देश की बेटियों के भविष्‍य को सुरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) चलाई जाती है. 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के अंतर्गत इस योजना को शुरू किया गया है. कोई भी भारतीय नागरिक अपनी 10 वर्ष के कम उम्र की बेटी के लिए इसमें निवेश कर सकता है. इस स्‍कीम में लगातार 15 सालों तक आपको निवेश करना होता है. इसके बाद अगले छह साल तक ये अकाउंट जारी रहता है और 21 साल में अकाउंट मैच्‍योर हो जाता है और आपको ब्‍याज के साथ पैसा मिल जाता है. लेकिन SSY के भी कुछ Drawbacks हैं, जिनके बारे में भी आपको जरूर जान लेना चाहिए, ताकि बाद में कोई पछतावा न हो.

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उम्र सीमा का बंधन

सुकन्या समृद्धि योजना का सबसे बड़ा Drawback ये है कि इसमें उम्र सीमा का बंधन है. अगर आपकी बेटी की उम्र 10 साल से ज्‍यादा है, तो आप उसके लिए इस योजना के तहत अकाउंट नहीं खोल सकते. ऐसे माता-पिता को बेटी के भविष्‍य के लिए निवेश का कोई और जरिया ढूंढना होगा. उम्र के बंधन के कारण देश की तमाम बेटियां इस योजना का लाभ नहीं ले पातीं.

सिर्फ दो लड़कियों के लिए ही खुलवा सकते हैं खाता

 सुकन्या समृद्धि योजना के तहत आप सिर्फ दो बेटियों का ही खाता खुलवा सकते हैं. अगर आपकी दो से ज्‍यादा बेटियों के पिता हैं तो तीसरी या चौथी बेटी के लिए आपको इस स्‍कीम का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि अगर आपकी दूसरी लड़की, जुड़वा या तिड़वा पैदा हुई है, तो उसके लिए सु‍कन्‍या समृद्धि खाता खोला जा सकता है.

अधिकतम जमा की सीमा तय

सुकन्‍या समृद्धि योजना का एक नुकसान ये भी है कि इसमें अधिकतम जमा की सीमा को तय किया गया है. इसमें आप अधिकतम 1.50 लाख रुपए तक ही जमा किए जा सकते हैं. अगर आप अपने बच्‍चे के लिए इससे ज्‍यादा पैसे जमा करना चाहते हैं, तो आप नहीं कर सकते.

मैच्‍योरिटी के बाद खाता-विस्तार की अनुमति नहीं

पीपीएफ या तमाम अन्‍य स्‍कीम्‍स में आपको मैच्‍योरिटी के बाद खाता विस्‍तार करने की भी सुविधा होती है, लेकिन सुकन्‍या समृद्धि योजना में आपको ये फायदा नहीं मिलता है. इस स्‍कीम में मैच्‍योरिटी के बाद खाता-विस्तार की अनुमति नहीं होती है.

सगे संबन्‍धी खाता नहीं खुलवा सकते 

किसी लड़की के नाम, सुकन्या समृद्धि खाता केवल उसके माता-पिता ही खुलवा सकते हैं या फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी करके लड़की को गोद लेने वाले अभिभावक को ही ये अकाउंट खुलवाने की छूट मिलती है. ऐसे में किसी बच्‍ची के लिए उसके दादा-दादी, नाना-नानी या बड़े भाई-बहन ये खाता नहीं खुलवा सकते. माता-पिता के जीवित न रहने पर दादा-दादी या कोई भी संबंधी गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही ये खाता खुलवा सकते हैं.