SBI RD vs SIP: ₹5000 मंथली निवेश से 2 साल में कहां-कितना बनेगा फंड? समझ लें रिटर्न-रिस्क की कैलकुलेशन
SBI RD vs SIP: मार्केट के जोखिम को बिना उठाए रेग्युलर निवेश करना चाहते हैं, तो बैंकों की रिकरिंग डिपॉजिट एक बेहतर ऑप्शन हैं. दूसरी ओर, अगर आप बाजार का जोखिम डायरेक्ट या इनडायरेक्ट उठा सकते हैं, तो निवेश के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का अच्छा विकल्प हो सकता है.
SBI RD vs SIP: निवेश को लेकर हमेशा से एक बात कही जाती है कि लंबी अवधि का नजरिया रखना चाहिए. निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर लंबी अवधि के लिए निवेश के कई ऑप्शन है. मार्केट के जोखिम को बिना उठाए रेग्युलर निवेश करना चाहते हैं, तो बैंकों की रिकरिंग डिपॉजिट एक बेहतर ऑप्शन हैं. दूसरी ओर, अगर आप बाजार का जोखिम डायरेक्ट या इनडायरेक्ट उठा सकते हैं, तो निवेश के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का अच्छा विकल्प हो सकता है. देश का सबसे बड़ा बैंक SBI 1 साल से 10 साल की RD पर 6.75 फीसदी तक का सालाना ब्याज ऑफर कर रहा है. दूसरी ओर, Mutual Fund SIP की बात करें, तो इनमें बाजार का जोखिम रहता है, लेकिन रिटर्न काफी आकर्षक रहता है. लंबी अवधि में ज्यादातर स्कीम्स की SIP का औसत रिटर्न 12 फीसदी सालाना रहा है.
SBI RD vs SIP: ₹5000 मंथली निवेश पर कहां कितना फायदा
SBI RD
SBI RD में मिनिमम 100 रुपये और उसके बाद 10 रुपये के मल्टीपल में निवेश किया जा सकता है. 1 साल से 2 साल की RD पर SBI रेगुलर कस्टमर्स को 6.75 फीसदी सालाना ब्याज ऑफर कर रहा है. इसमें निवेश की कोई मैक्सिमम लिमिट नहीं है. अगर आप 5000 मंथली निवेश शुरू करते हैं, तो 2 साल बाद आपको 1,28,758 रुपये मिलेंगे. इसमें आपका निवेश 1.20 लाख रुपये और ब्याज से इनकम 8,758 रुपये होगा.
SIP
अगर आप बाजार के जोखिम को उठाने की क्षमता रखते हैं, तो म्यूचुअल फंड में निवेश का ऑप्शन चुन सकते हैं. म्यूचुअल फंड की स्कीम्स में 100 रुपये की SIP से निवेश शुरू किया जा सकता है. लंबी अवधि में ज्यादातार स्कीम्स का औसतन रिटर्न सालाना 12 फीसदी रहा है.
मान लीजिए, आप म्यूचुअल फंड में 5,000 रुपये मंथली SIP शुरू कर सकते हैं. औसतन 12 फीसदी सालाना रिटर्न रहता है, तो 2 साल बाद आपको 1,36,216 रुपये मिल सकते हैं. इसमें आपका निवेश 1.20 लाख रुपये और अनुमानित वेल्थ गेन 16,216 रुपये होगा.
SBI RD vs SIP: रिस्क को समझ लें
बैंक में जमा रकम पर 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर मिलता है. इसमें सेविंग, करंट, फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट सहित सभी तरह के खातों को कवर किया जाता है. ये रकम आपको डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की ओर से दी जाती है. DICGC रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है. DICGC देश के बैंकों का इंश्योरेंस करता है. पहले इस एक्ट के तहत बैंक डूबने या बैंकरप्ट होने की स्थिति में 1 लाख रुपये तक की राशि दी जाती थी, लेकिन सरकार ने इस बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. भारत में जिन विदेशी बैंकों की शाखाएं हैं, वो भी इसके दायरे में आती हैं.
म्यूचुअल फंड SIP की बात करें, तो इसमें निवेश पूरी तरह बाजार के जोखिमों के अधीन होता है. यानी, बाजार में उतार-चढ़ाव का असर एसआईपी के रिटर्न पर पड़ता है. इसमें निवेश की कोई गारंटी नहीं होती है. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले अपनी रिस्क उठाने की क्षमता का आकलन कर लेना चाहिए.
(डिस्क्लेमर: यहां एक कैलकुलेशन के आधार पर रिटर्न की गणना की गई है. ये निवेश की सलाह नहीं है. म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले खुद पड़ताल करें या अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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