बजट 2024 (Budget 2024) में वित्त मंत्री की तरफ से टैक्सपेयर्स के लिए कई तोहफे निकलने की उम्मीद है. जो अब तक नहीं हुआ वो शायद इस बार होने की उम्मीद है. लेकिन, मामला इस बात पर उलझा है कि पुराने टैक्स सिस्टम यानि ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax regime) में फायदा बढ़ेगा या फिर न्यू टैक्स रिजीम (New Tax regime) को और आकर्षक बनाने की तैयारी है. ऐसे में वित्त मंत्री के पिटारे से एक बड़ा ऐलान निकलने की संभावना जताई गई है. ओल्ड टैक्स रिजीम वाले टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देने की तैयारी है. 

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सूत्रों के मुताबिक, इस बार बेसिक टैक्स छूट लिमिट (Tax exemption limit) को बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जा सकता है. यह फैसला लाखों टैक्सपेयर्स के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है. टैक्स पॉलिसी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की तैयारी हो रही है. अब सबकी निगाहें बजट 2024 पर टिकी हैं, जिसमें यह बड़ा ऐलान हो सकता है. बजट 2024 जुलाई की 23 तारीख को पेश हो सकता है.

क्या है बेसिक टैक्स छूट लिमिट?

बेसिक टैक्स छूट लिमिट वह सीमा है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. मौजूदा समय में ओल्ड टैक्स रिजीम में ये सीमा 2.5 लाख रुपए है. वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में ये सीमा 3 लाख रुपए है. बजट 2024 में ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाता है. लेकिन, इसका सबसे बड़ा फायदा ओल्ड टैक्स रिजीम वाले टैक्सपेयर्स को मिलेगा. क्योंकि, इस टैक्स सिस्टम में इसके अलावा भी कई तरह की छूट का प्रावधान है. 

किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा

बेसिक टैक्स छूट लिमिट बढ़ने से टैक्सपेयर्स को ज्यादा टैक्स छूट मिलेगी, जिससे उनकी टैक्सेबल इनकम कम होगी. ओल्ड टैक्स रिजीम को अपनाने से टैक्सपेयर्स को अलग-अलग तरह ही टैक्स छूट और कटौतियों का फायदा मिलता है. ऐसे में हाई इनकम स्लैब वाले टैक्सपेयर्स ज्यादा फायदा मिलता दिख रहा है. इससे निवेशों और खर्च पर ज्यादा छूट क्लेम की जा सकती है.

क्या होगा बेसिक छूट बढ़ाने का फायदा?

Assocham की एक रिपोर्ट के मुताबिक, "पर्सनल टैक्स की छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने से मिडिल क्लास के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा. इससे आर्थिक विकास में डिमांड आने से बढ़ावा मिलेगा." पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट्स पंकज मठपाल का मानना है कि इस बात की संभावना है कि सरकार बजट में बेसिक छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दे. ऐसा करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि, जिन टैक्सपेयर्स की कुल इनकम 5 लाख रुपए से ज्यादा नहीं है उन्हें टैक्स (धारा 87A) में पहले से ही राहत मिल रही है.

महंगाई पर काबू पाना होगा आसान

उच्च मुद्रास्फीति (हाई इंफ्लेशन) को एडजस्ट करने में भी इससे मदद मिल सकती है. देखा जाए तो बेसिक छूट का दायरा एक दशक पहले बढ़ा था. पिछले कुछ वर्षों में कोविड-19 महामारी और उच्च मुद्रास्फीति के कारण हजारों मिडिल क्लास की कमाई में कमी आई है. लोअर मिडिल इनकम क्लास वाले टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए टैक्स छूट में बढ़ोतरी ठोस पॉलिसी साबित हो सकती है. इससे सरकार के टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन पर भी सबसे कम प्रभाव पड़ेगा. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का बड़ा हिस्सा हायर इनकम वाले टैक्सपेयर्स से आता है.

2014 के बाद अब बदलेगी टैक्स छूट लिमिट?

मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. पहला कार्यकाल साल 2014 में शुरू हुआ था. उस दौरान सत्ता में आते ही सरकार ने टैक्सपेयर्स को बड़ी खुशखबरी दी थी. सरकार ने बेसिक टैक्स छूट को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख किया था. लेकिन, उसके बाद से पिछले 10 साल में इनकम टैक्स स्‍लैब में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ. लेकिन, आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार इस पर कुछ राहत दे सकती है. इकोनॉमिस्ट से लेकर फाइनेंशियल एक्सपर्ट तक सबका मानना है कि टैक्स छूट की लिमिट में बदलाव होना चाहिए.

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