क्या Life Insurance की मैच्योरिटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है? जानिए Tax को लेकर नियम क्या कहता है
Life Insurance हर किसी के लिए जरूरी होता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि निवेश की शुरुआत इंश्योरेंस पॉलिसी से करनी चाहिए. क्या आपको पता है कि इंश्योरेंस की मैच्योरिटी पर जो रकम मिलती है, उस पर टैक्स लगता है या नहीं.
Life Insurance maturity tax rules: क्या आपके मन भी यह सवाल उठता है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मैच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स लगता है या नहीं. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि हर किसी को अपने और परिवार के लिए पर्याप्त इंश्योरेंस खरीदना चाहिए. कमाई की शुरुआत होते ही सबसे पहले इंश्योरेंस खरीदें और उसके बाद निवेश और सेविंग्स पर फोकस करें. इस आर्टिकल में इंश्योरेंस पॉलिसी और मैच्योरिटी अमाउंट पर कब टैक्स लगता है, कब टैक्स नहीं लगता है और कितना टैक्स लगता है, इन तीन प्रमुख सवालों के जवाब जानते हैं.
दो सेक्शन के तहत मिलता है टैक्स बेनिफिट
अगर आप इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं तो प्रीमियम अमाउंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है. इसके अलावा इंश्योरेंस पर टैक्सेशन का फायदा सेक्शन 10(10D) के तहत भी मिलता है. इस सेक्शन में मैच्योरिटी अमाउंट पर लगने वाले टैक्स की डीटेल दी गई है.
प्रीमियम अमाउंट पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में लाभ
Section 80C के तहत इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स में छूट मिलती है. इस सेक्शन की लिमिट 1.5 लाख रुपए है. नियम के मुताबिक, सम अश्योर्ड का 10 फीसदी या प्रीमियम अमाउंट में जो कम होगा, उतनी राशि पर इस सेक्शन के तहत टैक्स में डिडक्शन का फायदा मिलेगा.
मैच्योरिटी पर किस तरह होता है टैक्स का हिसाब
सेक्शन 10(10D) के तहत इंश्योरेंस का मैच्योरिटी अमाउंट पूरी तरह टैक्स फ्री होता है. हालांकि, इसको लेकर एक शर्त है. शर्त के मुताबिक, अगर किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का एनुअल प्रीमियम अमाउंट सम अश्योर्ड के 10 फीसदी से कम होता है तो मैच्योरिटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है. हालांकि, 10 फीसदी का नियम उन पॉलिसी पर लागू हैं जो अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई हैं. अगर कोई पॉलिसी उससे पहले खरीदी गई है तो इसके लिए प्रीमियम अमाउंट सम अश्योर्ड का 20 फीसदी तक हो सकता है.
प्रीमियम 10 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम होने पर
अगर एनुअल प्रीमियम अमाउंट सम अश्योर्ड के 10 फीसदी से ज्यादा होता है तो मैच्योरिटी पूरी तरह टैक्सेबल हो जाती है. जैसा कि हम जानते हैं, किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी बोनस और सम अश्योर्ड को मिलाकर तैयार होती है. अगर प्रीमियम अमाउंट सम अश्योर्ड के 10 फीसदी से ज्यादा होता है तो पूरी-पूरी की मैच्योरिटी टैक्स के दायरे में आ जाती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें