Investment Strategy: शेयर बाजार (Stock Market) में कभी तेजी आ रही है तो कभी गिरावट. साल 2022 में अबतक भले ही बाजार पॉजिटिव हैं, लेकिन अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. इसके पीछे कई तरह के ग्लोबल फैक्‍टर ज्यादा जिम्मेदार हैं. जैसे महंगाई, रेट हाइक, मंदी की आशंका और जियो-पॉलिटिकल टेंशन. फिलहाल इस बीच निवेशक अपने निवेश को लेकर या तो कनफ्यूज हो रहे हैं या डरे हुए हैं. आखिर मौजूदा हालात में उन्हें कहां निवेश करना चाहिए? 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के CEO सुरेश सोनी ने कहा, अभी हम दुनिया भर के बाजारों में में बहुत ज्यादा अस्थिरता देख रहे हैं. डेवलप्ड इकोनॉमिज में पिछले चार दशक में महंगाई का उच्चतम स्तर दिख रहा है. जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक एग्रेसिव तरीके से ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करने को मजबूर हो रहे हैं. जिसके चलते मंदी की आशंका बढ़ रही है और साथ ही कैपिटल मार्केट में अस्थिरता का कारण बन रहा है. अमेरिकी डॉलर इंटरेस्ट रेट में तेज बढ़ोतरी से मुद्राओं और उभरते बाजारों पर दबाव पड़ा है.

ये भी पढ़ें- Indian Railways: रेलवे ने ट‍िकट बुक‍िंग स‍िस्‍टम में क‍िया बड़ा बदलाव, जनरल टिकट लेने वालों को फायदा

हालांकि इस दौरान भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है. भारत में महंगाई दर उच्च है, लेकिन यह मैनेजबल रही है और अर्थव्यवस्था ने भी लचीलापन दिखाया है. बड़े घरेलू आधार को देखते हुए हमारा मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था प्रत्याशित ग्लोबल मंदी से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रह सकती है. विदेशी पूंजी प्रवाह ग्लोबल फैक्‍टर्स के चलते अस्थिर रह सकता है, क्योंकि यह ग्लोबल सेंटीमेंट से जुड़ा है. गनीमत है कि इक्विटी बाजार में घरेलू निवेशकों की भागीदारी बनी हुई है, बल्कि बढ़ी है.

पैसिव स्‍पेस में कर सकते हैं एंट्री

पैसिव फंड्स इंडस्‍ट्री ने हाल के वर्षों में निवेशकों की भागीदारी में बढ़ोतरी देखी है और यह इंडस्‍ट्री एक्टिव फंडों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि अभी इसका बेस कम है. पैसिव फंड में बढ़ोतरी काफी हद तक EPFO/अन्य PF ट्रस्टों के साथ-साथ एचएनआई (NHAI) और अन्य संस्थागत निवेशकों द्वारा कुछ हद तक संचालित हुई है. वर्तमान में पैसिव फंड कुल इंडस्‍ट्री एसेट का 15% हिस्सा है और हम आने वाले वर्षों में उनके मार्केट शेयर में और बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं.

हमारा मानना है कि पैसिव फंडों की डिमांड मजबूत बनी रहेगी और उम्मीद है कि इंडस्‍ट्री AUM में प्रमुख हिस्सेदारी बनाए रखेंगे. हमारा मानना है कि एक्टिव मैनेजर्स ने भारत में अल्फा बनाया है और अच्छी तरह से मैनेज होने वाले एक्टिव फंड बेहतर प्रदर्शन जारी रख सकते हैं. फिलहाल पैसिव स्‍पेस में इंटरेस्ट बढ़ रहा है, लेकिन हम अपने एक्टिव फंड बिजनेस में भी मजबूत बढ़ोतरी देख रहे हैं. हम स्पष्ट रूप से टारगेटेड ऑफरिंग यानी लक्षित पेशकशों के साथ पैसिव स्‍पेस में एंट्री करने पर भी विचार कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- जनधन खाताधारकों के लिए नई स्कीम लाएगी सरकार, घर बैठे कमाई का मिलेगा मौका

Mutual Fund  में बढ़ा निवेश

भारतीय म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों में महत्वपूर्ण ग्रोथ देखने को मिली है. बाजार के विकास और रेगुलेशन के साथ साथ इंडस्‍ट्री में भी साल दर साल ग्रोथ देखने को मिली है. पिछले कुछ वर्षों में म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री निवेशकों के बीच अच्छा खासा पॉपुलर हुआ है और निवेश लगातार बढ़ रहा है. रिटेल निवेशक अब संस्थागत निवेशकों यानी इंस्टीट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स की तुलना में AuM के बड़े हिस्से का योगदान करते हैं. बचत का वित्तीयकरण म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. 

