5 लाख से कम है सैलरी तो भी ITR फाइल करना है जरूरी, जान लीजिए नियम वरना चुकाना पड़ेगा जुर्माना
ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनकी कोई टैक्स लायबिलिटी (Tax Liability) नहीं होती है. ऐसे लोगों को अक्सर ये लगता है कि उन्हें आईटीआर फाइल करने की जरूरत नहीं है. ऐसा नहीं है, ऐसे लोगों को भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है.
आयकर अधिनियम के अनुसार हर उस शख्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (Income Tax Return Filing) करना जरूरी है, जिसकी ग्रॉस टोटल इनकम (Gross Total Income) बेसिक छूट (Tax Exemption Limit) से अधिक है. आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई (ITR Filing Last Date) है और अगर आपने इस तारीख तक आईटीआर फाइल नहीं किया तो आप पर पेनाल्टी लगेगी. ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनकी कोई टैक्स लायबिलिटी (Tax Liability) नहीं होती है. ऐसे लोगों को अक्सर ये लगता है कि उन्हें आईटीआर फाइल करने की जरूरत नहीं है. ऐसा नहीं है, ऐसे लोगों को भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है. आइए जानते हैं क्या हैं नियम (Rules of Filing ITR).
पहले जानिए किसे टैक्स भरना जरूरी नहीं
पुरानी टैक्स व्यवस्था की बात करें तो अगर आपकी ग्रॉस टोटल इनकम 2.5 लाख रुपये से कम है, तो आपको इनकम टैक्स फाइल करने की जरूरत नहीं है. वहीं अगर आपकी उम्र असेसमेंट ईयर के दौरान 60 साल से अधिक थी यानी अगर आप सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में आते हैं तो आपकी सैलरी 3 लाख रुपये से अधिक होने पर आईटीआर फाइल करना जरूरी है. वहीं अगर आपकी उम्र 75 साल से अधिक है और आपको सिर्फ पेंशन या बैंक इंट्रेस्ट से इनकम हो रही है तो आपको आईटीआर फाइल करने की कोई जरूरत नहीं है. अगर आपने नई टैक्स व्यवस्था चुनी है तो सबको 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह सीमा बढ़ाकर 3 लाख की जा चुकी है.
5 लाख रुपये से कम है सैलरी तो भी भरना होगा आईटीआर
ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिनकी सैलरी 5 लाख रुपये से कम है. अगर देखा जाए तो उन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन ऐसे लोगों को भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2.5 लाख से ज्यादा की सैलरी पर 5 फीसदी टैक्स लगता है, लेकिन आईटीआर फाइल करते वक्त आपको 87ए के तहत रीबेट मिल जाती है. यह रीबेट 12,500 रुपये तक की होती है. यही वजह है कि 5 लाख रुपये तक की सैलरी टैक्स मुक्त हो जाती है.
अगर आपकी सैलरी 5 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन तमाम डिडक्शन क्लेम करने के बाद आपकी टैक्सेबल सैलरी 5 लाख रुपये या उससे कम हो जाती है तो भी आपको आईटीआर फाइल करना जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप आईटीआर फाइल करेंगे तभी ये पता चलेगा कि आपको क्या-क्या डिडक्शन मिलेंगे, किस लेवल तक मिलेंगे और आप पर टैक्स लगेगा या नहीं.
उदाहरण से समझते हैं
मान लीजिए आपकी सैलरी 4.5 लाख रुपये है. ऐसे में आपको आईटीआर फाइल करना होगा. जब आप आईटीआर फाइल करेंगे, उसी दौरान आपको 2.5 लाख से ऊपर यानी 2 लाख रुपये पर 5 फीसदी की दर से लगने वाले 10 हजार रुपये के टैक्स पर रीबेट मिलेगी और आपकी टैक्स लाएबिलिटी जीरो हो जाएगी.
अगर आपकी सैलरी 5.50 लाख रुपये है, तो भी आपको आईटीआर भरना होगा. हालांकि, इस सूरत में भी आपका कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि आपको 50 हजार रुपये का तो स्टैंडर्ड डिडक्शन मिल जाएगा. वहीं 5 लाख रुपये तक की सैलरी होने पर रीबेट मिलती है तो उसका भी फायदा मिलेगा और आप पर टैक्स लाएबिलिटी जीरो हो जाएगी.
अब मान लेते हैं कि आपकी सैलरी 2 लाख रुपये है. यह बेसिक छूट यानी 2.5 लाख रुपये से कम है. ऐसे में आपको आईटीआर फाइल करने की कोई जरूरत नहीं है.