जब आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो आपको वहां कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. मेडिकल इंश्‍योरेंस भी कई बार इन सुविधाओं का हिस्‍सा होता है. इसके कवर में कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार के एक या दो सदस्यों को शामिल किया जाता है. कर्मचारियों की सैलरी और उनके पद के हिसाब से इंश्‍योरेंस पॉलिसी की लिमिट अलग-अलग होती है. ऐसे में तमाम लोग अलग से कोई हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी नहीं खरीदते हैं क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि कंपनी से मिली सुविधा ही उनके लिए काफी है. लेकिन क्‍या सिर्फ कंपनी से मिले हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के भरोसे रहना ठीक है? इसका जवाब है नहीं, आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

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क्‍यों जरूरी है अलग से इंश्‍योरेंस कवर लेना 

सेहत से जुड़ी एमरजेंसी कब और किसके सामने आ जाए, इसको लेकर कुछ भी कहा नहीं जा सकता. अगर आपको कंपनी से मेडिकल इंश्‍योरेंस मिला भी है तो सिर्फ उसके भरोसे रहना ठीक नहीं होता. इसकी वजह है कि जब भी आप कंपनी छोड़ते हैं, रिटायर होते हैं या किसी कारणवश आपकी नौकरी चली जाती है, ऐसी किसी भी स्थिति में आप उस कंपनी से मिले हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कवर का हिस्‍सा नहीं रहते. इसलिए एक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस अलग से हमें जरूर खरीदना चाहिए.

दूसरी वजह भी जानिए

Health Insurance कवर लेने की दूसरी वजह भी जान लीजिए. जिस तरह उम्र बढ़ने के साथ ही आपके तमाम खर्च बढ़ जाते हैं, उसी तरह लाइफ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम बढ़ता जाता है. ऐसे में आपको खुद से ये सवाल करना चाहिए कि क्‍या कंपनी आपको मेडिकल के बढ़ते कॉस्‍ट के हिसाब से पर्याप्‍त कवर उपलब्‍ध करा रही है और क्‍या कंपनी का कवर क्‍या रिटायरमेंट के बाद भी जारी रहेगा. ज्‍यादातर लोगों को इसका जवाब न में मिलेगा. इन दोनों समस्‍याओं को हल करने के लिए आपको अलग से हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी जरूर खरीदनी चाहिए. 

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टैक्‍स में भी मिलती छूट

अगर आप अलग से हेल्‍थ इंश्‍योरेंस खरीदते हैं तो आपको इससे टैक्‍स में छूट का भी लाभ मिलता है. आयकर अधिनियम की धारा 80डी के अनुसार, आप एक वर्ष में वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी पर प्रीमियम के लिए 50,000 रुपए और परिवार में अन्य लोगों के लिए 25,000 रुपए के भुगतान पर टैक्‍स कटौती का लाभ उठा सकते हैं.