डाकघर की इस योजना में निवेश पर नहीं देना होता है कोई टैक्स, बेहतर रिटर्न और धन की सुरक्षा भी
रिटर्न, निवेश की परिपक्वता राशि और आय के रूप में मिली ब्याज राशि पर कोई कर नहीं देना होता है. डाकघर में पीपीएफ में निवेश की शुरुआत 100 रुपये से हो सकती है.
देश के सबसे बड़े नेटवर्क वाला भारतीय डाक यूं तो आम निवेशकों को निवेश के कई विकल्प देता है, लेकिन एक विकल्प बेहद खास है, वह है सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में निवेश. यह न सिर्फ निवेशक को बेहतर रिटर्न देता है बल्कि टैक्स से छूट भी प्रदान करता है. दिसंबर के अंत में समाप्त होने वाली तिमाही के लिए ब्याज दर 8 प्रतिशत है. यहां हम उन बातों पर खास तौर पर गौर करते हैं जो डाकघर में पीपीएफ में निवेश के फायदे और तरीके के बारे में बता रहे हैं.
- डाकघर में पीपीएफ पूरी तरह से टैक्स छूट की श्रेणी में आने वाला निवेश विकल्प है. इसका मतलब यह हुआ कि रिटर्न, निवेश की परिपक्वता राशि और आय के रूप में मिली ब्याज राशि पर कोई कर नहीं देना होता है. यह आयकर धारा80सी के टैक्स छूट के दायरे में आता है.
- पीपीएफ अकाउंट नकद या चेक से खोला जा सकता है. भारतीय डाक के मुताबिक., चेक की स्थिति में चेक की स्वीकार्यता की तारीख ही अकाउंट खोले जाने की तारीख के रूप में मान्य होती है.
- पीपीएफ अकाउंट व्यक्तिगत तौर पर खोला जा सकता है. इसके लिए 100 रुपये से शुरुआत हो सकती है. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, हां, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि साल में कुल जमा न्यूनतम 500 रुपये हो और अधिकतम 1,50,000 रुपये होना चाहिए. आप एक साल में 1,50,000 रुपये से ज्यादा जमा नहीं कर सकते.
- जमा की गई राशि को आप एकमुश्त भी जमा कर सकते हैं या अधिकतम 12 मासिक किस्तों में दे सकते हैं.
- सार्वजनिक भविष्य निधि यानी पीपीएफ खाता 15 साल के लिए खोला जाता है. यानी परिपक्वता की अवधि 15 साल की होती है.
- पीपीएफ अकाउंट में आपको नॉमिनी को जोड़ने की सुविधा मिलती है. यह सुविधा अकाउंट खोलते समय ही दी जाती है. हां आप चाहें तो बाद में नॉमिनी ट्रांसफर कर सकते हैं.
- पीपीएफ अकाउंट से पैसे की निकासी सातवें वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद हर साल कर सकते हैं.
- इस बात का ध्यान रखें कि आप सिर्फ एक ही पीपीएफ अकाउंट खोल सकते हैं. पहले से अगर अकाउंट है तो आप ज्वाइंट अकाउंट के रूप में भी अकाउंट नहीं खोल सकते
15 साल बाद बढ़ा सकते हैं अवधि
जब आपके पीपीएफ अकाउंट की 15 साल की अवधि पूरी हो जाएगी तो आप इसे अगले 5 साल के लिए बढ़ा भी सकते हैं. उसके बाद फिर अगले पांच साल के लिए खाते को आगे बढ़ सकते हैं. ये सिलसिला पूरी उम्र चल सकता है. इस बढ़ी हुई अवधि के दौरान भी निवेश, टैक्स छूट ब्याज दर नियम पहले की तरह लागू रहेंगे.