यदि आपको अपने रिश्तेदारों से उपहार मिलते रहते हैं तो अपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि भारतीय उपहार कर अधिनियम, 1958 को 1998 में समाप्त करने के बाद से उपहार पर लगने वाला कर मुक्त कर दिया गया था. लेकिन 2004 में वित्त अधिनियम लाकर फिर से टैक्स वसूलने का प्रावधान शुरू किया गया है. ऐसे में किसी व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) को मिले उपहार पर टैक्स चुकाए जाने का प्रावधान है. नियमों के तहत अगर एक वित्त वर्ष के किसी गैर रिश्ते का व्यक्ति 50 हजार रुपये तक का उपहार देता है तो यह आयकर मुक्त होगा. मगर यदि 51 हजार या इससे अधिक कीमत का उपहार मिलता है तो आपको आयकर देना होगा. यदि उपहार के संबंध में जानकारी छुपाते हैं तो 200 फीसदी तक जुर्माना देना पड़ सकता है.

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जानिए उपहार पर कब लगेगा टैक्स

एक वित्त वर्ष में किसी भी माध्यम से 50 हजार रुपये से से अधिक का उपहार मिला तो कर देना होगा.

रिश्तेदार या किसी व्यक्ति को संपत्ति उपहार में देते हैं तो प्रॉपर्टी की स्टांप शुल्क मूल्य के हिसाब से इस पर आयकर लगेगा.

50 हजार रुपये से अधिक कीमत के गहने,शेयर, पेंटिंग, आर्कियोलॉजिकल कलेक्शन, कीमती वस्तुएं आदि मिली हों तो भी आपको कर देना होगा.

इन उपहारों पर नहीं लगता कर

अपर आपकी शादी में किसी नजदीकी रिश्तेदार ये ब्लड रिलेशन में उपहार मिला हो तो उस पर कर नहीं लगेगा.

विरासत के तौर पर कोई संपत्ति मिली हो तो उस पर आयकर नहीं लगता.

आपके किसी अच्छे काम के लिए स्थानीय प्रशासन कोई उपहार देता है तो वह करमुक्त होगा.  

किसी चैरिटेबल संस्था से मिला उपहार भी धारा 10(23) के तहत टैक्स फ्री होगा.

आयकर नियमों के तहत इनको माना जाता है रिश्तेदार

  • भाई-बहन
  • पत्नी - पती
  • सगे भाई-बहन की पति-पत्नी
  • सास - ससुर, माता-पिता
  • खानदान का कोई व्यक्ति