नौकरी चाहे सरकारी हो या प्राइवेट, जॉब के दौरान कर्मचारी को कई तरह की छुट्टियां मिलती हैं जैसे Casual Leave-CL, Medical Leave, Earned Leave, Maternity Leave वगैरह. इनमें से कुछ छुट्टियां तय समय तक न लेने पर खत्‍म हो जाती हैं और कुछ छुट्टियां नए फाइनेंशियल ईयर में जुड़ जाती हैं. रिटायर होने पर या नौकरी को छोड़ने पर कर्मचारी इन छुट्टियों को कर्मचारी कैश करवा सकते हैं. इसलिए ज्‍यादा से ज्‍यादा कर्मचारी इन छुट्टियों को बचाने का प्रयास करते हैं. 

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छुट्टियों को कैश कराने पर जो रकम आपको मिलती है, सरकार उसे आपकी आमदनी का हिस्‍सा मानती है, इसलिए सरकार की ओर से लीव एन्‍कैशमेंट पर टैक्‍स के कुछ नियम बनाए गए हैं. ये नियम सरकारी और प्राइवेट नौकरी के मामले में अलग-अलग हैं. अगर आप भी नौकरीपेशा हैं, तो आपको इन नियमों के बारे में जरूर जानकारी होनी चाहिए.

लीव एन्‍कैशमेंट पर ये हैं इनकम टैक्‍स के नियम

नौकरी के दौरान लीव एन्‍कैश करवाने पर

अगर नौकरी के दौरान लीव एन्‍कैशमेंट करवाते हैं, तो वो राशि उनके वेतन का हिस्‍सा मानी जाती है और कर योग्‍य हो जाती है. नौकरी के दौरान एन्‍कैशमेंट करवाने पर जो भी राशि आपको प्राप्‍त होती है, वो पूरी राशि आपकी आय में जोड़ दी जाती है. इसके बाद आप जिस इनकम टैक्‍स स्लैब में आते हैं, उसके हिसाब से टैक्‍स वसूला जाता है. हालांकि इसमें इनकम टैक्‍स की धारा 89 के तहत राहत ली जा सकती है. लेकिन 89 के तहत फायदा लेने के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं, जिन्‍हें पूरा करना होगा जैसे- जिस साल आपने लीव को कैश कराया है, उस साल से पहले आपको कम से कम 5 वर्षों तक उसी नियोक्ता के साथ निरंतर सेवा में होना जरूरी है. इसके अलावा लीव एन्‍कैशमेंट की राशि उस महीने की सैलरी से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए जिसमें आप इसे प्राप्त करते हैं.

रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के बाद एन्‍कैशमेंट करवाने पर

रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के बाद अगर आप अपनी लीव को एन्‍कैश करवाते हैं, तो इसके नियम सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी वालों के लिए अलग-अलग हैं. यहां जानिए-

सरकारी नौकरी होने पर: अगर आप केंद्र या राज्‍य सरकार के कर्मचारी हैं और सेवानिवृत्ति या इस्तीफे के समय लीव एन्‍कैशमेंट करवाते हैं, तो उस राशि पर आपसे किसी भी तरह का टैक्‍स नहीं वसूला जाएगा, चाहे राशि कुछ भी हो. किसी कर्मचारी के नौकरी के दौरान गुजर जाने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी को जो लीव एन्कैशमेंट का पैसा मिलता है, उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.

प्राइवेट नौकरी होने पर: अगर आप प्राइवेट सेक्‍टर के कर्मचारी हैं और रिटायरमेंट के समय या नौकरी छोड़ने के बाद लीव एन्‍कैश करवाते है, तो 25 लाख रुपए तक के अमाउंट पर किसी तरह का टैक्‍स नहीं लगता है. पहले ये लिमिट 3 लाख रुपए थी. इससे अधिक के हिस्से पर आपके नियमित आयकर स्लैब के अनुसार टैक्‍स लगाया जाता है.