नौकरीपेशा लोगों के परिवार की तमाम जरूरतें उनकी सैलरी पर निर्भर होती हैं. अगर होम लोन, कार लोन या किसी अन्‍य तरह का लोन लिया, तो उसकी किस्‍त की भरपाई भी सैलरी से ही होती है. लेकिन मान लीजिए किसी कारणवश व्‍यक्ति की नौकरी चली जाए, तो क्‍या होगा?  ऐसी किसी भी स्थिति में जॉब लॉस इंश्योरेंस आपके लिए काम का हो सकता है. इसकी मदद से आप नौकरी छूट जाने पर भी अपनी सारी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. यहां जानिए इसके बारे में.

जानिए क्‍या है जॉब लॉस इंश्‍योरेंस

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कोई जनरल इंश्योरेंस कंपनी जॉब लॉस के नाम पर अलग से पॉलिसी नहीं बेचती यानी ये स्टैंडअलोन पॉलिसी नहीं है, लेकिन आप इसे किसी अन्‍य पॉलिसी के साथ राइडर के तौर पर ले सकते हैं. ये इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर और उसके परिवार को जरूरी फाइनेंशियल हेल्प का कवरेज देते हैं. अगर किसी कारण से व्‍यक्ति को जॉब गंवानी पड़ जाए तो ये उसके लिए वरदान की तरह साबित हो सकती है. ऐसी स्थिति में इस इंश्‍योरेंस के तहत कुछ समय तक इनकम होती रहती है जिससे आप अपने घर की जरूरतों और ईएमआई वगैरह के खर्चों को पूरा कर सकते हैं. 

योग्‍यता

इस इंश्‍योरेंस पॉलिसी का लाभ केवल वही कर्मचारी उठा सकते हैं, जो किसी रजिस्‍टर्ड कंपनी के कर्मचारी रहे हों और नियमित आय वाले हों. आवेदनकर्ता की कंपनी रजिस्टर्ड होना चाहिए. खुद से काम करने वाले लोगों के लिए यह सुविधा नहीं है.

इन कारणों में नहीं है कवर 

  • खराब काम करने या बेईमानी, धोखाधड़ी के चलते गई नौकरी में कोई कवर नहीं मिलता.
  • प्रोबेशन पीरियड के दौरान गई नौकरी में कवर नहीं.
  • स्वेच्छिक सेवानिवृति में कोई कवर नहीं. 
  • अस्थाई कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वालों के लिए कोई कवर नहीं .

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कैसे करें क्‍लेम

नौकरी जाने की स्थिति में व्यक्ति को बीमा कंपनी को इसकी सूचना देनी होती है. आपके पास नौकरी नहीं है, इसका प्रमाण बीमा कंपनी की ओर से मांगा जाता है, साथ ही कुछ दस्‍तावेज मांगे जाते हैं. इन सभी को जमा करने के बाद कंपनी वैरिफिकेशन करती है. इसके बाद आपको बीमा क्‍लेम देती है. हालांकि ये सुविधा सीमित समय के लिए होती है. इसलिए आपको दूसरी नौकरी के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए.