भारत में इनकम टैक्स बचत के कई तरीके हैं, जिनमें से एक तरीका है पत्नी को रेंट देकर टैक्स (Tax) बचाना. ये तरीका उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अपनी सैलरी (Salary) का एक हिस्सा हाउस रेंट अलाउंस (HRA) के तहत टैक्स फ्री (Tax free) करना चाहते हैं. आइए जानें, कैसे यह तरीका काम करता है और कितना टैक्स (How to save tax) बचाया जा सकता है.

कैसे मिलता है फायदा?

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रेंट एग्रीमेंट: सबसे पहले, आपको अपनी पत्नी के साथ एक वैध रेंट एग्रीमेंट करना होगा. इसमें किराए की राशि और अन्य शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए.

भुगतान के प्रमाण: रेंट के रूप में दी जाने वाली राशि का भुगतान बैंक ट्रांसफर या चेक के जरिए किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करेगा कि आपके पास भुगतान का प्रमाण हो.

HRA क्लेम: आप अपने नियोक्ता के पास HRA के रूप में दी गई राशि का क्लेम कर सकते हैं. HRA की गणना करते समय, तीन प्रमुख बातों पर ध्यान दिया जाता है:

- वास्तविक HRA जो आपको मिलता है.

- रेंट पेमेंट की गई राशि का 50% (अगर आप मेट्रो सिटी में रहते हैं) या 40% (अगर आप नॉन-मेट्रो सिटी में रहते हैं).

- किराया दिया गया और बेसिक सैलरी का 10% घटाने के बाद शेष राशि.

कितना टैक्स बचेगा?

मान लीजिए कि आपकी मंथली सैलरी ₹1,00,000 है, जिसमें ₹20,000 HRA शामिल है, और आप ₹25,000 का मंथली रेंट अपनी पत्नी को देते हैं.

- इस स्थिति में...

सालाना HRA: ₹2,40,000

सालाना रेंट पेमेंट: ₹3,00,000

बेसिक सैलरी का 10%: ₹1,20,000

- इस तरह, HRA के रूप में छूट की गणना ऐसे होगी:

सालाना HRA: ₹2,40,000

रेंट - बेसिक का 10%: ₹3,00,000 - ₹1,20,000 = ₹1,80,000

बेसिक का 50% (मेट्रो सिटी में): ₹1,00,000 का 50% = ₹6,00,000

ऊपर दी गई तीनों में से न्यूनतम राशि ₹1,80,000 है, जिसे आप HRA के रूप में टैक्स फ्री क्लेम कर सकते हैं.

ध्यान रखनी होंगी ये बातें

  • Genuine agreement: रेंट एग्रीमेंट वास्तविक होना चाहिए और इसके पीछे कोई धोखाधड़ी नहीं होनी चाहिए.
  • Proof of payment: बैंक स्टेटमेंट या चेक पेमेंट के रूप में भुगतान का प्रमाण होना आवश्यक है.
  • Rental income: आपकी पत्नी को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में रेंटल इनकम दिखानी होगी.

क्या है आपके लिए सलाह?

पत्नी को रेंट देकर टैक्स बचाना एक शानदार तरीका हो सकता है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक और सही तरीके से करना जरूरी है. इस तरह से फायदा उठाने से पहले किसी कर चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श करना जरूरी है.