Recurring Deposit (RD) निवेश का एक शानदार विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो नियमित रूप से छोटी रकम जमा करना चाहते हैं. RD में निवेश SIP के समान है, जहां हर महीने तय राशि जमा होती है. इसमें MRni फॉर्मूला के तहत ब्याज की गणना होती है, जिससे निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है. ये सुविधा डाकघर (Post office) के साथ सरकारी और निजी बैंकों में मिल रही है. RD में औसतन 5.5% से 6.7% सालाना ब्याज मिल रहा है. रेकरिंग डिपॉजिट की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां आप SIP की तरह हर महीने तय रकम निवेश कर सकते हैं. इसमें आपके खाते में ब्याज तिमाही आधार पर कंपाउंडिंग होकर जुड़ती है. आइये समझाते हैं कि RD अकाउंट में कैसे ब्याज की रकम जुड़ती है.

2 तरह की होती है RD

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इसमें 2 तरह की स्कीम होती है. रेगुलर रेकरिंग डिपॉजिट में हर महीने पहले से तय रकम जमा करनी होती है. जबकि फ्लेक्सी रेकरिंग डिपॉजिट में यह रकम बाद में घटा और बढ़ा भी सकते हैं. 

RD में MRni फॉर्मूला कैसे काम करता है?

M = Maturity amount

R = Monthly installment

n = Number of quarters (tenure)

i = Interest rate per quarter (total interest earned)

मंथली निवेश पर ब्याज का फॉर्मूला है MRni

M = R [(1+i)n – 1] / 1-(1+i)(-1/3). यहां M का मतलब मेच्योरिटी पर रकम है. जबकि R कुल किस्त की संख्या, n कुल तिमाही की संख्या और i ब्याज दर है. 

एकमुश्त निवेश पर फॉर्मूला APrnt

A = P (1 + r/n) ^ nt. यहां A का मतलब मेच्योरिटी पर रकम है. P का मतलब निवेश की गई रकम, r यानी ब्याज दर, n यानी कुल तिमाही और t का मतलब कुल कितने दिन निवेश रहा.

उदाहरण के तौर पर, अगर आप हर महीने ₹10,000 RD में 7% की ब्याज दर पर 5 साल तक निवेश करते हैं, तो आपका कुल निवेश ₹6 लाख होगा. MRNI फॉर्मूला के जरिए इस पर करीब ₹1,12,000 का ब्याज मिलेगा.

क्यों चुनें RD?

  • लो रिस्क निवेश: इसमें पैसा सुरक्षित रहता है.
  • फिक्स्ड ब्याज दर: रेपो रेट के बावजूद ब्याज दर स्थिर रहती है.
  • छोटे निवेश से बड़ा फंड: मासिक बचत से बड़ी रकम जुटाई जा सकती है.