूरी मिलते ही, वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट (Union Budget FY 2022-23)में ग्रीन बॉन्ड के बारे में घोषणा हो गई थी. वित्त मंत्री ने ये कहा की ग्रीन   प्रोजेक्ट्स के लिए लिए ग्रीन बॉन्ड जारी किये जायेंगे. ग्रीन बॉन्ड लाने का एलान सरकार की ओर से आम बजट की पेशकश में हुआ था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था की ये बॉन्ड भारतीय अर्थव्यवस्था को पर्यावरण के लिए अनुकूल बनाने की दिशा में ले जाने का पहला कदम है. केंद्र सरकार जल्द ही मंजूरी देते हुए, ग्रीन बांड जारी कर सकती है. सरकार की योजना इस वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच में 16,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने की है. ये दूसरी छमाही के लिए उधार कार्यक्रम का एक हिस्सा है. 

क्या होते है ग्रीन बॉन्ड?

ये ऐसे बॉन्ड होते हैं जिनका उपयोग सरकार ऐसी वित्तीय परियोजनाओं में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है. ग्रीन बांड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लांच किया था. ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो की ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए धनराशि जुटाने में मदद करता है. इन बांड्स से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक क्षेत्र के उन प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा जिससे इकॉनमी की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो. 

ग्रीन बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में शामिल है. इनमें से कुछ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा  कुशलता,स्वच्छ परिवहन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स है. सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के ज़रिये विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है. ये बॉन्ड लम्बे और डोमिनेटिंग होते है. एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स से पैसा जुटाना आसान हो जाता है. केंद्र सरकार ने दूसरी छमाही के लिए 5.92 लाख करोड़ रुपए का उधार लेने का लक्ष्य तय किया है.