जो लोग नौकरीपेशा वाले नहीं हैं और प्रोविडेंट फंड स्‍कीम का फायदा लेना चाहते हैं, उनके लिए सरकार की तरफ से पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund) स्‍कीम चलाई जाती है. इस स्‍कीम में कोई भी भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है. पीपीएफ स्‍कीम 15 सालों में मैच्‍योर होती है. इसमें सालाना अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक निवेश किए जा सकते हैं. वर्तमान में पीपीएफ में आपको 7.1 फीसदी के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. इसके अलावा इस स्‍कीम में इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्‍स बेनिफिट भी मिलता है. लेकिन फिर भी इस स्‍कीम के कुछ Drawbacks हैं. अगर आप PPF में निवेश करने जा रहे हैं, तो आपको इन Drawbacks के बारे में भी जरूर जानना चाहिए.

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लंबे समय का निवेश

पीपीएफ का एक नुकसान ये है कि ये निवेश काफी लंबे समय का होता है. इसमें लगातार 15 सालों तक आपको इन्‍वेस्‍टमेंट करना पड़ता है, उसके बाद आपकी रकम मैच्‍योर होती है. ऐसे में आपका पैसा लंबी अ‍वधि के लिए फंस जाता है. इसकी तुलना में लंबी अवधि के निवेश में म्‍यूचुअल फंड्स को काफी बेहतर माना जा रहा है क्‍योंकि इसमें आपको पीपीएफ से बेहतर ब्‍याज भी मिल जाता है, साथ ही आपको बीच में जरूरत पड़ने पर पैसा निकालने की फ्लेक्सिबिलिटी भी मिलती है.

ब्याज दर बदलने की संभावना

पीपीएफ की ब्याज दर की बात करें तो समय के साथ इसकी ब्याज दर भी प्रभावित होती रहती है. अप्रैल 2019 से जून 2019 तक इसकी ब्‍याज दर 8 प्रतिशत थी, जो कि वर्तमान में 7.1 के हिसाब से मिल रही है. अगर आने वाले समय में ये ब्‍याज दर और कम हो जाती है, तो लोगों के पास इससे बेहतर रिटर्न देने वाले तमाम विकल्‍प मौजूद होंगे.

इन्‍वेस्‍टमेंट की अधिकतम लिमिट

पीपीएफ में इन्‍वेस्‍टमेंट की अधिकतम लिमिट 1.5 लाख रुपए सालाना है. अगर आपकी सैलरी काफी अच्‍छी है और आप इस स्‍कीम में ज्‍यादा इन्‍वेस्‍टमेंट करना चाहते हैं, तो आप नहीं कर सकते. ऐसे में आपको निवेश के दूसरे ऑप्‍शन तलाशने पड़ते हैं.

जॉइंट अकाउंट का विकल्‍प नहीं

पीपीएफ में आपको जॉइंट अकाउंट का विकल्‍प नहीं मिलता है और न ही एक व्‍यक्ति एक से ज्‍यादा पीपीएफ अकाउंट ओपन करवा सकता है. हालांकि आप इसमें कई नॉमिनी जरूर बना सकते हैं और उनके अलग-अलग हिस्‍से भी तय कर सकते हैं. अगर अकाउंट होल्‍डर की किसी कारणवश मृत्‍यु हो जाती है तो नॉमिनी को वो रकम निकालने का अधिकार होता है.