Employer के जरिए कराएं NPS में निवेश, सारे डिडक्शन करने के बाद भी Income Tax में मिलेगी अतिरिक्त छूट
आप एंप्लॉयर के जरिए एनपीएस (NPS) में कॉन्ट्रिब्यूशन लेकर बाकी सारी डिडक्शन के ऊपर कुछ अतिरिक्त छूट पा सकते हैं. आइए जानते हैं एंप्लॉयर के जरिए एनपीएस में निवेश (NPS Through Employer) से आपको कैसे मिलेगी अतिरिक्त टैक्स छूट.
इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की आखिरी तारीख (ITR Filing Last Date) तेजी से नजदीक आ रही है. कई लोग अभी भी सोच रहे हैं कि टैक्स (Tax) कैसे बचाया जाए. ध्यान रहे, ये टैक्स रिटर्न पिछले वित्त वर्ष का है, इसलिए अब कोई नई इन्वेस्टमेंट (Investment) कर के आप इस के रिटर्न में टैक्स छूट (Tax Benefit) नहीं पा सकते हैं. टैक्स बचाने की प्लानिंग (Tax Saving Planning) हमेशा साल की शुरुआत से ही शुरू कर देनी चाहिए. अगर आपकी सैलरी काफी ज्यादा है और आप तमाम इन्वेस्टमेंट कर चुके हैं, तो भी आपको काफी सारा टैक्स चुकाना होगा. ऐसे में आप एंप्लॉयर के जरिए एनपीएस (NPS) में कॉन्ट्रिब्यूशन लेकर बाकी सारी डिडक्शन के ऊपर कुछ अतिरिक्त छूट पा सकते हैं. आइए जानते हैं एंप्लॉयर के जरिए एनपीएस में निवेश (NPS Through Employer) से आपको कैसे मिलेगी अतिरिक्त टैक्स छूट.
किसी भी कर्मचारी को एनपीएस पर जो टैक्स छूट मिलती है, वह 80CCD के तहत मिलती है. इसमें भी दो सब-सेक्शन हैं- 80CCD(1) और 80CCD(2). वहीं 80CCD(1) का एक और सब सेक्शन हैं 80CCD(1B). इसमें आप 80CCD(1) के तहत 1.5 लाख रुपये और 80CCD(1B) के तहत 50 हजार रुपये की छूट तो पाते ही हैं, लेकिन 80CCD(2) आपको इस 2 लाख रुपये के भी ऊपर इनकम टैक्स में छूट देगा.
80CCD(2) के तहत कैसे मिलेगी अतिरिक्त छूट
इसके तहत आपको एंप्लॉयर की तरफ से आपके एनपीएस में किए गए निवेश पर छूट मिलेगी. तमाम बिजनेस इस निवेश को अपने प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में बिजनेस एक्सपेंस की तरह दिखाकर टैक्स छूट पाते हैं. इसके तहत आप अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी तक एनपीएस में निवेश करवा सकते हैं और उस पर आपको टैक्स छूट मिलेगी. इसके तहत आप अधिकतम छूट 7.5 लाख रुपये तक पा सकते हैं. वहीं अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो यह आंकड़ा आपके लिए 14 फीसदी तक हो सकता है.
क्या करना होगा ये छूट पाने के लिए?
अधिकतर कंपनियां एनपीएस की सुविधा देती ही हैं. आप अपनी कंपनी के एचआर से बात कर के एनपीएस में निवेश करवा सकते हैं. यह निवेश आपकी बेसिक सैलरी से होता है और इसका नतीजा ये होगा कि आपको हर महीने मिलने वाली इनहैंड सैलरी कम हो जाएगी. अच्छी बात ये रहेगी कि आप अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकेंगे. अगर आपकी कंपनी में एनपीएस की सुविधा नहीं है तो एक बार एचआर से बात करें, वह आपको इस पर गाइड करेंगे.
एक उदाहरण से समझते हैं फायदा
मान लीजिए कि आपकी सैलरी 10 लाख रुपये है. आपने 80C का 1.5 लाख रुपये और 80CCD(1B) का 50 हजार रुपये का फायदा ले लिया, जिसके बाद भी आपकी टैक्सेबल सैलरी 8 लाख रुपये बचेगी. अधिकतर कंपनियां कन्वेंस अलाउंस, इंटरनेट, फूड कूपन और अन्य तमाम रीइम्बर्समेंट मिलाकर करीब 2 लाख रुपये तक पर टैक्स बचाने की सुविधा देती हैं. अगर आपने ये सारे अधिकतम सीमा तक क्लेम कर लिए तो भी आपकी टैक्सेबल सैलरी 6 लाख रुपये बचेगी.
इन बचे हुए एक लाख रुपयों पर आप 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन पा सकते हैं, जिसके लिए कोई भी इन्वेस्टमेंट दिखाने की जरूरत नहीं है. यह स्टैंडर्ड डिडक्शन सिर्फ नौकरी पेशा कर्मचारियों को मिलता है. वहीं 10 लाख रुपये की सैलरी होने का मतलब है कि आपकी बेसिक सैलरी करीब 5 लाख रुपये होगी. यानी 80CCD(2) के तहत अगर आप एंप्लॉयर से एनपीएस में निवेश करवाते हैं तो 50 हजार रुपये तक का निवेश किया जा सकता है. इस तरह आपकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये हो जाएगी और आपको 87ए के तहत रिबेट का भी फायदा मिल जाएगा. यानी आप पर कोई भी टैक्स नहीं लगेगा.