पत्नी को देते हैं Cash तो भी आ सकता है Income Tax नोटिस! अब तक ऐसा नहीं सुना होगा आपने? जानें क्या है नियम
Income tax notice rules: भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के मुताबिक, पति और पत्नी के बीच किए गए लेन-देन पर खास नियम लागू होते हैं. पति अपनी पत्नी को कैश या अन्य रूप में पैसे दे सकता है, लेकिन इस पर इनकम टैक्स के नियमों और धारा 269SS और 269T के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है.
Income tax notice rules: पति-पत्नी के बीच कैश लेन-देन आम बात है, लेकिन अगर यह बिना सोचे-समझे किया जाए, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है. इनकम टैक्स कानून के तहत पति-पत्नी के बीच कैश लेन-देन पर सीधे कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन कुछ नियम और परिस्थितियां हैं जिन्हें समझना जरूरी है. कैश लेन-देन पर इनकम टैक्स के नियम भारत में इनकम टैक्स कानून के तहत पति-पत्नी के बीच कैश लेन-देन पर सीधे तौर पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती. अगर आप इन नियमों को नहीं समझते हैं, तो आपको वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर पति अपनी पत्नी को घर खर्च या गिफ्ट के तौर पर रकम देता है तो यह रकम पति की इनकम के तौर पर ही मानी जाएगी और पत्नी पर इस पर टैक्स की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के मुताबिक, पति और पत्नी के बीच किए गए लेन-देन पर खास नियम लागू होते हैं. पति अपनी पत्नी को कैश या अन्य रूप में पैसे दे सकता है, लेकिन इस पर इनकम टैक्स के नियमों और धारा 269SS और 269T के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है.
1. पति-पत्नी को कैश देने पर टैक्स के नियम
घर खर्च या गिफ्ट
अगर पति अपनी पत्नी को कैश पैसे देता है, चाहे वह घर खर्च के लिए हो या गिफ्ट के रूप में, तो इस पर इनकम टैक्स नोटिस नहीं आता. ये रकम पति की ही इनकम मानी जाती है और पत्नी पर कोई टैक्स दायित्व नहीं बनता.
बार-बार निवेश के लिए कैश देने पर
अगर पत्नी इस पैसे को बार-बार कहीं निवेश करती है और इससे आमदनी (Income) होती है, तो इस आमदनी पर पत्नी को टैक्स देना होगा. इस स्थिति में पत्नी को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में यह इनकम दिखानी होगी. इसे "क्लबिंग ऑफ इनकम" के तहत पति की इनकम में जोड़ दिया जा सकता है, जिससे टैक्स देनदारी बढ़ सकती है.
2. कैश ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स नियम
धारा 269SS और 269T के प्रावधानों के तहत, पति और पत्नी के बीच हुए कैश लेन-देन पर कुछ सीमा निर्धारित है:
धारा 269SS: ₹20,000 से ज्यादा का कैश एकमुश्त (Lump Sum) नहीं दिया जा सकता. अगर ₹20,000 से ज्यादा का लेन-देन होता है, तो इसे बैंकिंग माध्यम (जैसे चेक, NEFT, RTGS) से करना अनिवार्य है.
धारा 269T: ₹20,000 से ज्यादा का कैश वापस करना हो (किसी से उधार लिया हो), तो यह केवल बैंकिंग चैनल के माध्यम से किया जा सकता है.
विशेष छूट: पति-पत्नी के बीच नजदीकी संबंध होने के कारण, इन धाराओं के तहत पेनल्टी नहीं लगती. हालांकि, इन नियमों का पालन पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी है.
3. पत्नी को कैश देने की सीमा
घर खर्च के लिए
कोई सीमा नहीं है. पति अपनी पत्नी को घर खर्च के लिए कितनी भी राशि दे सकता है. यह राशि टैक्सेबल नहीं होती, और इसे पति की आय का हिस्सा माना जाता है.
निवेश के लिए
अगर पत्नी को दिए गए पैसे का इस्तेमाल वह किसी निवेश, जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर मार्केट, या प्रॉपर्टी खरीदने में करती है तो इस पर हुई आय (Income) पर टैक्स देना होगा. मान लीजिए पत्नी को दिए गए पैसे से सालाना ₹1,00,000 की इनकम होती है, तो इसे पति की आय में जोड़कर टैक्स वसूला जाएगा.
4. कैश लेन-देन में सावधानियां
रेंटल इनकम: अगर पत्नी को दिए गए पैसे का इस्तेमाल किराये की प्रॉपर्टी खरीदने में किया गया और उससे किराया मिलता है, तो यह किराया पत्नी की आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स देना होगा.
गिफ्ट टैक्स नियम: पति की तरफ से पत्नी को गिफ्ट में दी गई राशि पर टैक्स नहीं लगता, क्योंकि पति-पत्नी नजदीकी रिश्तेदार (Relatives) की श्रेणी में आते हैं.
5. टैक्स नोटिस से बचने के उपाय
₹20,000 से अधिक का कैश लेन-देन न करें.
बैंकिंग माध्यम (चेक या NEFT/RTGS) का इस्तेमाल करें.
पत्नी की निवेश राशि की जानकारी टैक्स रिटर्न में सही से दर्ज करें.
अगर पत्नी ने कोई संपत्ति (प्रॉपर्टी, FD) खरीदी है, तो उसकी आय पर टैक्स का भुगतान सुनिश्चित करें.
6. नोटिस आने की संभावना
अगर आयकर विभाग (Income tax) को यह पता चलता है कि पति ने पत्नी को दी गई राशि का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है या इस पैसे से हासिल इनकम का खुलासा नहीं किया गया है, तो विभाग नोटिस जारी कर सकता है.
क्या है इनकम टैक्स की धारा 269SS और 269T?
धारा 269SS और 269T भारतीय इनकम टैक्स कानून के तहत ऐसे प्रावधान हैं, जो कैश लेन-देन को रेगुलेट करने और ब्लैक मनी पर रोक लगाने के लिए बनाए गए हैं. इन धाराओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैश लेन-देन पारदर्शी हो और कर चोरी से बचा जा सके. 269SS के तहत किसी भी व्यक्ति या संस्था को ₹20,000 या उससे ज्यादा की राशि नकद के रूप में उधार, जमा, या अग्रिम भुगतान के रूप में स्वीकार करने पर प्रतिबंध है.
क्या होता है पेनल्टी का प्रावधान?
अगर कोई ₹20,000 से ज्यादा कैश में लेन-देन करता है और वह पति-पत्नी के रिश्ते में नहीं है, तो टैक्स डिपार्टमेंट पेनल्टी के तौर पर उतनी ही रकम जुर्माने के रूप में वसूल सकता है. कोई व्यक्ति इस प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो उस पर धारा 271D के तहत जुर्माना लगाया जाएगा.
किसको मिलती है छूट?
निकट संबंधियों के बीच लेन-देन: पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों, भाई-बहन आदि के बीच हुए कैश लेन-देन पर कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाती.
गिफ्ट और आवश्यक खर्च: गिफ्ट, घर खर्च, या अन्य वैध कारणों से दी गई राशि पर ये प्रावधान लागू नहीं होते.
कृषि आय: कृषि से संबंधित आय और लेन-देन पर इन धाराओं का कोई प्रभाव नहीं है.