Investment Tips: इन्वेस्टमेंट का गेम टेस्ट क्रिकेट की तरह है. इसके लिए धैर्य, अनुशासन, प्लानिंग, दृढ़ता और ठोस निश्चय का होना बहुत जरूरी है. आपका रिटर्न पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कब तक टिके रहते हैं. खासकर लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर इन गुणों का होना अत्यधिक जरूरी है. सबसे पहले अपने लक्ष्य को निर्धारित करें और जितनी जल्दी हो सके, निवेश की शुरुआत कर दें. छोटी रकम ही सही, लेकिन म्यूचुअल फंड में SIP करें. इसके अलावा अनिश्चित बाजार में भी निवेश को नहीं रोकें.

असेट अलोकेशन के लिए 12:20:80  का फॉर्म्युला

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एकबार जब आपका फाइनेंशियल गोल निश्चित हो गया तो सही स्ट्रैटिजी भी बहुत मायने रखती है. चूंकि, इस समय ग्लोबल इकोनॉमी मंदी और महंगाई की डबल चुनौती से जूझ रही हैं. ऐसे में असेट अलोकेशन बहुत गंभीर विषय हो जाता है. क्वांटम म्यूचुअल फंड ने पोर्टफोलियो को वेदर प्रूफ बनाने के लिए 12:20:80 का फॉर्म्युला सुझाया है. इस फॉर्म्युले  में इमरजेंसी के लिए सेफ्टी फंड के अलावा डायवर्सिफिकेशन और ग्रोथ का बैलेंस बनाकर रखा गया है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

12 महीने का इमरजेंसी फंड जरूरी

सबसे पहले अपनी 12 महीने की जरूरत का इमरजेंसी फंड रखें. यह लिक्विड इन्वेस्टमेंट होना चाहिए. इसके बाद आप जितना निवेश कर सकते हैं उसका 20 फीसदी गोल्ड में निवेश करें. गोल्ड को शेयर बाजार का विपरीत माना जाता है. जब बाजार में तेजी आती है तो यहां मंदी रहती है. जब बाजार में मंदी आती है तो गोल्ड में तेजी आती है. इससे आपका पोर्टफोलियो बैलेंस बना रहेगा. निवेश की 80 फीसदी राशि को इक्विटी में डायवर्सिफाई करें.

50 हजार की रकम इंस्टैंट रिडीम हो सके

निवेशकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कम से कम 50 हजार की राशि ऐसे जगह निवेशित हो, जिसे तुरंत रिडीम किया जा सके. मतलब, इंस्टैंट रिडीम वाले विकल्पों में भी निवेश करें. अगर डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो AAA रेटेड गवर्नमेंट पेपर में ही निवेश करें.

गोल्ड में निवेश को लेकर टिप्स

गोल्ड में जहां भी निवेश करते हैं, उसकी बैकिंग 24 कैरेट गोल्ड से होना जरूरी है. इसके अलावा यह सुरक्षित हो, किसी तरह का मेकिंग चार्ज नहीं लगता हो और जरूरत पड़ने पर लिक्विड भी आसानी से किया जा सके. गोल्ड में छोटी-छोटी रकम निवेशित करना चाहिए.

इक्विटी फंड को लेकर टिप्स

इक्विटी फंड पोर्टफोलियो में 5-10 फंड शामिल करें. पोर्टफोलियो ज्यादा बड़ा होता तो उसकी ट्रैकिंग नहीं हो पाएगी. किसी भी स्कीम का चयन करने से पहले उसके 5 साल के प्रदर्शन पर विशेष रूप से गौर करें. टैक्स बेनिफिट पर भी ध्यान दें. इसके अलावा इंडेक्सेशन यानी बढ़ती महंगाई का भी लाभ मिलना चाहिए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि साल में कम से कम दो बार अपने पोर्टफोलियो का रिव्यू करें. इसके अलावा एकमुश्त रकम आती है तो उसे निवेश करना बेहतर होता है.