Income tax notice: सेक्शन 143 (1) में नोटिस क्यों भेजता है आयकर विभाग? क्या होता है इसका मतलब, यहां जानें…
Income tax notice: अगर आप इनकम टैक्स नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है.
Income tax notice: इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) हर उस व्यक्ति की खबर रखता है जो कोई भी इनकम टैक्स भरता है. टैक्स भरने वाले (Income Tax Payer) हर एक व्यक्ति को आईटीआर (ITR-Income Tax Return) भरना अनिवार्य होता हैं. ऐसे में आईटीआर भरने को लेकर विभाग की तरफ से कई नियम बनाए गए हैं. अगर आप इन नियमों का उल्लंघन करते है या फिर ITR भरने में कुछ गलतियां कर देते हैं तो आयकर विभाग की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. ऐसा ही एक नोटिस होता है Letter of Intimation, जो कि इनकम टैक्स (Income tax notice) के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है. आइए जानते है कि ये नोटिस कब और क्यों आता है.
क्या होता है लेटेर ऑफ इंटीमेशन?
लेटेर ऑफ इंटीमेशन (Letter of Intimation) एक तरह का नोटिस होता है जो ये बताता है कि आपने जो टैक्स का भुगतान किया है वो सही किया है या नहीं. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान अगर आपसे इंटरेस्ट की जानकारी भरने में कोई गलती हुई है, या फिर और कोई भी छोटी-मोटी गलती हुई हो, तो आपको ऐसा नोटिस आ सकता है. यह नोटिस बताता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आपसे जो भी गलती हुई हों, उन्हें ठीक करलें.
कब-कब आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस?
- इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से कम टैक्स भरा हो.
- इनकम टैक्स रिटर्न करने के दौरान अगर आपने अपनी देनदारी से ज्यादा टैक्स भरा हो, या फिर आपने सही टैक्स भरा हो.
- एक्सपर्ट का ऐसा मानना हैं कि ऐसा नोटिस अक्सर हर टैक्स पेयर के पास आता है. अगर आपके पास ऐसा नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है.
नोटिस का दें जल्द जवाब
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की तरफ से इस तरह का नोटिस मेल पर भेजा जाता है. 143(1) के तहत आने वाले टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड (Notice of Demand) कहा जाता है. यानी अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी बाकि है तो आप इस मैसेज के मिलने से 20 दिनों के भीतर उसका भुगतान कर दें. अगर आप इसमें देरी करते हैं तो 30 दिन बीत जाने के बाद आपको एक फीसदी की दर से मासिक ब्याज भरना होगा.
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