स्पीच थैरेपी टर्म का यूज स्पीच डिसऑर्डर को असेस और ट्रीट करने में किया जाता है.  इसका इस्तेमाल बच्चों को होने वाल स्पीच डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है. ये अक्सर बचपन में ही डेवलप हो सकते हैं. इसके अलावा स्पीच थैरेपी का इस्तेमाल एडल्ट के इलाज के लिए भी किया जाता है. ये डिसऑर्डर किसी चोट, बीमारी या सर्जरी, जैसे ब्रेन सर्जरी या स्ट्रोक के कारण होने वाले स्पीच इम्पेयरमेंट से होता है. स्पीच थैरेपी स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट करता है. जिन्हें स्पीच थेरेपिस्ट के रूप में भी जाना जाता है. स्पीच थेरेपिस्ट, स्पीच थैरेपी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. इनमें स्पीच और कम्युनिकेशन डिसऑर्डर के आधार पर लैंग्वेज इंटरवेंशन एक्टिविटीज, आर्टिक्यूलेशन थैरेपी आदि शामिल होती हैं. स्पीच थैरेपी का इस्तेमाल आर्टिक्यूलेशन विकार, रेजोनेंस डिसऑर्डर, फ्लुएंसी डिसऑर्डर, डिसरथ्रिया, रिसेप्टिव डिसऑर्डर, अफेजिया, एक्सप्रेसिव डिसऑर्डर, कॅग्निटिव कम्यूनिकेशन डिसऑर्डर जैसे डिसऑर्डर को ट्रीट करने में किया जाता है.

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हेल्थ इंश्योरेंस स्पीच थैरेपी को करता है कवर

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान, स्पीच थैरेपी के लिए कवरेज देते हैं. इस तरह के प्लान स्पीच थेरेपिस्ट से कंसल्टेशन लेने पर लगने वाली फीस को कवर करते हैं. जबकि कुछ इंश्योरेंस कंपनियां केवल बच्चों के लिए स्पीच थैरेपी को कवर करती हैं. इसके साथ ही कुछ स्कीम एडल्ट के लिए भी कवरेज देती हैं. वहीं अगर कोई एक गंभीर बीमारी के कारण कम्यूनिकेशन और स्पीच डिसऑर्डर होता है, तो मेडिकल एक्सपेंस को क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर किया जाता है. स्पीच थैरेपी आमतौर पर ओपीडी कवर या पोस्ट हॅास्पिटलाइजेशन के खर्चों के तहत कवर की जाती है. स्पीच थैरेपी को कवर करने वाले चिल्ड्रन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत 3 साल से 25 साल तक की उम्र के बीच के लोगों को कवर मिलता है. हालांकि कुछ स्कीम 20 प्रतिशत के पेमेंट के साथ आती हैं. जिसका पेमेंट क्लेम के साथ करना होता है. इसलिए पॅालिसी को खरीदने से पहले हमेशा स्कीम से रिलेटेड टर्म्स और कंडीशन को ध्यान से पढ़ना चाहिए.

स्पीच थैरेपी है महंगी

स्पीच थैरेपी एक बहुत महंगी प्रोसेस है. स्पीच थेरेपिस्ट के साथ एक सिंगल कंसल्टेशन की लागत लगभग 3000 रुपये हो सकती है. स्पीच थैरेपी एक लॅान्ग टर्म थैरेपी है जो महीनों और कभी-कभी सालों तक चलती है. आपके तीन महीने के स्पीच थैरेपी कोर्स की लागत लगभग 80,000 रुपये तक आ सकती है.

वेटिंग पीरियड कितना होता है

भारत में स्पीच थैरेपी को हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम से कवर किया जाता है. पॉलिसी शुरू होते ही कवरेज नहीं मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम वेटिंग पीरियड के साथ आती हैं. आपको इस वेटिंग पीरियड के खत्म होने के बाद ही कवरेज मिलता है. स्पीच थैरेपी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम 30 दिनों के इनिशियल वेटिंग पीरियड लागू होता है. वहीं क्रिटिकल इलनेस स्कीम में कवरेज 90 दिनों के इनिशियल वेटिंग पीरियड के बाद मिलता है.

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