हमारा मानना है कि भारतीय निवेशक अब मैच्‍योर हो रहे हैं और बाजार के बारे में उनकी समझ में काफी सुधार हुआ है. यह इस फैक्‍ट से भी साबित होता है कि पिछले 12 महीनों में म्यूचुअल फंड अन्य डीआईआई के साथ बाजारों में नेट इन्‍वेस्‍टर रहे हैं, जबकि FPIs ने भारी मात्रा में पैसा निकाला है.

मंथली बेसिस पर SIP AuM और अकाउंट में बढ़ोतरी इंडस्‍ट्री के लिए एक बड़ा और सपोर्ट देने वाला फैक्‍टर रहा है. यह आम तौर पर लंबी अवधि का निवेश है और 2022 जैसी निगेटिव बाजार स्थितियों में भी लचीला साबित हुआ है.

ये भी पढ़ें- BoB का ग्राहकों को तोहफा, Fixed Deposit पर ब्याज दर 1% तक बढ़ाई, अब होगा ज्यादा फायदा

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

बिहार सरकार किसानों को दे रही 10 लाख रुपए, करना होगा ये काम

Small Cap Fund में कितने साल के लिए निवेश करना चाहिए?

एक कैटेगरी के रूप में स्मॉल कैप फंड (Small Cap Fund) अधिक वोलेटाइल या अस्थिर होते हैं और कभी-कभी इनमें तेज गिरावट देखी जा सकती है. हालांकि, समय के साथ उनके पास लार्ज कैप की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है, क्योंकि इन कंपनियों की ग्रोथ रेट अधिक हो सकती है. उनमें से कुछ को रीसेट किया जा सकता है.

हमारा मानना है कि स्मॉल कैप फंडों में निवेश लंबी अवधि के लिए होना चाहिए, मसलन 5 साल से अधिक. ध्यान रखें कि अन्य डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों की तुलना में प्रदर्शन महत्वपूर्ण अवधि के लिए अलग-अलग हो सकता है.

निवेश मंत्र

बाजार की अस्थिरता का उपयोग करें. बाजार में जब गिरावट होती है तो आपको आकर्षक वैल्यूएशन पर शेयर मिलते हैं. गिरावट के दौर में बाजार भले ही नीचे आ जाएं, लेकिन वे हमेशा के लिए नीचे नहीं रहते. एक लंबी अवधि के निवेशक के लिए, ये इक्विटी में पैसे लगाने और लंबी अवधि के पैसा बनाने के अवसर की तरह होता है. अपना एसेट एलोकेशन तय करें और निवेश में बने रहें. रोज रोज कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर ध्यान न दें.

ये भी पढ़ें- 30 नवंबर याद रखें डेडलाइन, फेस ऑथेंटिकेशन के जरिए जमा करें लाइफ सर्टिफिकेट, चूके तो रुक जाएगी पेंशन

नए निवेशकों के लिए सलाह

इक्विटी बाजार लंबी अवधि के लिए आपकी दौलत में इजाफा करते हैं,  लेकिन वे इनमें इस दौरान टर्म में उतार चढ़ाव भी रहता है. इक्विटी निवेश के जरिए पाउंडिंग का फायदा पाने के लिए आपको लंबी अवधि तक अपने निवेश को बनाए रखना होगा.

पहला- अपना एसेट एलोकेशन सही करें. अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के लक्ष्य को देखकर इक्विटी में निवेश करें. इक्विटी निवेश को कम से कम 3-5 साल के लक्ष्‍य के साथ शुरू करें. छोटी अवधि के लिए, आप बैंक डिपॉजिट और डेट फंड पर विचार कर सकते हैं.

दूसरा- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STPs) का इस्तेमाल करें. इक्विटी फंडों में निवेश करने के लिए ये बेहतर और सुरक्षित विकल्प हैं.

इन सेक्टर्स को लेकर पॉजिटिव

उन्होंने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत बनी रहेगी, मुख्य रूप से घरेलू खपत और खर्च के कारण. इसलिए, हम डोमेस्टिक ओरिएंटेड सेक्‍टर्स जैसे फाइनेंशियल, कंज्‍यूमर, इंडस्ट्रियल और हेल्‍थकेयर पर ओवरवेट हैं. कमोडिटी की कीमतों में नरमी से भारत को फायदा हो सकता है. हम कैपेक्स साइकिल के रिवाइवल के शुरुआती संकेत भी देख रहे हैं. अंत में, प्रीमियमकरण की लंबी अवधि की कहानी, अंडर पेनिट्रेशन और फेवरेबल जियोग्राफिक्‍स भारत की ग्रोथ स्टोरी  को आगे बढ़ा रही है.