अब फर्जी इंश्योरेंस क्लेम करना होगा मुश्किल, कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से करेंगी पहचान
फर्जी इंश्योरेंस क्लेम की लगातार बढ़ती शिकायतों पर लगाम कसने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों ने खुद ही पहल की है और सभी इंश्योरेंस कंपनियां मिलकर एक रजिस्ट्री तैयार की है जिसमें इंश्योरेंस कंपनियों के डाटा की मदद से फर्जी क्लेम करने वालों की पहचान की जाएगी.
अनुराग शाह: फर्जी इंश्योरेंस क्लेम की लगातार बढ़ती शिकायतों पर लगाम कसने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों ने खुद ही पहल की है और सभी इंश्योरेंस कंपनियां मिलकर एक रजिस्ट्री तैयार की है जिसमें इंश्योरेंस कंपनियों के डाटा की मदद से फर्जी क्लेम करने वालों की पहचान की जाएगी. इंश्योरेंस रजिस्ट्री में सभी कंपनियों का डाटा मौजूद होगा जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से पता लगाया जाएगा कि किन एक जैसे लोगों ने अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों से बार-बार क्लेम लिए है और चिन्हित लोगों के क्लेम में फ्रॉड की कितनी संभावना है.
फर्जी क्लेम पर लगाम कसने से आम पॉलिसी धारकों को होगा फायदा
इंश्योरेंस कंपनियों के द्वारा दिए जाने सालाना क्लेम में 10-12 परसेंट क्लेम गलत होते है और अगर फर्जी क्लेम में नकेल कसी जाती है तो साधारण पॉलिसी धारकों को भी फायदा होगा और लोगों का प्रीमियम कम होगा क्योंकि कुल क्लेम के आधार पर ही कंपनियां पॉलिसी प्रीमियम तय करती है. हेल्थ इंश्योरेंस और मोटर इंश्योरेंस में सबसे ज्यादा फ्रॉड क्लेम की शिकायतें होती है जिसे पकड़ने के लिए कंपनियां कई तरह की सावधानियां बरतती है लेकिन कई बार कर्मचारियों की मिलिभगत की वजह से भी फर्जी क्लेम नहीं रुक पाते हैं.
सभी इंश्योरेंस कंपनियों के डाटा का होगा विश्लेषण
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के सचिव आर चंद्रशेखरन के मुताबिक सभी इंश्योरेंस कंपनियों के डाटा को इकट्ठा कर एनालिसिस किया जाएगा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से अलग-अलग कंपनियों से क्लेम लेने वालों का पता लगाया जाएगा. हर साल कुल क्लेम के 10-12% क्लेम फर्जी होते है इसलिए इन क्लेम्स को रोका जाएगा. इससे पॉलिसी होल्डर्स का प्रीमियम भी कम होगा लेकिन प्रीमियम घटने में 2 साल का वक्त लगेगा.