जब फाइनेंशियल सिक्योरिटी की बात आती है तो हमें प्रॉफिट से पहले प्रोटेक्शन के बारे में सोचना चाहिए. अगर आप अपना पहला निवेश शुरू करने जा रहे हैं, या करना चाहते हैं तो आपका पहला स्टॉप लाइफ इंश्योरेंस होना चाहिए. आमतौर पर निवेश का सफर शुरू करने को लेकर एक्साइटेड लोग अपने इन्वेस्टमेंट प्लान में या तो लाइफ इंश्योरेंस को बहुत नीचे रखते हैं या फिर रखते ही नहीं. लाइफ इंश्योरेंस को लेकर लोगों की कई ऐसी आदतें और सोच हैं, जिसे बदलकर वो अपने और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं और फाइनेंशियली बेहतर स्थिति में रह सकते हैं.

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लाइफ इंश्योरेंस को लेकर ऐसी कई गलतियां हैं, जो काफी आम हैं. कुछ लोग सोचते हैं कि एक निश्चित उम्र के पहले उन्हें इसकी जरूरत नहीं है और इसलिए इंश्योरेंस नहीं लेते. कुछ हैं जो इंश्योरेंस लेते भी हैं तो वो ढंग का कवर नहीं लेते. इंश्योरेंस लेते वक्त भी ऐसी कई गलतियां की जाती हैं. अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं या इंश्योरेंस पॉलिसी लेने जा रहे हैं तो ये 6 गलतियां कभी न करें.

1. बाद के लिए टाल देना

लाइफ इंश्योरेंस को लेकर जो सबसे पहली सोच लोगों के मन में आती है, वो ये कि "मुझे अभी कोई प्रॉब्लम नहीं है, बाद में कभी ले लेंगे." ये सोच आपको दो तरीकों से नुकसान पहुंचाती है. पहला- लाइफ का कोई भरोसा नहीं है, आप इंश्योरेंस लेकर फाइनेंशियल सिक्योरिटी तो फिक्स कर सकते हैं. नहीं लेने पर आप अपनी दिक्कत बढ़ा लेते हैं. दूसरा- आपकी उम्र जितनी ज्यादा बढ़ेगी, आपका टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम उतना ज्यादा रहेगा. कम उम्र में इंश्योरेंस ले लेने का फायदा यह रहता है कि आप कम प्रीमियम पर पॉलिसी ले सकते हैं. साथ ही इंश्योरेंस मिलने के चांस तब ज्यादा होते हैं, जब इंश्योरेंस कंपनी को आपकी इनकम को लेकर भरोसा रहता है कि आपके पास प्रीमियम चुकाने का रिसोर्स है. खराब सेहत के केस में या तो आपको इंश्योरेंस नहीं मिलेगा या फिर ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ेगा.

2. सही जानकारी न देना

कई लोग अपनी पॉलिसी को लेकर एक भयंकर गलती करते हैं, वो पॉलिसी लेते वक्त इसमें सही जानकारी रिवील नहीं करते. इंश्योरेंस कंपनी आपसे आपकी हेल्थ कंडीशन, आपकी आदतों के बारे में पूछती है, जिससे आपका रिस्क कैलकुलेट किया जाता है, अगर आप सही जानकारी नहीं देंगे और बाद में आपको कोई प्रॉब्लम हो गई तो ऐसी पॉलिसी का कोई मतलब ही नहीं है, जो आपको उस समस्या के लिए कवर करे. ऐसे में जब आपको पैसे की जरूरत पड़ेगी तो हो सकता है आपको पैसे ही न मिले.

3. प्रीमियम पर रिटर्न लेना 

चूंकि ऐसा माना जाता है कि आपको प्रीमियम पर कोई रिटर्न नहीं मिलता, ऐसे में लोग पॉलिसी लेने से बचते हैं. इसे देखते हुए कुछ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स रिटर्न ऑफ प्रीमियम प्लान के साथ आते हैं. यानी आप पॉलिसी के पूरे टर्म में प्रीमियम भरते हैं टर्म पूरा होने पर आपको रिटर्न मिलेगा, लेकिन असल में इसका कोई मतलब नहीं होता क्योंकि कई सालों के बाद जो रिटर्न मिलेगा, महंगाई के चलते उसकी वैल्यू काफी कम हो चुकी होगी. 

4. स्ट्रॉन्ग पॉलिसी की जगह, ज्यादा पॉलिसी ले लेना

कई पॉलिसी ले लेने का मतलब प्रोटेक्शन नहीं है. कई सारी पॉलिसी लेने का मतलब ये नहीं है कि आपको चारों ओर से प्रोटेक्शन मिला हुआ है. लाइफ कवर के लिए हमें जितनी जररूत पड़ती है, उसके मुकाबले हम अकसर कई छोटी पॉलिसी ले बैठते हैं और वो हमारी जरूरत नहीं पूरा कर पाती. आपके लाइफ इंश्योरेंस का सम अश्योर्ड इतना होना चाहिए, जितना आपके फ्यूचर गोल्ड और आपकी मौजूदा लायबिलिटी मिलाकर होगी.

5. इंश्योरेंस का पैसा कैसे मिले, इसका गलत पेआउट चूज़ करना

आपको कुछ हो जाने की स्थिति में आपके परिवार को पैसा कैसे मिलेगा, इसके लिए आपको कई ऑप्शंस मिलते हैं. आप या तो रेगुलर पेआउट चुन सकते हैं, लमसम अमाउंट का पेआउट चुन सकते हैं या फिर दोनों के बीच का ऑप्शन भी चुन सकते हैं. आपके इस स्टेप से यह तय होता है कि आपके परिवार को आपके इंश्योरेंस का फायदा कैसे मिलेगा. लेकिन आपको इसमें ये ध्यान रखना होगा कि अगर आप रेगुलर पेआउट चुन रहे हैं तो उसकी वैल्यू बनी रहे. वहीं, अगर लमसम अमाउंट का एक ही बार में पेआउट चुन रहे हैं तो आपके परिवार में उस पैसे का सही इस्तेमाल हो सके.

6. लाइफ कवर अच्छे से चेक नहीं करना, या अपडेट नहीं करना

आपको पॉलिसी लेते वक्त यह जरूर चेक करना चाहिए कि आपको कितना लाइफ कवर मिल रहा है. या फिर अगर आपने बहुत पहले इंश्योरेंस खरीदा था, तो उम्र और जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ यह देख लेना चाहिए कि वो लाइफ कवर आपको सूट कर रहा है या नहीं. आपका कवर हमेशा आपकी इनकम और आपकी लायबलिटी को बैलेंस में लेकर चलने वाला होना चाहिए. कुछ हालातों में आपको ज्यादा कवर वाली पॉलिसी भी लेनी पड़ सकती है. ऐसे में हमेशा अपनी लायबलिटी को देखते हुए अपना कवर लें.