बात चाहे नियमित आमदनी की हो या लंबे समय में पैसा बनाने की, म्युचुअल फंड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं. बस, आपको म्युचुअल फंड की इस तरह की स्कीम चुननी होगी जो आपके वित्तीय लक्ष्यों, निवेश के नजरिए और जोखिम प्रोफाइल से मेल खाती हो. अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं उठा सकते हैं तो आपको डेट म्युचुअल फंड स्कीमों में निवेश करना चाहिए. इसके उलट यदि आप थोड़ा अधिक रिटर्न पाने के लिए जोखिम ले सकते हैं तो आपको इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीमों में निवेश करना चाहिए.

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म्युचुअल फंड आज के दौर में इन्वेस्टमेंट का एक नया जरिया बनता जा रहा है. बढ़ते निवेश के साथ ही कई तरह के सवाल भी इन्वेस्टर के मन में रहते हैं. ऐसे में म्युचुअल फंड की क्या खासियत है, यह जानना बहुत जरूरी है.

पैसा डूबने का खतरा कम

म्युचुअल फंड में सेविंग की बात आते ही सबसे पहले रि‍स्‍क की बात होती है. अगर आप अपना पूरा पैसा कि‍सी एक कंपनी में इनवेस्‍ट कर दें और कि‍सी वजह से वह कंपनी डूब जाए तो आपका सारा पैसा भी डूब सकता है. ऐसे में म्युचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यही है कि‍ यहां आपके पैसे को अलग-अलग कंपनि‍यों में लगाया जाता है. जैसे कि‍ अलग-अलग स्‍टॉक और बॉन्‍ड्स में आपके पैसे को इनवेस्‍ट कि‍या जाता है. इसका फायदा यह है कि‍ अगर कि‍सी एक कंपनी में लगा पैसा डूब भी जाए तो बाकी जगह से हुआ लाभ उसे कवर कर सकता है.

छोटे निवेश से भी कर सकते हैं शुरुआत

म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए बड़ी राशि की जरूरत नहीं है. इसमें सि‍स्‍टमैटि‍क इनवेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) का ऑप्‍शन चुनकर भी छोटा निवेश किया जा सकता है. SIP का मतलब है कि‍ आप EMI की तरह म्युचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं. बि‍ना फाइनेंशि‍यल दबाव के म्युचुअल फंड में इनवेस्‍ट करने का ऑप्‍शन देता है. म्युचुअल फंड में सि‍र्फ 500 रुपए से इनवेस्‍टमेंट शुरू कर सकते हैं. 

खुद सेलेक्ट करें अपना रिस्क

म्युचुअल फंड में रि‍स्‍क है तो बता दें कि‍ आप यहां रि‍स्‍क को भी अपने हि‍साब से मैनेज कर सकते हैं. जैसे यहां तीन कैटेगि‍री हाई रि‍स्‍क, मीडि‍यम रि‍स्‍क और लो रि‍स्‍क. ऐसे में अगर आप म्युचुअल फंड लेते समय हाई रि‍स्‍क का ऑप्‍शन चूज करेंगे तो आपको रि‍स्‍क बहुत ज्‍यादा होगा. लेकि‍न, इसमें फायदा यह है कि‍ आपको अगर फायदा हुआ तो रि‍टर्न भी ज्‍यादा मि‍लेगा. ऐसे में म्युचुअल फंड में आप अपना रि‍स्‍क जोन खुद सेलेक्‍ट कर सकते हैं. 

SEBI रखता है नजर

म्युचुअल फंड के नि‍यमन (रेगुलेशन) का काम सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) करती है. ऐसे में सेबी की ओर से बनाई गई गाइडलाइंस का म्युचुअल फंड कंपनियां को पालन करना होता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि निवेशकों को अनुचित और गलत तरीके से मि‍स गाइड नहीं कि‍या जाए. ऐसे में यह गाइड लाइन निवेशक और म्युचुअल फंड प्रदाता दोनों के पक्ष में काम करती हैं.