Income Tax Notice: घबराएं नहीं अगर घर आ जाए आयकर विभाग का नोटिस, इस तरह सुलझाएं मामला
टैक्स नोटिस के जरिए आयकर विभाग एक तरह का मौका देता है, जिससे टैक्सपेयर्स किसी भी तरह के मिसमैच को एक्सप्लेन कर सकें. इसलिए सिर्फ नोटिस देखकर घबराएं नहीं, बल्कि ये समझने का प्रयास करें कि गलती कहां हुई है. यहां जानिए नोटिस मिलने की स्थिति में आपको क्या करना चाहिए.
आयकर विभाग का नोटिस आते ही लोगों के हाथ-पैर फूल जाते हैं. लेकिन ये नोटिस आपकी कुछ गलतियों की वजह से आता है जैसे रिफंड के लालच में गलत जानकारी देने, गलत फॉर्म का चयन करने, बैंक अकाउंट की गलत जानकारी, इनकम का गलत खुलासा, हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन आदि. टैक्स नोटिस के जरिए आयकर विभाग एक तरह का मौका देता है, जिससे टैक्सपेयर्स किसी भी तरह के मिसमैच को एक्सप्लेन कर सकें. इन गलतियों को सुधारने के भी कई तरीके हैं. इसलिए IT नोटिस को देखकर घबराएं नहीं, वजह को समझने की कोशिश करें और उसका समाधान निकालें. यहां जानिए कि IT नोटिस मिलने पर आपको क्या करना चाहिए-
आयकर विभाग कैसे भेजता है नोटिस?
एक बार जब आईटीआर वेरिफाई हो जाता है, तो उसके बाद आयकर विभाग की तरफ से उसकी प्रोसेसिंग शुरू होती है. इसके तहत सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट अपनी प्राथमिक जांच में आईटीआर को अपने खुद के रिकॉर्ड से Form 16, Form 26AS, AIS, TIS आदि का इस्तेमाल करते हुए वैलिडेट करता है. आईटीआर प्रोसेस हो जाने के बाद आयकर विभाग की तरफ से सेक्शन 143(1) के तहत लोगों को नोटिस जारी किए जाते हैं. कोई मिसमैच होने की सूरत में या तो टैक्स रिफंड होता है या फिर अतिरिक्त टैक्स की डिमांड की जाती है.
आप क्या करें अगर आ जाए नोटिस
आपके पास आयकर विभाग की तरफ से कई वजहों से नोटिस आ सकता है. हो सकता है कि आपने आईटीआर भरते वक्त कोई गलती कर दी हो. इसकी वजह से आपकी तरफ से टैक्स कैलकुलेशन में कोई गलती हुई हो सकती है. आयकर विभाग ने उस गलती को पकड़ लिया हो और आपको नोटिस जारी कर दिया हो. इस स्थिति में आयकर विभाग अतिरिक्त टैक्स की मांग कर सकता है. वहीं ये भी संभव है कि आप सही हों और कैलकुलेशन में गलती आयकर विभाग से हुई हो और आपको नोटिस आ गया हो. इसलिए नोटिस मिलने पर परेशान न हों, पहले अपने CA से इस बारे में बात करें और ये वेरिफाई करें कि क्या वो नोटिस सही है या नहीं.
आयकर विभाग से हुई हो गलती तो...
अगर आयकर विभाग की तरफ से आया नोटिस सही है और आपसे चूक हुई है तो आपको IT डिपार्टमेंट की डिमांड के अनुसार टैक्स पेनाल्टी के साथ चुकाना ही होगा. वहीं अगर गलती आयकर विभाग से हुई है तो आप नोटिस का जवाब दे सकते हैं. आपको जवाब देते वक्त तमाम दस्तावेज भी सबमिट करने होंगे. आप सेक्शन 154(1) के तहत आईटीआर की रीप्रोसेसिंग या एप्लिकेशन रेक्टिफिकेशन का आवेदन कर सकते हैं. टैक्स नोटिस का जवाब देते वक्त आपके सामने Full और In Part का विकल्प चुनने का ऑप्शन होता है. Full का मतलब है कि आप आयकर विभाग के असेसमेंट से पूरी तरह से असहमत हैं, जबकि In Part का मतलब है कि आप आयकर विभाग के असेसटमें के कुछ हिस्से से असहमत हैं.